Tuesday 5 April 2016

नरवाई कुप्रबंधन से प्रभावित पशु प्रबंधन एवं स्वास्थ्य - एक विचार

नरवाई कुप्रबंधन से प्रभावित पशु  प्रबंधन एवं स्वास्थ्य - एक विचार


 
फसल की कटाई के बाद अगली फसल के लिए किसानों द्वारा गेहूं के डंठलों को जलाकर साफ किया जाता है। नरवाई जलाने से व्यापक स्तर पर अग्नि दुर्घटनाएं होती हैं । नरवाई में आग लगाने से जहां एक ओर मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम होती है। किसान नरवाई जलाने से न केवल वह खुद का नुकसान कर रहा है, बल्कि आसपास के खेतों और पर्यावरण को भी भारी क्षति पहुंचा रहा है।



खेतों में नरवाई के कारण ही आगजनी के बहुत सारे मामले सामने आ चुके है। इस आग के कारण लाखों रूपए की खड़ी फसल के साथ ही मकान और उसमें रखा गृहस्थी का सामान भी जलकर नष्ट हो चुके है। नरवाई की आग से लगातार नुकसान हो रहा है । कृषि  वैज्ञानिकों द्वारा लगातार नरवाई नहीं जलाने की चेतावनी दी जाने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों का किसान फसलों की कटाई के बाद नरवाई जलाने से बाज नहीं आ रहा। 



अक्सर देखा गया है कि मेड़ पर पड़ा कचरा आदि लोग जला कर दूर चले जाते है और उसकी चिन्गारी  खेतों में लहलहा रही फसलों को भी अपनी चपेट में ले लेती है और कहा यह जाता है कि हम तो नरवाई जला रहे थे । गर्मी के दिनों में महूआ बीनने के दौरान सूखे पत्तों में आग लगा दी जाती है और उसकी चिंगारी नजदीक के खेतों की गेंहू की फसल उसके चपेट में आने से फसल का नुकसान हो जाता है  ।



जब से हारवेस्टर से गेंहू की कटाई की परंपरा चली है उससे न तो किसान एवं पषुपालक बंधुओं को भूसा मिल पाता है और खेत में बड़े बड़े गेंहूं क डूंठ को निकालना मुस्किल होने से किसान अपने ही खेत में आग लगा कर उन्हें जलाता है और उसका खामीयाजा उसे आने में फसल के कम उत्पादन के रूप में झेलनी पड़ती है । नरवाई की आग से सूक्ष्म तत्व जैसे नाईट्रोजन, फास्फोरस, जिंक, आयरन जलकर नष्ट हो जाते है। मिट्टी का परीक्षण करने पर पाया गया है कि नरवाई की आग के चलते सूक्ष्म तत्वों की कमी आ गई है । नरवाई में आग लगाने से जहां एक ओर मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम होती है, वहीं इसके कई गंभीर परिणाम भी सामने आते हैं। भूमि में उपलब्ध जैव विविधता समाप्त हो जाती है।



किसान गेहूं की फसल खेत से खलिहान व मंडी पहुंचाने के बाद नरवाई को जलाने की जगह खेतों को अगली फसल के लिए तैयार करने में लगे हैं. वे धीरे-धीरे नरवाई को न जलाने के फायदे समझ गए हैं. उन्हें कृषि वैज्ञानिकों ने नरवाई न जलाने के फायदों के बारे में बताया जा रहा है । 



पर्यावरण दूषित - नरवाई की आग से उठते धुंए के कारण पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है।  खेतों में लगने वाली आग से जो धुंआ उठता है  उसके प्रदूषण से लोगों को सांस की बीमारियों का होना तथा अस्थमा एवं एलर्जी की बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ रही है ।