Wednesday 3 September 2014

7. विघनेश्वर गणपति मंदिर (ओजर)

7. विघनेश्वर गणपति मंदिर (ओजर)






विघनेश्वर गणपति मंदिर (ओजर) - ज्ञान का हाथी , जिसे 1785 में बनाया गया था और 1967 में श्री आपाशास्त्री जोशी द्वारा फिर बनाया गया ।  ओजर पुणे जिले में जूनर तालुका में है यह पुणे नासिक रोड पर नारायणगावं से जूनर या ओजर होकर 85 किलोमीटर की दूरी पर है । ओजर अष्टविनायक सातवें मंदिर के लिए निर्धारित है । मंदिर विघनेश्वर कुकदेश्वर नदी के तट पर ओजर में है । कथा के अनुसार हेमावती के राजा अभिनन्दना ने एक महान बलिदान प्रदर्शन इंद्र की गददी पाने के लिए किया तो इंद्र ने विघनसुर को बाधा डालने के लिए बुलाया जिसने संतों और दूसरो लोगों को भी परेशान करने लगा तब लोगों के गणपति से अनुरोध किया गणपति ने विघनासुर को परासत किया और विघनासुर गणपति के चरणों में गिर कर आग्रह करने लगा कि उनके साथ उसका नाम लोगों ने लेना चाहिए । विनायक ने उसके अनुरोध को स्वीकार कर उस स्थान को विधनेश्वर या विघनराज के रूप में कहा जाने लगा । पौराणिक कथा के अनुसार विघनासुर नामक दानव संतों को बहुत परेशान कर रहा था गणपति से अनुरोध करने पर उन्होंने उसे रोका तो दानव ने अपने नाम के साथ गणपति को स्वीकार करने का आग्रह किया इसलिए यह मंदिर विघनेश्वर, विघनहर्ता, और विधनहार के रूप में जाना जाता है ।






 यह मंदिर सबसे खूबसूरत मंदिरों में से एक है । मुख्य द्वार के दोनों तरफ दो गार्ड दिखते हैं, एक भव्य प्रवेश द्वार के बाहर एक विशाल आंगन निहित है । मंदिर नाजुक चित्रों ओर नक्काशिंयों से सजा है । भगवान की मूर्ति के बाईं ओर टंªक जबकि चेहरा पूर्व की ओर है, मूर्ति की आंखें कीमती रत्नों से बनी हैं उनके माथे और नाभि को हीरे और अन्य रत्नों से सजाया गया है । मूर्ति के दोनों तरफ रिद्धी और सिद्धी की पीतल की मूर्तियां हैं । मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा को तथा सुरक्षात्मक दृष्टि से सभी चारों पक्षों पर मजबूत किलेबंदी की है मंदिर को बड़े बड़े पत्थरों की दीवार से चारों ओर से घिरा है तथा प्रवेश द्वार पर दो दीप मालाएं (तेल के लैंप के लिए पत्थरों के खम्भों पर) और दो विशाल द्वार पलकस यानि गार्ड दिखते हैं । मुख्य मंदिर दो हाॅल दुंदीराज की मूर्ति के साथ और अन्य सफेद संगमरमर से बना जिसमें पंचयातन यानि सूर्य, शिव, विष्णु, देवी, और गणपति) की मूतियों एवं मंदिर के स्वर्ण गुंबद और शिखर हैं । विघनेश्वर मंदिर 1833 में बनाया गया था और अपनी अनूठी विशेषता चिमाजी अप्पा, बाजीराव पेशवा के छोटे भाई द्वारा दान धन के साथ बनाया गया जिसमें कहा जाता है कि एक शानदार सुनहरा स्र्वण गुंबद है । 



मुख्य द्वार सभामण्डप के प्रवेश द्वार पर  मूसे की एक मूर्ति है । इस मंदिर में गणपति मूर्ति विघनेश्वरा सभी बाधाओं को दूर करने के लिए अवतार लिया है । इस मंदिर के देवता की पूजा से लोगों की सभी समस्याओं का हल उन्हें मिल जाता है । मंदिर विघनेश्वर अपनी शानदार भिति और मूर्तिकला काम के लिए जाना जाता है । भव्य प्रवेश द्वार, एक बड़ा आगन और ध्यान के डिजाइन किए हुए छोटे कमरे हैं । ओजर कुकादी नदी के तट पर है और नदी पर बना येदागांव बांध के पास है ।


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