योग
में पशुओं का
योगदान - ‘‘ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस
21 जून 2015 ’’ पर विशेष
योग
एक व्यापक चिकित्सकीय
विज्ञान है। प्राचीन
योगियों और गुरुओं
स्वभाव से और
उनके आसपास रहने
वाले हर बात
से प्रभावित थे।
अपने आसपास के
मजबूत प्रभाव जानवरों
के नाम पर
विभिन्न योग से
परिलक्षित होता है।
मानव शरीर योग
प्रदर्शन करते हुए
जानवरों की तरह
दिखाई देते हैं
कि आकार या
रूपों को गोद
ले। प्राचीन भारत
में, योग्यता और
जानवरों के कौशल
नकल करने की
क्षमता उत्थान और ज्ञानवर्धक
माना जाता था।
श्योग धर्म, आस्था
और अंधविश्वास से
परे है।
योग
एक सीधा विज्ञान
है। प्रायोगिक विज्ञान
है। योग है
जीवन जीने की
कला। योग एक
पूर्ण चिकित्सा पद्धति
है। एक पूर्ण
मार्ग है-राजपथ।
दरअसल धर्म लोगों
को खूँटे से
बाँधता है और
योग सभी तरह
के खूँटों से
मुक्ति का मार्ग
बताता है।
योग
के आठ
अंग हैं- (1) यम
(2) नियम (3) आसन (4) प्राणायाम (5) प्रत्याहार
(6) धारणा (7) ध्यान (8) समाधि। उक्त
आठ अंगों के
अपने-अपने उप
अंग भी हैं।
वर्तमान में योग
के तीन ही
अंग प्रचलन में
हैं- आसन, प्राणायाम
और ध्यान। योग
शब्द योग की
क्रियाओं से स्पष्ट
होता है.
योग
में यौगिक क्रियाओं
द्वारा शरीर, मन और
आत्मा के बीच
संयोग स्थापित होता
है जिससे आत्मिक
संतोष प्राप्त होता
है । योग
किसी भी उम्र
के स्वस्थ स्त्री
पुरूष कर सकते
हैं. स्वास्थ्य सम्बनधी
परेशानियों में भी
योग किया जा
सकता है लेकिन
इसमें कुछ सावधानायों
का ख्याल रखना
होता है. जो
व्यक्ति शरीर को
बहुत अधिक घुमा
फिरा नहीं सकते
हें वह भी
कुर्सी पर आराम
से बैठकर योग
कर सकते हैं.
योग हर किसी
की जरूरत है.
कामकाजी लोग अपने
दफ्तर में भी
कुछ देर योग
करके अत्यधिक काम
के दबाव के
बावजूद भी खुद
को तरोताजा महसूस
कर सकते हैं.
शारीरिक कार्य करने वाले
जैस खिलाड़ी, एथलिट्स,
नर्तक अपने शरीर
को मजबूत, उर्जावान
और लचीला बनाए
रखने के लिए
योग कर सकते
हैं.
छात्र मन
की एकाग्रता और
ध्यान के लिए
योग कर सकते
हैं। योग हमारे
लिए हर तरह
से आवश्यक है.
यह हमारे शारीरिक,
मानसिक और आत्मिक
स्वास्थ्य के लिए
लाभदायक है. योग
का उद्देश्य शरीर,
मन और आत्मा
के बीच संतुलन
अर्थात योग बनाना
है.
योग के
उद्देश्य को पूरा
करने के लिए
मुद्रा, ध्यान और श्वसन
सम्बन्धी अभ्यास की आवश्यकता
होती है. योग
की क्रियाओं में
जब तन, मन
और आत्मा के
बीच योग बनता
है तब आत्मिक
संतुष्टि, शांति और चेतना
का अनुभव होता
है. इसके अतरिक्त
योग शारीरिक और
मानसिक रूप से
भी फायदेमंद है.
योग शरीर को
शक्तिशाली एवं लचीला
बनाए रखता है
साथ ही तनाव
से भी छुटकारा
दिलाता है जो
रोजमर्रा की जिन्दगी
के लिए आवश्यक
है. योग से
शरीर में रोग
प्रतिरोधी क्षमता का विकास
होता है. योग
करने वाले वृद्धावस्था
में भी चुस्त
दुरूस्त रहते हैं.
आयु के संदर्भ
में भी योग
लाभप्रद है ।
आत्मा और परमात्मा
के मिलन को
योग बोलते हैं
अर्थात हमारे अंदर दिव्यशक्तियां
उत्पन्न करने वाली
क्रिया ही योग
है। पशु प्रेरित
होकर योग के
विभिन्न पोज को
चित्रों के माध्यम
से दर्शाया गया
है ।
योग
पशुओं से उत्पन्न
एक स्त्रोत है
जिसे इस इंसान
ने अपना कर
अपने को स्वस्थ्य
बनाया है ।
पशु योग की
कुछ बन गया
है और उनके
लाभ नीचे संक्षेप
में वर्णन किया
गया है।
जय मां हाटेशवरी...
ReplyDeleteअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 21/06/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।