मोर
- शिष्टता और सुंदरता
का प्रतीक
मोर
भारत का राष्ट्रीय
पक्षी है। रूप
और गुण दोनों
में मोर अतुलनीय
है। मोर बहुत
सुन्दर और इसके
पंखों में इन्द्रधनुषी
रंग बिखरे हुए
होते हैं। बरसात
के मौसम में
बादलों को देखकर
पक्षी राज मोर
झूम उठता है।
अपने पंखों को
फैलाकर जब यह
नाचता है तो
मोरनी के साथ
साथ सभी इसके
नृत्य के दीवाने
हो जाते हैं।
मोर की ऊंचाई
लगभग डेढ़ दो
फुट होती है
मगर इसका शरीर
कुछ बड़ा होता
है।
वास्तव में
अपने लम्बे लम्बे
पंखों के कारण
यह काफी लम्बा
लगता है। नाचते
वक्त यह अपने
पंख गोल घेरे
में ऊपर उठा
कर फैला लेता
है। मोर के
सिर पर एक
चमकीली रंग बिरंगी
कलगी होती है।
इसकी चोंच थोड़ी
लम्बी और नुकीली
होती है। मोर
के पैर उसकी
तरह सुन्दर नहीं
होते। किस्से कहानियों
में कहा जाता
है हि मोर
अपने पैरों को
देखकर रोता है।
मोरनी मोर की
तरह सुन्दर नहीं
होती, क्योंकि उसके
पंख मोर जैसे
सुन्दर नहीं होते।
मोर हरे भरे
जंगलों और खेतों
के पास ही
रहते हैं। मोर
का प्रिय भोजन
है कीट पतंग
और अनाज के
दाने। मोर सांप
को भी मार
कर खा जाता
है।
हमारे देश
में मोर को
पवित्र माना जाता
है। भगवान कृष्ण
अपने मुकुट में
मोरपंख लगाते थे। मोरपंख
के पंखे भी
बनाये जाते हैं
जो सजावट के
काम आते हैं।
मंदिरों में भी
मोरपंख रखे जाते
हैं। मोर कार्तिकेय
भगवान का वाहन
है एवं मां
सरस्वती का प्रिय
पक्षी है। पतली
टांगें और भारी
शरीर के कारण
मोर अधिक उड़
नहीं सकते। जरूरत
पड़ने पर यह
तेज भाग सकते
हैं। आयुर्वेद में
मोरपंखों का प्रयोग
दवा के रूप
में किया जाता
है। मोर के
नृत्य की नकल
करके मोरनृत्य नामक
नृत्य किया जाता
है। जिसमें नर्तक
मोरपंख लगाकर उसकी तरह
नाचते हैं। साइंस
की भाषा में
मोर को पावो क्रिस्टेटस
कहा जाता है।
वहीं, अंग्रेजी में
इसे पीफाउल और
पीकॉक कहते हैं।
26 जनवरी 1963 को मोर
को राष्ट्रीय पक्षी
घोषित कर दिया
गया। मोर-मोरनी
के सहवास का
समय जनवरी से
अक्टूबर के बीच
में होता है।
मोर भी अन्य
पक्षियों की तरह
की सहवास करता
है। मोरनी
एक बार में
तीन से पांच
अंडे देती है।
ये अंडे सफेद
व पीले होते
हैं। मोर सेक्स
के दौरान अलग-अलग आवाजों
के जरिए मोरनी
को आकर्षित करता
है। हिंदू धर्म
में भी मान्य मोर
शिष्टता और सुंदरता
का प्रतीक है। मोर
पंख को मुकुट
और सिंहासनों पर
लगाया जाता था।
मोेर पंख में
स्याही भरकर लिखने
वाले कवियों ने
इसकी महत्ता को
बताया है। मोर
हिंदू धर्म में
खास तौर पर
मान्य है। भगवान
कृष्ण मोर पंख
को माथे पर
धारण करते थे।
राष्ट्रीय पक्षी एवं पक्षी राज होने
के
कारण
मोर
की रक्षा करना
हमारा कर्तव्य
है।
Bhai tum article (blogger post) achha likhte ho tum ads kyu nhi laga rkha h . Adsense a/c h kya. 🤑🤑
ReplyDelete