Thursday, 31 July 2014

नागचंद्रेश्वर मंदिर ( उज्जैन ) - सर्प दोष से मुक्ति

नागचंद्रेश्वर मंदिर ( उज्जैन ) - सर्प दोष से मुक्ति














महाकालेश्वर मंदिर परिसर में नाग चंद्रेश्वर मंदिर स्थित है । हिन्दू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है । हिन्दू परंपरा में नागों को भगवान का आभूषण भी माना गया है । वैसे तो भारत में नागों के अनेक मंदिर हैं इन्हीं में से एक मंदिर है उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का, जो की उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल में स्थित है । इसकी खास बात यह है कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी (श्रावण शुक्ल पंचमी) पर ही दर्शनों के लिए खोला जाता है । ऐसी मान्यता है कि इस दिन नागराज तक्षक स्वंय मंदिर में मौजूद रहते हैं । 












नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है, इसमें फन फेलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं । कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यंहा लाई गई थी । उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है । माना जाता है कि पूरी दुनिया में यह एक मात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शयया पर विराजमान हैं । मंदिर में स्.थापित प्राचीन मूर्तियों में शिवजी, गणेशजी, और माँ पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शयया पर विराजित हैं । शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं ।














पौराणिक कथा - सर्पराज तक्षक ने शिवशंकर को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी । तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया । मान्यता है कि उसके बाद से तक्षक राजा के प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया । नागचंद्रेश्वर मंदिर काफी प्राचीन है, परमार राजा भोज ने 1050 ईश्वी को इसका निर्माण करवाया था इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोधार करवाया था । इस मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति किसी भी तरह के सर्पदोष से मुक्त हो जाता है । इसलिए नागपंचमी के दिन खुलने वाले इस मंदिर के बाहर भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है ।











 भगवान शिव का एक अनूठा मिसाल है और एक दुर्लभ मूर्ति है - नागचंद्रेश्वर के रूप में शिव की यह दुर्लभ मूर्ति श्रावण के हिंदू पवित्र महीने में ही नागपंचमी पर भक्तों के लिए दर्शन के लिए खुला है । भारत में नगा संस्कृति बहुत प्राचीन है के रूप में यह वास्तव में चमत्कारी है । नागा अखाड़ों विभिन्न धार्मिक विनिर्देशों और नागचंद्रेश्वर दर्शन सभी अखाड़ों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है के अनुसार परिभाषित कर रहे हैं । नागचंद्रेशवर दर्शन ही शुक्ल पक्ष श्रावण के महीने के पांचवें दिन जो साल के एक दिन पर होता है । इस रूप में भगवान शिव अधिक के करीब या चाँद है कि सांप और चंद्र कि नागाओं के साथ जुड़ा हुआ है । नाग चंद्रेश्वर मंदिर की पूजा सभी दुःख और जीवन के कष्ट से राहत मिलती है कि कहा जाता है । मंदिर के दरवाजे चैबीस घंटे के लिए खुले रखे जाते हैं जिससे मास पूजा और पूजा की जा सके । 













नाग पंचमी - सावन माह के दौरान शुक्ल पक्ष पंचमी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है । आमतौर पर नाग पंचमी के दिन के बाद दो दिन बाद हरियाली तीज  का त्यौहार आता है । महिलाएं नाग देवता की पूजा एवं सांप को दूध प्रदान करती हैं तथा वे अपने भाइयों एवं परिवार के कल्याण के लिए प्रार्थना करती हैं । महाकालेश्वर मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित नाग चंद्रेश्वर मंदिर नागपचंमी के अवसर पर केवल वर्ष में एक बार ही खोला जाता है तब लाखों श्रद्धालु प्रार्थना एवं अनुष्ठान के लिए एकत्रित होते हैं । नाग चंद्रेश्वर मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के 3 खंड में स्थित है । इस मंदिर में पूजा करने के बाद जीवन के सभी कष्टों से राहत मिल जाती है । महाकालेश्वर मंदिर में नाग चंद्रेश्वर मंदिर के अवसर पर 12.00 बजे प्रातः पट खोले जाते हैं और मंदिर वे केवल 24 घंटे के लिए खुले हैं । .नाग पंचमी के अवसर पर उज्जैन के नाग चंद्रेश्वर मंदिर में पूजा का विधान है ।









Sunday, 27 July 2014

जामुन - औषधि गुणों का भण्डार

जामुन -  औषधि गुणों का भण्डार












भारत फलों की विविधता की दृष्टि से अनुपम देश है । यहां हर मौसम में स्वादिष्ट व गुणों से भरपूर फल उपलब्ध हो जाते हैं । प्रकृति की ओर से जामुन एक अनमोल तोहफा है । जामुन मीठा होता है लेकिन यह होता है स्वास्थय के लिए बेहद फायदेमंद ।  इसका नियमित सेवन करें  तो आप अपने स्मरण शक्ति में इजाफा होता पायेंगें । जामुन स्वादिष्ट होने के साथ साथ अनेक रोगों की अचूक दवा भी है । जामुन विभिन्न घरेलू नामों जैसे राजमन, काला जामुन, जमाली, ब्लैकबेरी, जम्बू, जामगाछ, जाम्बु और जंबु शाबल नाम से भी जाने वाला बारिश के मौसम को फल है । जामुन प्रकृति में यह अम्लीय और कसैला होता है और स्वाद में मीठा होता है । अम्लीय प्रकृति के कारण सामान्यतः इसे नमक के साथ खाया जाता है । जामुन कई तरह का होता है । जंगली जामुन  का फल खटटा और छोटा होता है  जबकि अन्य प्रकार के जामुन आकार में बड़े और मीठे होते हैं । 












जामुन के गूदे में लगभग 84 प्रतिशत जल होता है साथ ही  इसमें लगभग 14 प्रतिशत कार्बोहाइडेट तथा अल्प मात्रा में प्रोटीन और वसा भी होता है । इसके अतिरिक्त इसमें विटामिन एं, बी, सी, मेलिक ऐसिड, गौलिक एसिड, आक्जेलिक एसिड तथा टैनिन भी होता है । जामुन का फल 70 प्रतिशत खाने योग्य होता है इसमें ग्लूकोज और फ्रक्टोज दो मुख्य स्त्रोत होते हैं फल में खनिजों की संख्या अधिक होती है । अन्य फलों की तुलना में यह कम कैलोरी प्रदान करता है । एक शोध रिपोर्ट अनुसार जामुन की पत्तियां  महिला हार्मोन प्रोजेस्टिरोन के स्त्राव में वृद्धि कर उसे संतुलित रखती है  और विटामिन ई की सात्मयीकरण की क्रिया को उन्नत करती है । जामुन में प्रोटीन, कार्बोहाइडेट तथा कैल्षियम भी बहुतायत में पाया जाता है ।  औसतन 100 ग्राम किलो कैलोरी ऊर्जा , 1.2 मिली ग्राम लोहा, 15 मिली ग्राम कैल्शियम, 15 मिली ग्राम फास्फोरस, 18 मिलीग्राम विटामिन सी, 48 माइक्रोग्राम मिलीग्राम पोटेशियम, 35 मिली ग्राम मैग्नीशियम और 25 मिलीग्राम सोडियम पाया जाता है ।
जामुन की छाल, पत्ते, फल, गुठलियां, जड़ आदि सभी आयुर्वेदिक औषधियों बनाने में काम आते हैं । आयुर्वेद के प्रमुख ग्रंथ चरक संहिता में जामुन की गुठिली चिकित्सा की दृष्टि से अत्यन्त उपयोगी मानी गई है । इसकी गुठली के अंदर की गिरी में ‘‘ जंबोलीन ’’ नामक ग्लूकोसाइट पाया जाता है यह स्टार्च को शर्करा में परिवर्तित होने से रोकता है इसी से मधुमेह के नियंत्रण में सहायता मिलती है ।










जामुन की खूबियां:
1.         जामुन के रस का नियमित रूप से उपयोग आपकी स्मरण शक्ति बढ़ाता है ।
2.         जामुन को मधुमेह के बेहतर उपचार के तौर पर जाना जाता है । डायबिटीज के लिए रामबाण औषधि है जामुन । आयुर्वेद के अनुसार मधुमेह टाइप-2  को नियत्रित करने में भी जामुन सहायक है ।
3.         पाचन शक्ति मजबूत करने में जामुन काफी लाभकारी होता है । जामुन का सिरका पीने से पेट के रोग ठीक हो जाते हैं ।
4.         लीवर से जुड़ी बीमारियों के बचाव में जामुन रामबाण साबित होेता है । जामुन यकृत को शक्ति प्रदान करता है ।
5.         अध्ययन दर्शाते हैं कि जामुन में एंटीकैंसर गुण होता है ।
6.         कीमोथेरेपी और रेडिएष्श्न में जामुन लाभकारी होता है ।
7.         हृदय रोगों, डायबिटीज, उम्र बढ़ना और आर्थराइटिस में जामुन का उपोग फायदेमंद है ।
8.         जामुन का फल मैं खून को साफ करने वाले कई गुण होते हैं  एवं एनीमिया (खून की कमी) के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है । जामुन कर रस, शहद और आंवले का रस बराबर मात्रा में मिलाकर एक दो महीने तक नियमित रूप से लेने से शरीर में रक्त की कमी दूर होती है ।
9.         जामुन पथरी के रोगियों के लिए लाभदायक सिद्ध हुई है ।
10.       जामुन के पेड़ की छाल और पत्तियां रक्तचाप को नियमित करने में कारगर होती है ।
11.       जामुन पत्तों की भस्म को मंजन के रूप में उपयोग करने से दांत और मसूड़े मजबूत होते हैं ।
12.       जामुन वायु, कफ और पित्त का नाश करता है ।












3.       एक मान्यता के अनुसार जामुन का फल गर्भवती महिलाओं को खिलाने से उनके होने वाले बच्चे के हौंठ सुन्दर होते हैं ।
14.       जामुन का रस, शहद, आंवले या गुलाब के फूल का रस बराबर मात्रा में मिलाकर एक दो माह तक प्रतिदिन सुबह के वक्त सेवन करने से रक्त की कमी एवं शरीरिक दुर्बलता दूर होती है । यौन तथा स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है ।
15.       जामुन के रस पर शोध जारी है जिसमें विशेष औषधियों का निर्माण किया जा रहा है जिसमें माध्यम से सिर के सफेद बाल आना बंद हो जाऐंगें ।
16.       जामुन का रस त्वचा का रंग बनाने वाली रंजक द्रव्य मेलानिन कोशिका को सक्रिय करता है, अतः यह रक्तहीनता तथा ल्यूकोडर्मा की उत्तम औषधि है ।
17.       जामुन के कोमल पत्ते, आम के कोमल पत्ते और कैंथ कपास के फल को बराबर मात्रा में मिलाकर पीसें और निचोड़कर रस निकालें । इसमें शहद मिलाकर कान में डालने से कान का बहना रूक जाता है ।







जामुन के पेड़ के विभिन्न भागों के औषधि गुण:
छाल - जामुन की वक्ष की छाल रूखी, कसौली, मलरोधक, पाक में मधुर तथा खटटी होती है । यह पित्त के प्रकोप को दूर करती है तथा रक्त विकारों को दूर कर रक्त साफ करती है । गले के रोगों तथा कफ को दूर करने में भी यह सहायक होती है । अतिसार होने पर भी इसका प्रयोग किया जाता है । जामुन की छाल जलाकर उसकी राख को शहद के साथ चबाने से भी उल्टियों में लाभ पहुंचता है । जामुन की वक्ष की छाल के काढ़े से जख्म धोने से जख्म भरने में मदद मिलती है ।
गठिया के उपचार में भी जामुन बहुत उपयोगी है इसकी छाल को खूब उबालकर बचे हुए घोल का लेप घुटनों  पर लगाने से गठिया में आराम मिलता है ।
पत्ते - जामुन के कोमल पत्ते वमन होने पर चबाने या उसके पत्तों का रस पीने से लाभ पहंुचता है । जामुन के कोमल तथा ताजे पत्तों को पानी में घोटकर कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक होते  हैं । इसकी कच्ची कोपलें चबाने या उनका रस निकाल कर मुंह में डालने से भी छालों में आराम मिलता है । जामुन  के पत्तों की राख में थोड़ा सा सेंधा नमक पीसकर मिला लें । इस मंजन के प्रयोग से सभी दंत विकार दूर हो जाएगे । जामुन की पत्ती के रस मंे दूध, शहद और शहद की मात्रा से आधा घी मिलाकर पीने से खूनी दस्त में लाभ पहुंचता है । श्वेत प्रदर के इलाज में भी जामुन की छाल का प्रयोग लाभकारी होता है ।  इसके लिए जामुन की 10 ग्राम छाल को 100 ग्राम पानी में उबालें , 25 ग्राम रहने पर दिन में दो बार दो चम्मच का सेवन करें ।
विषैले जंतुओं के काटने पर जामुन की पत्तियों का रस पिलाना चाहिए । काटे गए स्थान पर इसकी ताजी पत्तियां का पुल्टिस बांधने से घाव स्वच्छ होकर ठीक होने लगता है क्यांेकि जामुन के चिकने पत्तें में नमी सोखने की अदभुत क्षमता होती है ।
फल - जामुन के फल को भोजन पचाने वाला तथा भूख बढ़ाने वाला माना जाता है । जामुन को नमक के साथ खाने या जामुन के रस में सेध्ंाा नमक मिलाकर पीने से भोजन का पाचन ठीक हो जाता है । पेट दर्द, दस्त तथा पेचिश में भी इससे लाभ मिलता   है । अरूचि मंे जामुन को नमक मिर्च के साथ खाना चाहिए ।









जामुन यकृत को उत्तेजित करने वाला होता है । प्रतिदिन प्रातःकाल जामुन के दस ग्राम रस में सेंधा नमक मिलाकर लेने से बढ़ा हुआ यकृत ठीक हो जाता है ।
जामुन का रस, शहद, आंवले या गुलाब के फूल का रस बराबर मात्रा मंे मिलाकर एक दो माह तक प्रतिदिन सुबह के वक्त सेवन करने से रक्त की कमी एवं शरीरिक दुर्बलता दूर होती है । यौन तथा स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है । जामुन के रस में उत्तम किस्म का शीध्र अवशोषित होकर रक्त निर्माण में भाग लेने वाला तांबा पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है यह त्वचा का रंग बनाने वाली रंजक द्रव्य मेलानिन कोशिका को सक्रिय करता है अतः यह रक्तहीनता तथा ल्यूकोडर्मा की उत्तम औषधि है जामुन का सिरका - जामुन का सिरका गुणकारी और स्वादिष्ट होता है । काले पके हुए जामुन साफ धोकर पौंछ लें एक किलो ताजे फलों का रस निकालकर ढ़ाई किलोग्राम चीली मिलाकर शरबत जैसी चाशनी बना लें । इसे एक ढक्कनदार साफ बोतल में भरकर रख लें जब कभी उल्टी-दस्त जैसी बीमारी की शिकायत हो तब दो चम्मच शरबत और एक चम्मच अमृतधारा मिलाकर पिलाने से तुरंत राहत मिल जाती है ।
गुठलियां - गला खराब होने पर जामुन की गुठलियों को पीसकर उसमें शहद मिलाकर गोलियां बना लें । दिन में चार बार दो दो गोलियां चूसने से कुछ दिनों में गला ठीक हो ताजा है ।  जामुन की गुठली को पीसकर मुंहासो तथा फंुसियों पर लगाने से लाभ होता है परन्तु दौरान गर्म तथा खटटे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए ।  मधुमेह के रोगियों के लिए जामुन अमृत के समान है । इसके बीजों में विद्यमान जम्बोलिन शरीर में पहंुचकर भोजन के साथ ग्रहण किए गए स्टार्च को शुगर में नहीं बदलने देता जिससे रक्त में  शुगर सामान्य से अधिक नहीं  हो पाती । जामुन की गुठली की चूर्ण की दो-दो ग्राम मात्रा दिन में दो बार पानी के साथ कुछ दिनों तक लेने से रक्त में शुगर सामान्य स्तर पर आ जाता है । पेशाब में शक्कर जाने पर जामुन के बीज और गुडमार की पत्ती का चूर्ण ठंडे जल के साथ लेना चाहिए । 
 जामुन खाने में कुछ सावधानियां
1.         अधिक मात्रा में जामुन खाने से शरीर में जकड़न एवं बुखार होने की सम्भावना भी रहती है । 2.         जामुन को हमेशा खाना खाने के बाद खाना चाहिए । जामुन को कभी भी खाली पेट नहीं खाना चाहिए । 3.         जामुन खाने के बाद दूध नहीं पीना चाहिए ।
  भारतीय कृषि प्रबंध संस्थान, लखनऊ ने गुठली रहित जर्म प्लाज्म विंध्याचल के पहाड़ी क्षेत्र में लगे जामुन के पेड़ों से लिया गया है जिसका नाम  सी आई एस एच जे-42 , इन बगैर गुठली के जामुन  से जूस तैयार करने में आसानी होगी और अब बगैर गुठली का जामुन जमाएगा रंग ।
 ग्रामीण क्षेत्र में पुराने लोग आम के बगीचे में औसतन 201 के अनुपात में आम व जामुन के पौधे रोपते थे । बढ़ती आवश्कता को देखते हुए लोग इन दिनों जामुन के पेड़ को तरजीह नहीं दे रहे हैं । उन्हें जलावन के लिए उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा  है । जामुन के पेड़ की संख्या इसी रफतार में घटती गयी तो एक समय ऐसा आएगा कि प्रकृति प्रदत्त इस औषधीय पौधे का लोप हो जाएगा ।
‘‘ घट रहे जामुन के पेड़, ग्रामीण औषधि पर खतरा ’’ ?

  

Friday, 25 July 2014

SPIDER LILY – Ornamental flower used for decoration in festival & celebrations.

SPIDER LILY – Ornamental flower used for decoration in festival & celebrations.
















Spider lily  (Lycoris radiata) flower plant originally from China, Korea and Nepal. It flowers in the late summer or autumn , often in response to heavy rainfall. With long strappy leaves, most plants resemble agapanthus when not in flower. However the leaves are a darker green in color and on most species, tend to be held slightly upright and in distinct ranks. 















This upright leave arrangement catches and hides falling leaves making them the perfect low maintenance plant under trees with a high leaf drop. The exotic white flowers have extremely long, hanging petals with a central stamina cup formed from the membranes of the staminodes. The biggest flush of flowers occurs at the start of the rainy season and then the flowers seem to come in flushes coinciding with very wet periods. 













The flowers open in the evening emitting their perfume overnight and generally last 2 to 3 days. The spider lily are so tough, undemanding and always look manicured and presentable. They are bulb-producing perennial plants. The leaves are long and slender, 30-60 cm long and only 0.5 to 2 cm. broad. The flowers divide into two types, those very long, filamentous stamens two or three times as long as the petals and those with shorter stamens not much longer than the petals. 













The fruit is a three valved capsule containing several black seeds.  Many of the species are sterile, reproducing only vegetatively and are probably of hybrid origin. Spider lily are extensively cultivated as ornamental plants in Japan and China. Chinese  people often use them as decorations in festivals or celebrations. Spider lilies can coexist in the lawn with turf if you avoid mowing while they are flowering and maturing their foliage. They are useful in shrub and perennial borders too.





Palm tree – Symbol of victory, peace and fertility

Palm tree – Symbol of victory, peace and fertility














Palm trees a type of plants, which have many variety and these are well growing plants, there have some types of soft plants and some hard palm plants. Palms are one of the best known and most widely planted tree families. They play important role for humans. Many common products and foods come from palms. Palms are often used in parks and gardens. In the past palms were symbols of victory, peace and fertility. Today palms are a popular symbol for the  tropics and for vacations. Palm tree grow in hot climates and are of two types i.e. Date palm and Coconut palm. 














There are about 2600 species of palm trees, most of them living in tropical, subtropical and warm temperate climates. Most palms are a straight, unbranched stem. Palms have large evergreen leaves that are either ‘fan-leaved’ or ‘feather-leaved’ and arranged in a spiral at the top of the trunk. Palms are in danger of dying out because of human activity. The greatest dangers are from increasingly large cities, mining and turning forests into farmland. Palm plants are indoor plants and it helps to decorate your home or resort.












Palm farming and use – apart from the well-known coconut and date, there are other kinds of food from palms. Palm oil, Sago, heart of palm and palm wine are all eaten or drunk in different parts of the world. Palm oil is used in everything, from cosmetics to food ingredients. Coir is a coarse, water-resistant fibre from the outer shell of coconuts, used in doormats, brushes, mattresses and ropes.















The palm, especially the coconut, remains a symbol of tropical island paradise, the palm tree also represents Oasis.
Indoor palm trees – are slow growing and stay smaller when grown in containers, making them ideal house plants. 1. European Fan Palm., 2. Parlor palm., 3. Pygmy Date Palm.,4. Sago Palm., 5. Kentia Palm.
Over  the past several hundred years, palms have been quite popular as house plants.
  1. Edible fruit producing types of palm trees – coconut, pindo, Banana, canary island, oil, date, saw palmetto, pygmy date and Chilean wine palm.
  2. Types of palm trees for containers – Fishtail, Dwarf palmetto, Pygmy date, Bottle, King sago, Areca or butterfly, lady palms, Triangle, Christmas, Banana, Ruffled Fan plam, Majesty palm, Thatch palms, Old Man palm.
  3. Palm tree types with fan leaves – Thatch palms, Windmill and miniature chousan, Latan palms, Old man palm, Ruffled fan palm, Broad leaf lady, Needle palm, Blue needle, California fan palm, Mediterranean fan, Chinese fan palm, Mexican fan.
  4. Types of palm trees with feather leaves – Royal, Foxtail, Areca palm butterfly, Christmas palm, Parlor palm, Date palms, Pindo, Triangle, Lipstick palm, Pygmy   date, Queen palm, Mule palm, Spindle palm, Red feather, Majesty palm, Kentia palm, King palms.















Palm tree uses – Coconut as fruit, Leaves make great roofs and produce different kind of oil and wax, leaves are eaten by the animals, Wood palm tree uses, for excellent flooring and siding. Wax for scented candles, sealing wax and palm heart.








Crape Jasmine – common flowering, ornamental & medicinal plant

Crape Jasmine  – common flowering, ornamental & medicinal plant













Crape Jasmine a shrub very common in India, generally grows to a height of 6 ft. However, it can also grow into a small tree with thin, crooked stem. Like many members of the Oleander family, stems exude a milky latex when broken.  The large shiny leaves are deep green and are 6 or more inches in length and about 2 inches in width. Crape jasmine blooms in spring but flowers appear sporadically all year. The waxy blossoms are white five-petaled pinwheels that are borne in small clusters on the stem tips. Flowers are commonly used in pooja ( Religious ceremony)  in north and south India. 












A jasmine tree can be placed close to the house – as near as 3 or 4 feet away. If you are planting a row or grouping, place them 3 to 5 feet apart. Give it a spot sheltered from winter winds. Crape Jasmine will grow in large containers as long as watering a regular and sufficient.  Crape jasmine is a fast growing, tropical shrub or small tree 8-15 ft high and about 6 ft or more wide. Prune lightly to shape and to maintain desired size. Crepe jasmine is an attractive evergreen tree with gree twigs and milky sap. 













The shiny, opposite, dark green leaves 3-6 inches long, are ovate and pointed, narrowing into a short stem and clasps the twig. The white, waxy flowers with five or six lobes are 1-2 inches in diameter. They have some fragrance at night and are produced most of the year. ‘’ Flore Pleno ( butter fly gardenia) is a form with clusters of pure white, lacy double flowers and wavy, narrow leaves. ‘’ Grandifolia is a cultivars with larger leaves and double flowers.
Double-Flowering Crape Jasmine – clusters of fragrant, frilly bright white blooms are backed by large, shiny deep green leaves. Use as a screen or hedge. The wonderful sweet fragrance is most pronounced in the everning, Evergreen with large, shiny, deep green leaves.













Crape jasmine flowers are white five petaled flowers are also called ‘’ Pinwheel’’ see, the petals are arranged like the leaves of a pinwheel. Flowering throughout  the year and it is very charming to see these in large groups, especially during early morning and evening when the light is less, as the white colors become outstanding. The flowers are used for preparing medicines for eye diseases and irritations. Moreover these are also used for ‘ poojas’ and in temples. Crape Jasmine is a common flowering, ornamental and medicinal plant of India and it is a shrub type of plant . In Bengali it is known as ‘Tagar’  and its scientific name is ‘ Tabernaemontana Divaricat’. Crape Jasmine plant blooming especially in spring season but in all year it blooms. It has sweet scent and mostly it has five fetals. Crape Jasmine needs regular watering for it growing. This plant use for medicine, this plant is known as herbal plant. The milk of leaves of this plant uses for making medicine of wounds. From its flower make eye drop for eye disease and also oil for skin disease.