फलों का औषधीय उपयोग
फल विश्व का सबसे स्वादिष्ट भोजन
है, फल ऐसा भोजन है जिन्हें खाया भी जाता है और रस निकालकर पिया भी जाता है अनेक
प्रकार के नमकीन व मीठे व्यंजनों में फलों का प्रयोग होता है । कहीं स्वाद के लिए,
कहीं रंग लाने के लिए तो कहीं सुगंध के लिए । फल विटामिन, रेशों और खनिज के
सर्वश्रेष्ठ स्त्रौत है । हमें प्रकृति ने कई ऐसे फल प्रदत्त किये हैं जिनका उपयोग
औषधीय के रूप में किया जाता है । भारत में विविध प्रकार की जलवायु होने से सभी
प्रकार के फल आसानी से पैदा होते हैं । आज भी आयुर्वेद में प्राकृतिक चिकित्सा का
ही महत्व है । फलों के महत्व एवं 37 तरह के फलों जैसे आडू, आलू बुखारा, आम,
अन्नानास, अखरोट, अमरूद, अनार, अंगूर, अंजीर, एवोकैडो (रूचिरा), बादाम, बेर, चेरी,
चीकू, नारियल (श्रीफल), इलायची, जामुन, काजू, खरबूजा, खजूर, केला, कीवी, खुबानी,
नीबू, लीची, मौसंबी, नाशपाती, पपीता, पिस्ता, सेब, शहतूत, संतरा, ंिसंगाड़ा,
सीताफल, स्टार फल और स्ट्राॅबेरी के बारे में विस्तृत जानकारी जिसमें उनके औषधीय
गुण, पोषक मान और किन किन बीमारियों में उपयोगी का विस्तृत विवेचन प्रस्तुत किया
गया है । अगर आप फलों के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो उपरोक्त पुस्तक जिसे
कृषक दूत, हबीबगंज, भोपाल से प्रकाशित प्राप्त कर सकते हैं ।
1. आडू (प्रूनस पर्सिका)
आडू (प्रूनस पर्सिका) पर्वतीय
क्षेत्र का अदभुत फल है । अपने उत्तम स्वाद और आकर्षक रंग के कारण आडू को ताजे
खाने वाले फलों में शीर्ष स्थान पर माना जाता हे । फलों के सेवन से उम्र के असर को
करे बेअसर । आडू में जरूरी एंटी आॅक्सीडेंट होते हैं जो वृद्धावस्था की प्रक्रिया
का मुकाबला करने में सक्षम होते हैं । आडू से बने फेस पेक लगाने से चेहरा चमकदार
और कोमल बनता है । आडू त्वचा को स्वस्थ्य बनाने में मदद करता है । आडू में 80
प्रतिशत पानी तथा यह फाइबर का अधिक स्त्रोत होने से वजन कम करने मे मदद करता है ।
आडू में रेचक प्रभाव और शक्तिशाली मूत्रवर्धक प्रभाव है । यह गठिया और गठिया से
पीड़ित लोगों के लिए लाभकारी है । आडू निम्नलिखित रोगों जैसे अम्लरक्तता,
रक्ताल्पता, दमा, मूत्रालय और गुर्दे की पथरी, ब्रोंकाइटिस, कब्ज, सूखी खांसी, जठर
शोथ, उच्च रक्तचाप, नैफ्रैटिस और गरीब पाचन में लाभकारी है । ताजा आडू में विटामिन
सी भरपूर होता है जो एंटी आॅक्सीडेंट जो शरीर के संक्रामक एजेंटों के खिलाफ
प्रतिरोध के विकास और हानिकारक मुक्त कण को मदद करता है । आडू लाल रक्त कोेशिका का
निर्माण, हडिडयों और दांतो मजबूत बनाता है , दंत क्षय की रोकथाम करता है ।
पोटेशियम दिल की दर और रक्तचाप को नियत्रिंत करने में मदद करता है । आडू का फल
हायपर-इम्यून-रेस्पोंस जैसे: किसी प्रकार की एलर्जी की स्थिति उत्पन्न होने पर इसे
कंट्रोल करने में मददगार होता है खासकर उस जगह पर जहां किसी कीड़े आदि के काटने से
सूजन आदि उत्पन्न हो गयी हो तो बस इसके फलों के रस को लगाने मात्र से एलर्जी जनित
सूजन एवं लालिमा कम हो जाती है । आडू का फल तनाव एवं एंजायटी एवं नींद न आने की
समस्या को दूर करने में भी मददगार होता है अतः इसका नेचुरल-सेडेटिव के रूप में
प्रयोग किया जा सकता है ।
2. आलूबुखारा
आलूबुखारा एक स्वास्थ्यवर्धक फल है
। आलूबुखारा एक बहुत ही शानदार लैग्जेटिव (पेट साफ करने वाला) है । आलूबुखारा खाने
से पेट सम्बंधी समस्याएं कम होती हैं और पाचन क्रिया भी दुरूस्त रहती है । इसमें
फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं । जिससे शरीर स्वस्थ्य रहता है । इसमें फ्रैंडली
बैक्टीरिया होते हैं जो की पाचन क्रिया को लाभ प्रदान करते हैं । इसके सेवन से पेट
में भारीपन नहीं होता है और आंतों को भी आराम मिलता है । अगर गर्भवती महिलाएं एवं बच्चे कब्ज की समस्या
से जूझ रहे हों तो उन्हें आलूबुखारा खाने की सलाह दी जाती है विशेषकर तब जब इन्हें
अच्छी तरह धोकर छिलके समेत खाया जाता है । इसमें फाइबर होने से यह कब्ज दूर करता
है । आलूबुखारा में अधिक मात्रा में एंटीआॅक्सीडेंटस होते हैं जो शरीर को कई
बीमारियों से सुरक्षित रखते हैं और शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता में बढढोत्तरी करते
हैं । इसमें कई कैमिकल भी होते हैं जो मष्तिस्क की कार्य प्रणाली को तेज करते हैं
। ये फैट लेयर को भी प्रोटेक्ट करता है । कई बार शरीर की फैट लेयर अवांछनीय
रेडिकल्स और टाॅक्सिन से डेमेज हो जाती है
लेकिन आलूबुखारा खाने से ऐसा नहीं होता है । इसके सेवन से शरीर से टाॅक्सिन
भी बाहर निकलने में मदद करता है । आलूबुखारे के जूस को नियमित लेने से कैंसर जैसे
रोग के खतरे को काफी हद तक टाला जा सकता है क्योंकि आलूबुखारे में एंडी आॅक्सीडंेटस
की मात्रा बहुत अधिक होती है । आलूबुखारा में बीटा कारटोनेस होता है जो शरीर में
होने वाले कैंसर को रोकता है । इसके सेवन से फेफड़ों और मुंह का कैंसर नहीं होता है
। महिलाओं में रजोनिवृति के बाद होने वाली समस्याओं में आलूबुखारा सेवन पौष्टिक
तत्वों के संतुलन को बनाए रखता है । आयु बढ़ने के साथ ही हडडी टूटने का खतरा बढ़
जाता है आलूबुखारा हडिडयों को मजबूती प्रदान करता है
3. आम
आम भारत का राष्टीय फल है आम का
वृक्ष एक फूलदार बड़ा स्थलीय वृक्ष है । आम फल एक बीज वाला सरस और गूदेदार होता है
आम का फल विश्व प्रसिद्ध स्वादिष्ट फल है इसे फलो का राजा कहा गया है । आम ब्लड
प्रेशर को नियंत्रित करता है - आम में प्रचुर मात्रा में विटामिन पाए जाते हैं जिससे स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है ।
हाई ब्ल्ड पे्रशर के रोगी के लिए आम एक प्राकृतिक उपचार है क्योंकि इसमें पोटेशियम
( 156 मिलीग्राम में 4 प्रतिशत) और मैग्निशियम (9 मिलीग्राम में 2 प्रतिशत) भारी
मात्रा में पाऐ जाते हैं । आम कैंसर के खतरे को कम करता है और कोलेस्ट्रोल की
मात्रा घटाता है - आम में एक घुलनशील आहार संबंधी फाइबर पेक्टिन पाया जाता है ।
पेक्टिन ब्लड कोलेस्ट्रोल लेवल को कम करने में प्रभावी रूप से कार्य करता है । यह
हमें ग्रंथि में होने वाले कैंसर से भी बचाता है । आम वजन बढ़ाने में मददगार - आम
का सेवन करना वजन बढ़ाने का सबसे आसान तरीका है । 150 ग्राम आम में करीब 86 कैलोरी
ऊर्जा होती है जो हमारे शरीर द्वारा आसानी से अवशोषित कर ली जाती है । इतना ही
नहीं आम में स्टार्च पाया जाता है जो शूगर में परिवर्तित होकर अंततः वजन को बढाता
है ।
4. अनन्नास
अनन्नास दुनिया का सबसे लोकप्रिय
उष्णकटिबंधीय फल है । अनन्नास एंटी आॅक्सीडेन्ट से भरपूर है इसमे ब्रोमिलेन एंजाइम
और विटामिन सी का समृद्ध स्त्रोत है जो मुक्त कण के खिलाफ शरीर से लड़ने में मदद
करते हैं । अनन्नास पौषक तत्वों से भरपूर
है इसमें कैल्शियम, फाइबर, विटामिन सी और मैग्निशियम भरपूर होते हैं । यह सभी आयु
समूहों के लिए फायदेमंद है ।
अनन्नास हडिडयों की मजबूती के
लिए: अनन्नास रस में मैग्निशयम और
कैल्शियम की प्रचुर मात्रा होती है जो
हडिडयों और संयोजी ऊतक के निर्माण में मदद करता है तथा उन्हें मजबूत कर स्वस्थ्य
रखता है । पाचन तंत्र को सुदढ़ बनाता है -
ब्रोमिलेन प्रोटीन को पाचन में प्रभावी अनन्नास फाइबर पाचन को नियंत्रित करता है ।
रस पेट के कीड़ों को समाप्त करता है । अनन्नास प्राकृतिक मूत्रवर्धक है यह गुर्दे
और जिगर से विषाक्त पदार्थो को निकालता है
5. अखरोट
अखरोट में आमेगा 3 फैटी एसिड,
प्रोटीन, फाइबर और एंटी आॅक्सीडेंटस अच्छी मात्रा में हैं ।वजन घटाने के लिए -
आमेगा 3 फैटी एसिड शरीर के बैड कोलेस्टाॅल को कम करता है और मोटापा घटाने में मदद
करता है । रोगों से बचाव - एन-3 फैटीएसिड बी पी, आर्टीज संबंधी रोग, स्ट्रोक,
ब्रेस्ट कैंसर और पेट के कैंसर से बचाव में मदद करता है । पौरूष बढ़ाता है - एंटी आॅक्सीडेंन्टस के साथ
ही जिंक, पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे मिनिरल्स पुरूषों में वीर्य बढ़ाते हैं ।
फोलेट फर्टिलिटी बढ़ाने में मददगार है । नींद मंे सहायक- अखरोट नींद लाने में बहुत
लाभकारी है क्योंकि इसमें से एक हार्मोन निकलता है जिसका नाम मिलाटोनिन होता है
जिससे आराम मिलता है अच्छी नींद पाने के लिए यह सही राशि में मिलाटोनिन रिलीज करता
है । मधुमेह - यह रक्त वाहिकाओं को फेला
देती हैं और मैटाबाॅलिक सिंड्रोम को कम कर देता है इससे डायबिटीज कंट्रोल में रहती
है । अखरोट में सबसे ज्यादा विटामिन ई और प्रोटीन पाया जाता है इसमें मीट के
मुकाबले ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है तो अगर आप वेजिटेरियन हैं तो इसे रोजाना खाने
की आदत डाल लें । अखरोट हमारी त्वचा और बालों के लिए भी काफी फायदेमंद होता है ।
अखरोट प्रोटीन के अच्छे स्त्रोत हैं । अखरोट एल्जाइमर बीमारी का खतरा कम होता है ।
बादाम को दिमाग के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है क्योंकि इसमें विटामिन ई अधिक
मात्रा में होती है । दांतों के लिए अखरोट के स्वास्थ्य गुणों के कारण डेंटिस्ट भी
इसके सेवन की सलाह देते हैं । अखरोट में आमेगा 3 फैटी एसिड होता है और यह अस्थकमा,
रयूमेटायड अर्थाराइटिस, त्वचा की समस्याओं एक्जीमा और सोरियासिस जैसी बीमारियों से
सुरक्षा करता है । । विटामिन ई - गामा-टाकोफेराॅल अखरोट में बड़ी मात्रा में पाया
जाता है । गामा टोकोफेरोल हदय रोगों में विशेष रूप से लाभकारी है । हदय को सुरक्षा
प्रदान करता है । मेटाबोलिक सिंड्रोम पर नियंत्रण - अखरोट में एंटीआॅक्सीडेंट और
जलन को कम करने के गुण होते हैं । ऐसे में पाचन संबंधी रोगों को दूर करने में
अखरोट की अच्छी भूमिका होती है । इसके अलावा हदय रोगों और टाइप टू डाइबिटीज को
नियंत्रण में रखने का भी अच्छा गुण अखरोट में होता है । अखरोट के यह गुण कुछ खास
तरक के कैंसर जैसे छाती और प्रोस्टेट कैंसर को कम करने में मददगार माने जाते हैं ।
6. अमरूद
अमरूद स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त
लाभदायक फल है । अमरूद के लिए गर्म तथा शुष्क जलवायु सबसे अधिक उपयुक्त होती है ।
भारत में अमरूद की प्रसिद्ध किस्में इलाहाबादी सफेदा, लाल गूदेवाला, चित्तीदार,
करेला, बेदाना तथा अमरूद सेब हैं । अमरूद स्वास्थ्य के लिए एक अदभुत फल है । अमरूद
बाहर से देखने पर हरे तथा पीले रंग के और अंदर से सफेद और लाल रंग के होते हैं ।
ये अपने कुरकुरे और मीठे स्वाद के कारण जितना पसंद किये जाते हैं उससे भी अधिक
अपने गुणों के कारण खाये जाते हैं । अमरूद खाने में खटटे और मीठे दोनों तरह के
स्वाद से बने इस फल की खासियत यह है कि यह हर आदमी की पहुंच में आने वाला सहज
उपलब्ध फल है । अमरूद मुंह के छालों से
दिलाता है आराम, शरीर करता है फिट एवं फाइन, आंखों को बनाएं स्वस्थ्य, त्वचा पर
लाए ग्लो, अमरूद खाकर आप मोटापा घटा सकते हैं तथा यह नशे को कम करता है । अमरूद
में विटामिन सी जो एंटी आॅक्सीडेंट रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है इसे सुपर फल का
दर्जा दिया गया है । अमरूद में लाइकोपीन नामक एंटी आॅक्सीडेंट और कैरोटीन जो कैंसर
से रक्षा करते हैं । अमरूद बवासीर रोगियों के लिए बहुत लाभदायक है यदि वे इसे खाली
पेट खाए अधिक लाभ मिलेगा । अमरूद पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर भगाने में बेहद
कारगर है । अमरूद कब्ज को दूर करता है यदि आप रोज अमरूद खाएंगें तो आंतों को तरावट
मिलेगी और शौच सरल हो जावेगा । अमरूद में पेट के समस्त विकारों को दूर करने की
अदभुत शक्ति है । अमरूद के पत्तों को
चबाने से दांतों की पीड़ा एवं दांत संबंधी अन्य रोग दूर हो जाते हैं । अमरूद को
खाकर मोटापा कम किया जा सकता है क्योंकि शरीर में मोटापे का मुख्य वजह कोलेस्टाल
होता है और अमरूद में मौजूद तत्व शरीर से कोलेस्टाल को कम कर देता है जिससे मोटापा
घट जाता है ।
7. अनार
अनार एक स्वास्थ्य वर्धक फल है
जिसे सभी अनार, दाडम या दाड़िम आदि अलग अलग नाम से जानते हैं । अनार का जन्मस्थल
अरब देश है । अनार में एंटीआॅक्सिडेंट, एंटीवायरल, और एंटी टयूमर गुण पाए जाते हैं
। अनार विटामिन्स का भी एक अच्छा स़्त्रोत
है इसमें विटामिन ए, सी और ई भरपूर मात्रा में पाया जाता है । अनार में हरी चाय और
वाइन के मुकाबले तिगुना एंटीआॅक्सिडेंट
मौजूद होता है । अपच होने पर अनार के रस एक चम्मच, आधा चम्मच सेंका हुआ जीरा पीसकर
तथा गुड़ मिलाकर लेना चाहिए । प्लीहा और यकृत की कमजोरी तथा पेटदर्द अनार खाने से
ठीक हो जाते हैं । अनार कब्ज दूर करता है, मीठा होने पर पाचन शक्ति बढ़ाता है इसका
शर्बत एसिडिटी को दूर करता है । दस्त तथा पेचिश में - 15 ग्राम अनार के सूखे छिलके
और दो लौंग लें । दोनों को एक गिलास पानी में उबालें । फिर पानी आधा रह जाए तो दिन
में तीन बार लें । इससे दस्त तथा पेचिश में आराम मिलता है । दुःसाध्य खांसी में
जवाखार आधा तौला, कालीमिर्च एक तौला, पीपल दो तौला, अनार दाना चार तौला, बन सबका
चूर्ण बना लें फिर आठ तौला गुड़ में मिलाकर चटनी बना लें । चार चार रत्ती की
गोलियां बना लें । गरम पानी से सुबह, दोपहर, शाम एक एक गोली लेंगें तो दुःसाध्य
खांसी मिट जाती है । बच्चों की खांसी अनार के छिलकों का चूर्ण आधा आधा छोटा चम्मच
शहद के साथ सुबह शाम चटाने से मिट जाती है । अनार कर रस नित्य पीने से कृमि नष्ट
हो जाते हैं । अनार रक्तसंचार वाली बीमारियों से लड़ता है, उच्च रक्तचाप को घटाता है
।
अंगूर एक सुगंधित लता वाला बलवर्धक
एवं सौन्दर्यवर्धक फल है । फलों में अंगूर को सर्वोत्तम माना जाता है । अंगूर फल
मां के दूध के समान पोषक है यह निर्बल-सबल, स्वस्थ्य-अस्वस्थ्य आदि सभी के लिए
समान उपयोगी होता है । अंगूर में ग्लूकोस और डेक्ट्रोस पाए जाते हैं, जो शरीर के
अंदर ऊर्जा उत्पन्न करते हैं । बहुत से ऐसे रोग हैं जिसमें रोगी को कोई पदार्थ
नहीं दिया जाता है उसमें भी अंगूर दिया जा सकता है । अंगूर सारे भारत में आसानी से
उपलब्ध फल है । पका हुआ अंगूर तासीर में ठंडा, मीठा और दस्तावर होता है । अंगूर फल
मीठा और स्वादिष्ट है यह केवल एक लाभदायक फल नहीं बल्कि इसे एक सम्पूर्ण आहार की
संज्ञा दी है । अंगूर हरे और काले के साथ ही लाल, गुलाबी, नीले, बैंगनी, सुनहरे और
सफेद रंगों के होते हैं । अंगूर की पांच जातियों में तीन हरे और दो काले रंग की
होती है । काले अंगूर (मुनक्का), बैंगनी अंगूर, लम्बे अंगूर, छोटे अंगूर, बीज रहित
अंगूर जिन्हें सुखाकर किशमिश बनाई जाती है । अंगूर के सेवन से फेफड़ों में जमा कफ
निकल जाता है इससे खांसी में भी आराम आता है अंगूर जी मिचलाना, घबराहट, चक्कर आने
वाली बीमारियों में भी में भी लाभदायक है । श्वांस रोग व वायु में भी अंगूर का
प्रयोग हितकर होता है । लाल अंगूर में रिस्वेराट्रोल रसायन हृदय को वृद्धावस्था के
प्रभावों से सुरक्षित रखता है इसलिए इसे आयु बढ़ाने वाला प्रसिद्ध फल है । फलों में
यह सर्वोत्तम एवं निर्दोष फल है । निरोगी के लिए यह उत्तम पौष्टिक खाद्य है तो
रोगियों के लिए बलवर्धक भोजन है । काले अंगूरों में ओरोस्टिलवेन नामक पदार्थ पाया
जाता है जो एक एंटी-आॅक्सीडेंट हैं । अंगूर के अनगिनत लाभों में एक है अवसाद दूर
करने के लिए अंगूर मंे असाधारण प्रभाव होता है । अंगूर दुख व चिंता और तनाव दूर
करने में अत्याधिक प्रभावशाली है । अंगूर का पोटेशियम प्रफुल्लता प्रदान करता है
और हृदय गति को नियंत्रित करने में प्रभावी है । अंगूर शरीर से विषैले पदार्थो को
बाहर निकालता है । रक्त को साफ करता है और रक्तवर्धक होने के कारण सुस्ती दूर करता
है । शरीर के किसी भी भाग से रक्त स्त्राव होने पर अंगूर के एक गिलास ज्यूस में दो
चम्मच शहद घोलकर पिलाने पर रक्त की कमी को पूरा किया जा सकता है । अंगूर का शरबत
‘‘ अमृत तुल्य’’ माना गया है । अंगूर को बदहजमी, उच्चरक्त चाप और चर्म रोगों
में अत्यधिक लाभदायक मानते हैं ।
अंजीर विश्व के सबसे पुराने फलों
में से एक है । यह फल रसीला और गूदेदार होता है । इसका रंग हल्का पीला, गहरा
सुनहरा या गहरा बैंगनी हो सकता है । अंजीर अपने सौंदर्य एवं स्वाद के लिए प्रसिद्ध
है । अंजीर एक स्वादिष्ट, स्वास्थ्यवर्धक और बहु उपयोगी फल है । नाशपाती के आकार
के इस छोटे से फल रसीला और गूदेदार होता है । छिलके के रंग का स्वाद पर कोई प्रभाव
नहीं पड़ता है । इसे पूरा का पूरा छिलका बीज और गूदे सहित खाया जाता है । अजीर अपने
खटटे-मीठे स्वाद के लिए एक स्वादिष्ट एवं बहुउपयोगी, स्वास्थ्यवर्धक फल है जिसका
उपयोग हम पकवानों में बेहतरीन स्वाद के लिए करते हैं । अंजीर रसीला और गूदेदार
जिसके छिलके के रंग का स्वाद पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है । इसका स्वाद मीठा होता
पर इस बात पर निर्भर करता है कि यह कितना पका है
? .ंअंजीर एक विदेशी पेड़ का फल है जो गूलर के समान होता है यह जंगलों में
पाया जाता है इसे लोग बनगूलर के नाम से भी पुकारते हैं । अंजीर एक ऐसा फल है जो
जितना मीठा है । उतना ही लाभदायक भी है । अंजीर के सूखे फल बहुत गुणकारी होते हैं
। अंजीर पोटैशियम का अच्छा स्त्रौत है जो ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर को नियंत्रित
रखने में मदद करता है । अंजीर में फाइबर होता है जो व.जन को संतुलित रखता है और
मोटापे को कम करता है । सूखे अंजीर में फेनोल, ओमेगा 3, ओमेगा 6 होता है जो
कोरोनरी हार्ट डिजीज के खतरे को कम करने में मदद करता है । अंजीर में कैल्शियम
बहुतायत में होने से हडिडयों को मजबूत करता है । अजीर में पोटैशियम अधिक और सोडियम
कम होता है जो हाइपरटेंशन की समस्या से बचाता है । अंजीर खाने से सर्दी-जुकाम,
अस्थमा, अपच जैसी व्याधिंया दूर हो जाती हैं । कब्ज होने पर गरम दूध में सूखे
अंजीर को सेवन लाभकारी होता है । ताजे अंजीर खाकर ऊपर से दूध पीना अत्यन्त
शक्तिवर्धक एवं वीर्यवर्धक होता है । खून की खराबी में सूखे अंजीर को दूध एवं
मिश्री के साथ लगातार एक सप्ताह सेवन करने से खून के विकार नष्ट हो जाते हैं ।
अंजीर को बीच से आधा काटकर एक ग्लास पानी में रात भर के लिए भिगो दें सुबह उसका
पानी पीने से अंजीर खाने से रक्त संचार बढ़ता है । अंजीर दमा के रोगियों के लिए
बहुत लाभकारी है यह बलगम (कफ) को निकालता है तथा दमा /अस्थमा रोग को मिटाता है ।
10. एवोकैडो
एवोकैडो मूल रूप से अमेरिकी
महाद्वीप से आया यह फल भारत में मखनफल के नाम से मिलता है । इस फल में विटामिन ई
भरपूर मात्रा में होता है । एवोकैडो में एंटी-आॅक्सीडेंटस भी होते हैं जो त्वचा की
सुरक्षा करती है । एवोकैडो आपकी स्किन की कोशिकाओं को दोबारा बनने में मदद करता है
और इससे आपकी त्वचा को जवां और ताजा लुक मिलता है । एवोकैडो कुदरती एंटी इन्लैमटरी तत्व होते हैं, जो जलन
कम करते हैं । इसमें विटामिंस और पोषक तत्व भी होते है। 1-2 एवोकैडो को काटकर बीच
वाला हिस्सा (गूदा) मसल लें । इसमें थोड़ा आॅलिव आॅयल और ऐलोवेरा जेल मिलाकर लगाएं
। तब तक लगा रहने दें जब तक कि इसका रंग बदल न जाए । फिर त्वचा को गीला करके गीली
रूई से हलके से साफ करें । अब ठंडे पानी से धो लें । एवोकैडो यानि रूचिरा नामक
पहाड़ी फल के सेवन से कामेच्छा बढ़ाने में मदद मिलती है । इसमें फोलिक एसिड,
प्रोटीन, विटामिन बी 6 और पोटैशियम अच्छी मात्रा में है जो सेक्स पावन बढ़ाने और
ऊर्जा देने में मददगार है । इसका नियमित सेवन महिलाओं में फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए
भी फायदेमंद है ।
बादाम (आॅल्मडं, प्रूनुस
आमाइग्डेलस) एक तरह का पेड़ के बीज/गिरि
मेवा होता है। आयुर्वेद में इसके बुद्धि और नसों के लिए गुणकारी बताया गया
है । बादाम से ऐसे पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जो कि मस्तिष्क के विकास के लिए बहुत
अच्छे होते हैं । ये बच्चों के मस्तिष्क के लिए बहुत ही फायदेमंद रहते हैं । गर्मी
के दिनों में 8-10 बादाम की गिरी को रात में पानी भिगोकर सुबह छिलका उतार कर खाना
चाहिए । पढ़ने वाले बच्चों के लिए तो यह बहुत ही फायदेमंद हैं । रोजाना बादाम की 5-8
गिरी खाने से केलोस्ट्रोल भी रहता है । बादाम के अंदर मोनो सेचूरेटेड फेट प्रोटीन
और पोटेशियम होता है जो कि हृदय के लिए बहुत अच्छे होते हैं । बादाम के अन्दर
विटामिन ई भी होता है जो कि एंटी आॅक्सिडेंट की तरह कार्य करता है और हृदय की
बीमारियों के खतरे को कम करता है । बादाम के अन्दर मैग्नीशियम भी होता है जो दिल
के दौरे को ठीक करने में मदद करता है । बादाम के अन्दर पोटेशियम होता है जो कि
ब्लड प्रेशर को स्वस्थ्य रखता है । इसको खाने से कोलन कैंसर से बचा जा सकता है
। बादाम खाना खाने के बाद शुगर और
इंसुलिन को लेवल बढ़ने से रोकता है । जिससे शुगर की बीमारी से बचा जा सकता है ।
याददाश्त कमजोर है तो बादाम अचूक इलाज है । बादाम की 10 गिरी रात को पानी में
भिगोकर सुबह छिलका उतारकर बारीक करके 20 ग्राम मक्खन, 10 ग्राम मिश्री मिलाकर एक
महीने तक खाएं । दिमाग की कमजोरी दूर हो जाएगी और याददाश्त अच्छी हो जाएगी । सिर
दर्द होता है तो माथे पर बादाम का तेल लगाएं ।
अगर बादाम के तेल की मालिश सिर में करें तो सिरदर्द जल्द ही ठीक हो जाएगा ।
बाल कमजोर हैं तो बादाम का तेल कारगर साबित होगा । स्वस्थ्य बालों के लिए विटामिनस
बी और सी के साथ कैल्शियम की विशेष जरूरत होती है । रोज तीन-चार भीगे हुए बादाम खाने से न सिर्फ बाल मजबूत होते हैं,
नाखून व त्वचा भी चमकदार हो जाती है । बादाम में पोटेशियम अधिक मात्रा में होती है
और सोडियम कम मात्रा में । इसके कारण
इसके सेवन से रक्त का संचार ठीक रहता है
और पूरे शरीर में अच्छल तरह आॅक्सीजन पहुंचता है । कैल्शियम का भी अच्छा स्त्रोत
है बादाम । इस कारण हडिडयों और दांतों को तो मजबूत करता ही है, आॅस्टियोपोरोसिस के
खतरे को भी कम करता है । अगर आप काफी मोटे हैं, हाई बीपी की समस्या है और ब्ल्ड
सूगर भी काफी है तो आपको दिल की बीमारी का खतरा अधिक होगा । लेकिन बादाम का नियमित
सेवन आपको इन खतरों से बचा सकता है ।
12. .बेर
बेर भारत का बहुत ही प्राचीन एवं
लोकप्रिय फल है । सस्ता एवं लोकप्रिय फल होने के कारण इसे गरीबों का मेवा भी कहा
जाता है । बेर कई रंगों पीले, हरे, लाल, बैंगनी, और गहरे कथई के होते हैं । बेर की
विशेषताएं- पका बेर बहुत मीठा, ज्यूसी व नरम होता है । बेर में छिपा है सेहत का
खजाना । बेर कई रंगों में जैसे पीला, हरा, लाल, बैंगनी, गहरा कथई में पाए जाते हैं
। बेर हमारे लिए एक बहुउपयोगी और पोषक फल है इसमें विटामिन ए और विटामिन सी की
प्रचुर मात्रा होती है । बेर ठंडा, रक्त रोधक, नेत्र ज्योति बढ़ाता है । रक्तातिसार
और आंतों के घाव ठीक करता है । भूख और वीर्य बढ़ाता है । त्वचा में कट या घाव होने
पर फल का गूदा घिसकर लगाने से कटा हुआ स्थान जल्दी ठीक हो जाता है । फेफड़े संबधी
बीमारियों व बुखार ठीक करने के लिए इसका ज्यूस अत्यन्त गुणकारी है । बेर को नमक और
काली मिर्च के साथ खाने से अपच की समस्या दूर होती है । सूखे बेर खाने से कब्जियत
दूर होती है । बेर को छाछ के साथ लेने से भी घबराना, उल्टी होना व पेट में दर्द की
समस्या खत्म हो जाती है । बेर की जड़ों का ज्यूस की थोड़ी मात्रा में पीने से गठिया
एवं वात जैसेी बीमारियों को कम किया जा सकता है । बेर के शरीर के लिए अत्यंत
लाभदायक व स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ आम आदमी की पहंुच में है । हर वर्ग का
व्यक्ति इसे आसानी से उपयोग में ले सकता है ।
चेरी पौष्टिक एवं स्वास्थ्यप्रद फल
है । चेरी (प्रूनस एवियम) एक चमकीले लाल रंग का रसदार फल है जो ताजा खाया जा सकता
है । चेरी एक अविश्वसनीय स्वादिष्ट खटटा - मीठा फल है जो विभिन्न तरह के भोज्य
पदार्थो में उपयोग किया जाता है । अपने चटख लाल रंग और शानदार खटटे-मीठे स्वाद के
कारण चेरी को ‘‘ रेड हाॅट सुपर फल ’’ का दर्जा दिया गया है । छोटे से बीज और रसीले
गूदे वाली चेरी पौष्टिक तत्वों से भरपूर और स्वास्थ्यवर्धक गुणों की खान है । चेरी
के पतले लाल रंग के छिलके में पोली
फिलोनोलिक फलेवोनोयड जैसे एंटी आॅक्सीडेंट गुण पाये जाते हैं । यूरोप और यूनान में
चेरी की खेती के साक्ष्य मिलते हैं । आज चेरी विश्व भर में निर्यात होती है । भारत
में जम्मू काश्मीर और मनाली में चेरी की बागवानी की जाती है । सुन्दर सुगंधित चेरी
फूल वसंत का अनुष्ठान करते हैं । चेरी में मौजूद क्यूर्सेटिन और बीटा कैरोटीन हृदय
रोगों को रोकने में मदद करता है । चेरी में पोटेशियम रक्त में मौजूद सोडियम को कम
करता है जिससे रक्तचाप पर प्रभावी ढंग से नियंत्रिण होता है । चेरी के नियमित सेवन
से कोलेस्ट्राल और रक्तचाप नियंत्रित रहते हैं । चेरी में फिनोनिक अम्ल और
फलेवोनोयड एंटी आॅक्सीडेंट शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं और कैंसर कोशिकाओं
को बढ़ने से रोकते हैं । चेरी में मौजूद एंथोसाइनिन गठिया की वेदना से राहत दिलाता
है साथ ही यह शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ाने के साथ साथ शर्करा की मात्रा को
नियंत्रित रखता है जो कि मधुमेह के नियंत्रण का मुख्य कारण है । चेरी में मौजूद
मेलाटोमिन शरीर में रोग के कीटाणुओं को नष्ट करने में सहायक है ।
चीकू एक ऐसा फल है जो हर मौसम में
आसानी से मिल जाता है । चीकू भूरे पीले
रंग का सुगंधित, रसदार बहुत मीठा फल है जो थोड़ा दानेदार एवं पौष्टिकता से
भरपूर होता है तथा मुख्य रूप से लम्बा गोल, साधारण लम्बा गोल और गोल आकार का फल है
। गोल चीकू की अपेक्षा लम्बे चीकू श्रेष्ट माने जाते हैं । गर्मियों में चीकू खाने
से शरीर में विशेष प्रकार की ताजगी और फुर्ती आती है । चीकू फल शीतल, पित्तनाशक,
पौष्टिक, मीठे और रूचिकारक है । कच्चे चीकू बिना स्वाद के और पके चीकू बहुत मीठे
और स्वादिष्ट होते हैं । चीकू उष्णकटीबंधीय सदाबहार वक्ष है जिसमें फल वर्ष में दो
बार प्रति पेड़ लगभग 500 से 1000 तक फल लगते हैं । चीकू में एंटी आॅक्सीडेंट यौगिक
पालीफिलोलिक टेनिर होता है जो जीवाणु विराधी, विषाणु विरोधी और परजीवी विरोधी है
यह रसायन अतिसारीय (रक्त स्त्राव रोधक ) जो बवासीर के लिए अति उपयोगी औषधी का काम
करता है । चीकू गेस्ट्राटीस, आंत शोथ और आंत विकारों में बहुत लाभकारी है ।
पके चीकू में पोटेशियम, तांबा,
लोहा, विटामिन ए, बी, सी, फोलेट, नियासिन, और पेन्टोथेनिक अम्ल आदि खनिज बहुतायत
भरपूर मात्रा में होने से वे शरीर की चयापयच प्रक्रिया क्रियांवित कर स्वास्थ्य
लाभ पहुंचाते हैं । चीकू में बीटाक्रप्टोजेनथीन जो कि फेफड़ों के कैंसर के होने के
खतरे को कम करता है । चीकू एनिमिया होने से रोकता है । चीकू फल शीतल, पित्तनाशक,
पौष्टिक, मीठे और रूचिकारक हैं । चीकू के बीज मृदुरेचक और मूत्रकारक माने जाते हैं
। चीूकू के बीज में सापोनीन एवं संपोटिनीन नामक कड़वा पदार्थ होता है ।
15. नारियल
नारियल को भारतीय सभ्यता में शुभ
और मंगलकारी माना गया है इसलिए पूजा-पाठ और मंगल कार्यों में इसका उपयोग किया जाता
है । किसी कार्य का शुभारंभ नारियल फोड़कर किया जाता है । पूजा के प्रसाद में इसका
प्रयोग किया जाता है । इसका उपयोग काड लिवर आइल के स्.थान पर सेवन में किया जा
सकता है । यह कच्चा और पका हुआ दो अवस्थाओं में मिलता है । नारियल का पानी पिया
जाता है । इसका पानी मूत्र, प्यास व जलन शांत करने वाला होता है । नारियल बहुत ही
शुभ माना जाता है इसलिए इसे श्रीफल भी कहते हैं । कुछ तंत्र क्रियाओं में भी
नारियल का उपयोग किया जाता है । यह नारियल सामान्य नहीं होता, इसे एकाक्षी नारियल
कहते हैं । इसे माता लक्ष्मी का स्वरूप मानते हैं । इसके साधारण प्रयोग से आपकी
किस्मत की चमक सकती है । धन, संपत्ति, विवाद, गृह क्लेश आदि समस्याओं के लिए इस
नारियल का उपयोग किया जाता है । नारियल औषधीय गुणों से भरपूर जिसमें
कार्बोहाइडेªट, कैल्शियम , प्रोटीन, फाइबर, आयरन और विटामिन होते हैं । जिनसे
आवश्यक शक्ति एवं प्रतिशोधात्मक ऊर्जा शरीर को प्राप्त होती है । नारियल के खनिज,
प्रोटीन एवं विटामिन-ए की प्रचुर मात्रा मानव जीवन को उच्च स्तरीय औषधीय गुण
प्रदान करती है । नारियल का तेल बालों के लिये बहुत उपयोगी है । यह बालों की जड़ों
में प्रवेश कर बालों को जड़ से ही सुदृढ़ करते हुए घने लम्बे बालों का पोषण करता है
। नारियल तेल के निरंतर उपयोग से सिर की
रूसी समाप्त होकर बालों का झड़ना रूक जाता है । कच्चे नारियल के गूदे के प्रयोग से
अपच ठीक हो जाती है, जिससे पाचन क्रिया ठीक-ठाक बनी रहती है । कच्चे नारियल के
पानी को खनिज जल (मिनरल वाटर) कहा जाए तो उचित होगा क्योंकि इसके सेवन से हैजा,
बुखार में स्वास्थ्य लाभ होता है और शरीर में गैस बनने व उल्टी होने की स्थिति में
राहत महसूस होने लगती है । नारियल पानी पीने से गर्मी में राहत मिलती है, जिससे
शरीर सदैव तरोताजा व स्वस्थ बना रहता है ।
16. इलायची
इलायची को मसालों की रानी कहा जाता
है । यह सुगंध से भरपूर होती है । भोजन को सुगंधित और स्वादिष्ट बनाने में इसका
इस्तेमाल किया जाता है । इलायची को सेवन आमतौर पर मुखशुद्धि के लिए अथवा मसाले के
रूप में किया जाता है । इलायची किसी भी भारतीय परिवार में देखे जाने वाले सबसे आम
मसालों में से एक है । यह न केवल मीठे और स्वादिष्ट व्यंजनों में उाली जाती है
बल्कि एक माउथ फ्रेशनर के रूप में भी इस्तेमाल होती है । इलायची दो प्रकार की होती है । हरी या छोटी
इलायची तथा बड़ी इलायची । जहां बड़ी इलायची व्यंजनों केा लजीज बनाने के लिए एक मसाले
के रूप मंे प्रयुक्त होती है वहीं हरी इलायची मिठाइयों की खुशबू बढ़ाती है ।
मेहमानों की आवभगत में भी इलायची का इस्तेमाल होता है । लेकिन इसकी महत्ता केवल
यहां तक सीमित नहीं है । आयरन, राबोफलेविन, विटामिन सी तथा नियासिन जैसे आवश्यक
विटामिन इलायची के अन्य प्रमुख घटक हैं । लाल रक्त कोशिकाओं और सेलुलर उपापचय के
उत्पादन में अत्यधिक महत्व के लिए प्रचलित तांबा , आयरन पाये जाते हैं । इलायची
में एंटीआॅक्सीडंेट होता है इसलिए इससे रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ती ही है साथ ही
चेहरे पर जल्दी झुर्रियां नहीं पड़ती व चेहरे की चमक भी बढ़ती है । इलायची की एक
बहुत ही आकर्षक गंध है जो तंत्रिकाओं को शांत कर सकते हैं । जब एक व्यक्ति को उदास
हो तो उसे इलायची की चाय पिलायें वह चमत्कारी प्रभाव पैदा करती है ।
प्रकृति की ओर से जामुन एक अनमोल
तोहफा है । जामुन मीठा होता है लेकिन यह होता है स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद
। इसका नियमित सेवन करंे तो आप अपने
स्मरण शक्ति में इजाफा होता पायेंगें । जामुन स्वादिष्ट होने के साथ साथ अनेक
रोगों की अचूक दवा भी है । जामुन विभिन्न घरेलू नामों जैसे राजमन, काला जामुन,
जमाली, ब्लैकबेरी, जम्बू, जामगाछ, जाम्बु और जंबु भाबल नाम से भी जाने वाला बारिश
के मौसम को फल है । जामुन प्रकृति में यह अम्लीय और कसैला होता है और स्वाद में
मीठा होता है । अम्लीय प्रकृति के कारण सामान्यतः इसे नमक के साथ खाया जाता है ।
जामुन के रस का नियमित रूप से उपयोग आपकी स्मरण शक्ति बढ़ाता है । जामुन को मधुमेह
के बेहतर उपचार के तौर पर जाना जाता है । डायबिटीज के लिए रामबाण औषधि है जामुन ।
आयुर्वेद के अनुसार मधुमेह टाइप-2 को
नियत्रित करने में भी जामुन सहायक है । पाचन शक्ति मजबूत करने में जामुन काफी
लाभकारी होता है । जामुन का सिरका पीने से पेट के रोग ठीक हो जाते हैं । लीवर से
जुड़ी बीमारियों के बचाव में जामुन रामबाण साबित होेता है । जामुन यकृत को शक्ति
प्रदान करता है । अध्ययन दर्शाते हैं कि जामुन में एंटीकैंसर गुण होता है ।
कीमोथेरेपी और रेडिएशन में जामुन लाभकारी होता है । हृदय रोगों, डायबिटीज, उम्र
बढ़ना और आर्थराइटिस में जामुन का उपोग फायदेमंद है । जामुन का फल मैं खून को साफ
करने वाले कई गुण होते हैं एवं एनीमिया
(खून की कमी) के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है । जामुन कर रस, शहद और आंवले का
रस बराबर मात्रा में मिलाकर एक दो महीने तक नियमित रूप से लेने से शरीर में रक्त
की कमी दूर होती है । जामुन पथरी के रोगियों के लिए लाभदायक सिद्ध हुई है ।
18. काजू
सूखे मेवों में काजू का अपना एक
अलग स्.थान है ।.काजू सूखे मेवा के लिए बहुत लोकप्रिय है इसे मेवों का राजा कहते
हैं । ईश्वर के अपने देश का एक लोकप्रिय मेवा है काजू की गरी, जिन्हें कच्चा या
भून कर खाया जाता है । काजू सदियों से केरल की एक व्यापारिक निर्यात वस्तु रही है
। काजू हर तरह की त्वचा के लिए गुणकारी है । ड्राई त्वचा के लिए काजू को रात भर
दूध में भिगो दंे और सुबह बारीक पीसकर इसमें मुल्तानी मिटटी और शहद की कुछ बूंदें
मिलाकर स्ब करें । आॅयली त्वचा के लिए शहद की जगह नींबू अथवा दही का प्रयोग कर
सकते हैं । काजू तैलीय त्वचा के लिए उपयुक्त है और इससे त्वचा मंे कांति आती है ।
काजू के कच्चे फल और तिवर के फल को पानी में रगड़ कर लेप करने से फोड़ा जल्दी पक कर
फूटता है । सुबह सुबह खाली पेट दो-तीन तोला काजू खाकर ऊपर से शहद लेने से मस्तिष्क
की स्मरण शक्ति बढ़ती है । काजू का तेल मस्से पर लगाने से वह शीघ्र ठीक हो जाती है
। पैर की बिवाइयों में भी काजू का तेल लाभ पहुंचाता है । काले अंगूर के साथ 2-3
तोला काजू खोन से, अजीर्ण या गर्मी के कारण होने वाली कब्जियत दूर होती है । काजू
के पके फल काली मिर्च व नमक मिलाकर 3-4 दिन सुबह सेवन करने से मल-विकार मिटता है ।
19. खरबूज
खरबूज एक बहुत ही सुपाच्य फल है ।
खरबूज मीठा, स्वादिष्ट और सुगंधित होता है इसलिए अंग्रेजी में इसे ‘‘ मस्क मेलन ’’
(कस्तूरी जैसा सुगंधित) कहा जाता है । खरबूज उष्णकटिबंधीय देशों में लोकप्रिय फलों
से एक गर्मी के मौसम में ज्यादातर उपलब्ध है । खरबूज में विटामिन ए प्रचुर मात्रा
में होता है और एक शक्तिशाली एंटी आॅक्सीडेंट जो स्वस्थ्य श्रलेष्म झिल्ली और
त्वचा को बनाए रखने के लिए आवश्यक है । यह फेफड़ों और मुंह के कैंसर से बचने में
मददगार होता है । खरबूज बीटा कैरोटीन, ल्यूटीन, जिया जेन्थिन, क्रपटोजेन्थिन - जो
एंडी आॅक्सीडेंट है शरीर के आक्सीजन मुक्त कण से रक्षा करने, बृहदान्त्र,
प्रोस्टेट, स्तन, एंडोमेट्रियल, फेफड़ों और अमाशय के कैंसर से बचाव करता है । जिया
जेन्थिन, कैरोटीनायड आंखों को सुरक्षित एवं धब्बेदार अंधपतन बिमारी से सुरक्षा प्रदान
करता है । खरबूज पोटेशियम का उदारवादी स्त्रोत, हृदय गति, रक्तचाप नियंत्रण एवं
कोरोनरी हृदय रोग / स्टोक के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है । खरबूज में फाइबर होने
से कब्ज से पीड़ित लोगों के लिए अच्छा है । खरबूज मे शामक गुण (सेडेटिव) होता है जो
अनिद्रा से पीड़ित लोगों के लिए लाभकारी है । खरबूज का रस भूख अम्लता, अल्सर और
मूत्रपथ के संक्रमण की कमी के इलाज मे सहायक है ।
तरबूज ग्रीष्म ऋतु का फल है । यह
हरे रंग के होते हैं परन्तु अन्दर से लाल, पानी से भरपूर एवं मीठे होते हैं ।
तरबूज रसदार, स्वादिष्ट, मीठा, ठंडा, प्यास बुझाने वाला एवं पानी से भरपूर त्वरित
ऊर्जा देने वाला फल है । तरबूज विटामिन सी , ए का एक बहुत अच्छा स्त्रोत है ।
तरबूज का विटामिन सी हमारी प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाता है । विटामिन ए हमारी
आंखों को स्वस्थ्य रखता है । तरबूज में लाइकोपिन रसायन पाया जाता है यह लाइकोपिन
हमारी त्वचा को जबान बनाए रखता है । ये हमारे शरीर के कैंसर को होने से रोकता है ।
डिप्रेशन और अधिक तनाव में तरबूज बहुत फायदेमंद है । दिमाक शान्त और खुश रखता है,
गुस्सा शान्त करने में मदद करता है । दिमार्गी गर्मी,पागलपन, हिस्टीरीया, अनिद्रा
रोगों में फायदेमंद है । गर्मीयों में लू
से बचाव, तपती गर्मी में सिरदर्द होने पर 1 गिलास तरबूज रस लाभकारी होगा । तरबूज
में सिटूलिन जो अर्जीनाइन में बदलकर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है । यह
मोटोपे एवं मधुमेह को रोकता है । तरबूज शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है एवं
पेशाब में जलन को दूर करता है । पोलियो रोगियों को तरबूज का सेवन बहुत लाभकारी है
। नियमित तरबूज सेवन से कब्ज दूर होती है । तरबूज के बीज शक्तिवर्धक तथा तासीर में
शीतल होते हैं । ब्लैक हैडस एवं चेहरे की चमक के लिए लाल गूदे को चेहरे पर रगड़ने
से सौंदर्य में निखार आता है । तरबूज का रस वजन कम करने के साथ-साथ शरीर की
अतिरिक्त चर्बी को भी कम करता है । तरबूज से कोलेस्टोल एवं लो-डंेसिटीलिपोप्रोटीन
एल डी एल का स्तर कम होने लगता है । .तरबूज खाने के 1 घंटे तक पानी न पियें तथा
तरबूज ताजा काटकर ही खायें । .तरबूज की किस्मंेा एवं प्रजातियों में पूसा बेदाना, दुर्गापुरा केसर, अर्का ज्योति,
मधु, मिलन और मोहिनी प्रसिद्ध हैं
21 खजूर
खजूर विश्व के सबसे पौष्टिक फलों
में से एक है । खजूर उत्तरी अफ्रीका, दक्षिणी पश्चिमी एशिया का देशज है और सिंध, पंजाब,
बलूचिस्तान तथा कई अरब देशों में इसकी खेती की जाती है । इस विदेशी जाति के ताजे
पके फल को खजूर, पिंडखजूर तमर या खुर्मा और पके सूखे फल को छुहारा, खारिक अथवा डेट
कहते हैं । दूसरी जाति का भारतीय खजूर भारत में अनेक जगह लगता है । इसके फल भी
पकने पर खाए जाते हैं, परंतु ताड़ी की तरह
इससे निकलने वाले खजूरी रस और उससे तैयार किए हुए मद्य तथा गुड़ का प्रचुर उपयोग
होता है । खजूर स्वादिष्ट, पौष्टिक, मीठा, शीतल, तृप्तिकारक (इच्छा को शांत करने
वाला), स्निग्ध, वात, पित्त और कफ को दूर करने वाला होता है । खजूर टी.बी., रक्त, पित्त, सूजन एवं फेफड़ों की सूजन
के लिए लाभकारी होता है एवं यह शरीर एवं नाड़ी को शक्तिशाली बनाता है । खजूर
सिरदर्द, बेहोशी, कमजोरी, भ्रम, पेट दर्द, शराब के दोषों को दूर करता है तथा यह
दमा, खंासी, बुखार, मूत्र रोग के लिए लाभकारी है । खजूर रात पानी में भिगोकर सुबह
लेना लाभदायक रहता है या फिर इसे दूध में उबालकर लिया जा सकता है । कमजोर हृदयवाले
के लिए यह विशेष उपयोगी है । खजूर प्रोस्टेट ग्लैण्ड के विकारों में लाभकारी सिद्ध
हुआ है । निम्न रक्तचाप रोगियों के लिए खजूर का सेवन इसे नियंत्रित करता है । खजूर
को सेवन बालों को लम्बा,घना और मुलायम बनाता है । खजूर मधुर, शीतल, पौष्टिक व सेवन
करने के बाद तुरंत शक्ति स्फूर्ति देने वाला है क्योंकि खजूर के सेवन से ग्लुकाज
और फ्रुक्टोज के रूप में नैसर्गिक शक्कर हमारे शरीर को मिलती है । खजूर रक्त, मांस
व वीर्य की वृद्धि करता है । खजूर रेचक गुण से भरपूर होने के कारण कब्ज नाशक है ।
गर्भावस्था में खजूर खाने से हिमोग्लोबीन बढ़ता है तथा गर्भवती महिलाओं में दूध की
मात्रा में वृद्धि होती है क्योंकि इसमें आयरन, कैल्शियम, मैग्निशियम, फास्फोरस और
सेलीनियम होता है ।
22 केला
केला दुनिया के सबसे पुराने और
लोकप्रिय फलों में से एक है । हर मौसम मंे मिलने वाला यह फल स्वादिष्ट और बीजरहित
है । केला शक्तिवर्धक तत्वों , प्रोटीन, विटामिन और खनिज पदार्थो का अनोखा मिश्रण
है । इसमें पानी की मात्रा कम होती है । यह उष्मांक (केलोरी) वर्धक भी है । केला
और दूध का मिश्रण शरीर और स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम है । भारत में पाये जाने
वाले फल केले को लेटिन नाम म्यूजा सेपीएन्टम है । केले पर हल्के भूरे रंग के दाग
इस बात की निशानी हैं कि केले का स्टार्च के पूरी तरह नैसर्गिक शक्कर में
परिवर्तित हो चुका है ऐसा केला आसानी से हजम होता है । चित्तीदार या धब्बेदार पतले छिलके वाला केला खाना अधिक लाभदायक होता
है । केला रोज खाने वाला व्यक्ति सदा स्वस्थ रहता है । केला सुबह के समय खाना
अच्छा होता है । केले का छिलका उतारने के तुरन्त बाद खा लेना चाहिए और खाने के
तुरन्त बाद पानी का परिहार करना चाहिए । केला अन्न को पचाने में सहायक होने के साथ
साथ उत्साह भी देता है । केले में होने वाली नैसर्गिक शक्कर पौष्टिक तत्वों से
होने वाली रासायनिक प्रक्रिया और सेहत बनाने में मदद करती है । केला अम्लता ‘‘
ऐसिडिटी’’ को कम करता है और पेट में हल्की परत बना कर अल्सर का दर्द कम करता है
। केला अतिसार और कब्ज दोनों में लाभकारी
है । यह आंत की सारी प्रक्रिया को सामान्य कर सकता है । केले के गूदे में नमक डाल
कर खाना अतिसार के लिए अच्छा होता है । अच्छे पके केले का गूदा शरीर के जले हुए
हिस्से पर लगाकर कपड़ा बांध दिया जाय तो तुरंत आराम मिलता है । छाले, फफोले या थोड़ी
बहुत जलन होने पर केले का नया निकला छोटा पत्ता ठण्डक पहुंचाता है । गुर्दे की बीमारी में केला लाभदायक नहीं है
क्योंकि केले में पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है । दमा रोगियों के लिए एक पका
केला छिलके सहित सैंके । इसके बाद छिलका हटा दें व केले के टुकड़े कर लें । इस पर
15 काली मिर्च पीसकर बुुरक दें व गरम गरम ही दमा रोगी को खिलाएं , दमा के दौरे में
लाभ होगा ।
23 कीवी
कीवी फल देखने में हल्का भूरा,
रोएदार व आयताकार, रूप में चीकू फल की तरह का फल होता है । इसमें विटामिन सी भरपूर
मात्रा में पाया जाता है । एक फल का वनज 40-50 ग्राम तक होता है इस फल की खेती
नैनीताल जिले के रामगढ़, धारी, भीमताल, ओखलकांडा, बेतालघाट, लमगड़ा, मुक्तेश्वर,
नथुवाखान, तत्तापानी आदि क्षेत्रों के लिए लाभदायक सिद्ध हुई है । कीवी फल खाओ,
दीर्घ आयु पाओ । एक किलोग्राम कीवी फल खाने से व्यक्ति की आयु एक महीना अधिक लंबी
हो जाती है । यह फल मनुष्य की सुखद तथा सहज मनोदशा बनाए रखने के लिए एक अदवितीय
प्राकृतिक स्त्रोत है । इसका नियमित सेवन करने से मनुष्य की आयु दीर्घ हो जाती है
। कीवी फल में वे सभी उपयोगी तत्व मौजूद होते हैं जिसकी मानव शरीर को आवश्यकता
होती है । इस फल में बहुत कम कैलोरी होती है इसलिए, डाक्टर की लोगों से यही सलाह
है कि अधिक मात्रा में कीवी फल खाओ और दीर्घ आयु पाओ । कीवी ऊर्जा के विभिन्न
स्त्रोतों के साथ पैक एक बिजलीघर फल है । यह मुक्त कण के निराकरण में मदद करता है
। यह प्रीबायोटिक के रूप में कार्य करता है । यह विटामिन का अच्छा प्रतिशत प्रदान
करता है । यह वजन घटाने के लिए उपयोगी है । यह इम्यूनल गुण बढ़ाता है । यह
क्षतिग्रस्त डीएनए की मरम्मत करता है । यह पाचन में मदद करता है । यह आपके दिल को
स्वस्थ्य रखता है । यह कोलेजन का उत्पादन बढ़ने से त्वचा को लोच देता है ।
खुबानी एक गुठलीदार, गोल-गोल और
हल्के पीले और नांरगी रंग का फल है जो दिखने में मखमली, गूदेदार होता है यह जितनी
सुन्दर दिखती है उससे कहीं ज्यादा पौष्टिक और गुणकारी होती है । ताजी और सूखी
खुबानी एक स्वास्थ्यप्रद फल है । खुबानी ( ऐप्रिकाॅट ) का फल ताजा तथा सुखाकर
दोनों तरह से खाया जाता है । खुबानी के फलों से वाइन, नेक्टर और जैम बनाया जाता है
। खुबानी से गिरी यदि मीठी हो जो बादाम की तरह प्रयोग में लाया जाता है । भारतीय
किस्म जंगली ‘‘ चूली ’’ के बीज से तेल निकालकर दवाई के रूप में प्रयोग किया जाता
है । खुबानी के पके फलों में विटामिन ए, लायोपीन और कैरोटीनोयाड होते है जो एंटी
आॅक्सीडेंट का काम करते हैं एवं मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली को निर्माण करने में
सहायता करता है । खुबानी एनीमिया में अति लाभकारी क्योंकि इसमें लौह तत्व, तांबा,
जिंक अधिकता में पाये जाते हैं । रक्ताल्पता, महिलाओं के मासिक धर्म, रक्त प्रदर,
नकसीर को रोकने में सहायक है । खुबानी महिलाओं की प्रजनन क्षमता बढाने में सहायक
है । सूखे खुबानी में विटामिन सी जो कि प्राकृतिक एंटी आॅक्सीडेंट है जो दांत,
हडिडयों, त्वचा, संयोजी ऊतक के संरक्षण में सहायक है । खुबानी में पोटेशियम, लोहा,
जस्ता, कैल्शियम, मैंगनीज जैसे खनिजों का अच्छा स्त्रौत है । पोटेशियम दिल की दर
और रक्तचाप नियत्रिंत करने में मदद करता है । सूखे खुबानी बीटा-कैरोटीन जो रूमेटी
गठिया, हृदय रोग, कैंसर, उच्च रक्तचाप, त्वचा रोग, मोतियाबिंद, सिरदर्द आदि के
इलाज में सहायक है । खुबानी बीज में आवश्यक घटक लेक्टरिल (एमिग्डेलिनजो एक
सायनाइड, बेन्जेल्डिहाइड और ग्लूकोज से
बना होता है का अच्छा स्त्रोत है जिससे कैंसर रोधी विटामिन बी-17 बनाया जाता है जो कैंसर कोशिकाओं को मारता है । सूखे
खुबानी में पेन्गेमिक एसिड जो त्वरित आॅक्सीजन से विटामिन बी-15 जो अल्कोलिज्म
ड्रग एडिक्शन, ब्रेन डेमेज, शीजो फ्रेनिया, हृदय रोग, उत्च रक्तचाप, मधुमेह, यकृत
रोग, अस्थमा, गठिया, त्वचा रोग, थकान आदि बीमारियों में किया जाता है । यह अच्छा स्वास्थ्यवर्धक आयुवर्धक है ।
नीबू स्फूर्तिदाय एवं रोग निवारक
फल है जो की विटामिन सी से भरपूर होता है । इसका रंग पीला या हरा तथा स्वाद खटटा
होता है । इसके रस में 5 प्रतिशत साइट्रिक अम्ल होता है तथा इसका पीएच 2 से 3 तक
होता है । शक्तिवर्धक: उबलते हुये एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़ कर नित्य पीने
से शरीर मंे स्फूर्ती आती है, नेत्र ज्योति बढ़ती है, मानसिक दुर्बलता दूर होती है,
व सिर दर्द दूर होता है । अधिक काम करने से होने से थकान दूर होती है । चाहें तो
नीबू में शहद मिलाकर भी पी सकते हैं पर अधिक मीठा या अधिक नमक दोनों ही स्वास्थ के
लिए हानिकारक है । पानी मंे बार-बार नीबू का रस मिलाकर पीने से शरीर के वज्र्य
पदार्थ बाहर निकल जाते हैं । यदि पेट में कीड़े हो गये जों तो नीबू के बीजों को पीस
कर चूर्ण बना लें और पानी के साथ ले लें साथ ही खाली पेट नीबू पानी भी पीयें । यदि
नाखून ना बढ़ते हों तो गरम पानी में नीबू निचोड़ कर उसमें 5 मिनट तक नाखूनों को
डुबोयें, फिर तुरन्त ही हाथ ठंडे पानी में डाल लें ऐसा कुछ दिन लगातार करें इससे
नाखून बढ़ने लगेंगे । नाखूनों पर नीबू का रस लगाने से वह मजबूत व सुन्दर बने रहते
हैं । दस्त हो जाने पर आधा गिलास पानी मंे आधा नीबू निचोड़ कर दिन में तीन या चार
बार पीयें या एक या नीबू का रस निचोड़ कर उसमें दो या चार चम्मच चीनी मिलाकर
आधा-आधा चम्मच दिन में दो-दो घंटे बाद ले लें, दस्त रूक जायेंगे । यदि खूनी बवासीर
हो या खूनी दस्त हो रहे हों तो एक कम गरम दूध में आधा नीबू निचोड़ कर तुरन्त पी जायें,
रक्त स्त्राव रूक जायेगा । इस प्रयोग को दो बार से अधिक न करें ।
लीची हिमालय की पर्वत श्रंखला में
पैदा होने वाला रसीला फल है जो अपन विशिष्ट स्वाद और सुगंध के कारण लोकप्रिय है जो
मई और जून तक मिलती है । लीची स्वादिष्ट ही नहीं है उसमें अनेक औषधीय गुण भी पाए
जाते है पौष्टिकता की दृष्टि से भी वह अव्वल
है । लीची कोलेस्ट्राल संतृप्त वास रहित लो कैलोरी फल है जिसमें रेशे
बहुतायत में होता है । लीची गर्मियों से बचा सकते हैं यह फल गर्मियों के मौसम में
आपके शरीर को पानी की बहुत जरूरत होती है गर्मियों में लीची खाने से आपके शरीर को
विटामिन सी और पानी भरपूर मात्रा में मिलता है । लीची में एंटी आॅक्सीडेंट होता है
जो आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है । लीची से शराब, उसके गूदे
(पल्प) व छिलके से वेट लाॅस, ब्लड प्रेशर नियंत्रण हार्ट डिजीज की सम्लीमेंट्री दवा और स्किन क्रीम चेहरे की
झुर्री घटाकर चमक भी बढ़ाती है । लीची के शर्बत, फ्रुट सलाद और आइसक्रीम के खाने का
रिवाज है । चीनी संस्कृति में लीची का महत्वपूर्ण स्थान है । यह घनिष्ठ पारवारिक
संबधों का प्रतीक समझी जाती है । लीची से रक्त व शरीरिक क्षमता बढ़ती है यह बढ़ती
उम्र के प्रभाव को कम करती है । साथ ही पाचन क्षमता बढ़ाती है । लीची में मौजूद फलेवनाइडस् जैसे तत्व इसे एंटी ब्रेस्ट
कैंसर गुण देती है । इसलिए लीची का सेवन महिलाओं के लिए विशेष हितकारी है । लीची त्वचा के दाग-धब्बों को
हटाकर उसे सुन्दर व नम बनाती है रक्त को शुद्ध करती है । अलीगोनोल एक कम आणविक
तत्व जो एंटी आॅक्सीडेंट और विरोधी इन्फूंएजा वायरा, यह अंगों में रक्त प्रवाह में
सुधार, वजन कम करने में , हानिकारक यू वी किरणों से त्वचा की रक्षा करती है । लीची
में पोटेशियम, तांबा और खनिजों बहुतायत में होने से दिल की दर और रक्तचाप को
नियंत्रित करता है, यह स्ट्रोक और कोरोनरी हृदय रोग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता
है । तांबा लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन के लिए आवश्यक है ।
मौसंबी नींबू जाति का ही फल है
परन्तु नींबू से अनेक गुना लाभदायक है । .मौसंबी जिसे मीठा नीबू भी कहते है।
मौसंबी का फल नारंगी के बराबर आकार का होता है । मौसंमी का रस साबुन, शराब तथा
अन्य पेयों में डाला जाता है । इसके छिलके से निकाला हुआ तेल जल्दी उड़ जाता है ।
इसलिए इसके तेल को जैतून के तेल के साथ मिलाकर उपयोग किया जाता है । मौसंबी एक
न्यूट्रा अपनी बहुआयामी औषधीय गुणों के कारण फल के रूप में माना जाता है । मौसंबी
का रस एक पोषक भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है मौसंबी का रस पीने से जीवन
शक्ति बढ़ जाती है । मौसंबी में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है खटटे और
रसदार फलों में मौजूद विटामिन सी न केवल घुटनों के दर्द बल्कि आस्टियो आर्थराइटिस
( घुटने के तंतुओं में क्षरण) को रोकने में मददगार है । मौसंबी का रस तेजी से वजन
कम करता है यदि इसे नियमित रूप से गुनगुने पानी और शहद के साथ लिया जाए । मौसंबी
के रस में वेनुआइड, लिमोनोइडस पाचक रस और एसिड के स्त्राव उत्तेजक होने से पाचन
प्रक्रिया बढ़ाता है । पेट की समस्याओं से राहत दिलाता है यह दस्त और पेचिश के इलाज
में मदद करता है इसके टेंजी स्वाद मतली और उल्टी को नियंत्रित करता है । मौसंबी
में फाइबर प्रचुर मात्रा में होने के कारण कब्ज को दूर करने में सहायता करता है ।
मौसंबी में मौजूद, कैरोटीनायॅड तथा हाइड्रोएक्सी नामक अम्ल जीवाणु विरोधी एवं
कैंसर, मोतियबिंद और हृदय रोगों के खतरों को कम करते हैं । मौसंबी को पेक्टिन रक्त
शर्करा और कोलेस्ट्राल कम करने को गुण रखता है । मौसंबी फल का रस और पत्तियों का रस
सर्दी, बुखार, सूजन और पाचन विकार को दूर कर शीतलन प्रभाव देता है । बालों मे ंरूसी से छुटकारा पाने के लिए बालों
को मौसंबी के रस और पानी के मिश्रण से बाल धोने से फायदा पहुंचता है ।
नाशपाती ( जीनस सेबी ) एक लोकप्रिय
फल है । शीतोष्ण फलों में एक नाम है नाशपाती फल । नाशपाती बाहर से हरे, लाल,
नारंगी या पीले रंग की दिखने वाली अंदर से सफेद रंग की, मीठी, कुरकुरी, नरम और
रसदार होती है । नाशपाती सेब से जुड़ा एक उप-अम्लीय फल है जिसकर आकार घंटी आकार की
होती है । नाशपाती सेब की तरह औषधीय गुण भी पाए जाते हैं जिनकी वजह से कई लोगों न
तो इसे ‘‘ देवताओं का उपहार’’ फल का दर्जा दिया है । नाशपाती प्रमुख रूप से दो तरह
की होती है । एक वह जिसके फल का आकार नाशपाती की शकल में लम्बाकार होती है दूसरी ऐसी किस्में जिनके फल गोल होते हैं ।
प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार - नाशपाती में एंटी आॅक्सीडेंट गुण विटामिन सी और
तांबा पर्याप्त मात्रा में मिलता है जो
आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करता है ,चयाचय और उत्तकों के मरम्मत
में मदद करता है घाव उपचार एवं संक्रामक रोगों के खिलाफ रक्षा करता है ।
कोलेस्ट्रोल स्तर में नियंत्रण - नाशपाती में ‘‘ पैक्टिन ’’ फाइबर रक्त
कोलेस्ट्राल और सेलूलोज के स्तर को नियंत्रित करता है । कम कोलेस्ट्राल हृदय रोग
और मधुमेह को रोकने में मदद करता है । इसका पोटेशियम मांसपेशियों के संकुचन,
तंत्रिका, संचरण, कार्बोहाइडेट और प्रोटीन के चयापय पाचन में मदद करता है ।
रक्तचाप नियंत्रण- नाशपाती में मौजूद एंटी आॅक्सीडेंट और ग्लूटाथिओन तत्व उच्च
रक्तचाप और हार्ट स्ट्रोक को रोकने में मदद करता है । कैंसर की रोकथाम - नाशपाती
में हाइडोआॅक्सीनाॅमिक एसिड होता है जो पेट के कैंसर को रोकने में मदद करता है ।
इसका फाइबर पेट के कैंसर को बढ़ने से रोकता है और बड़ी आंत को स्वस्थ बनाए रखता है ।
नाशपाती के नियमित सेवन से मेनोपाॅज के बाद महिलाओं में होने वाले कैंसर का खतरा
भी कम हो जाता है । इसमें मौजूद विटामिन सी और एंटीआॅक्सीडेंट गुण कैंसर के नुकसान
से कोशिकाओं की रक्षा करती है ।
पपीता एक सर्व सुलभ, सस्ता और
अत्यन्त गुणकारी फल है । कच्ची अवस्था में यह हरे रंग का होता है और पकने पर पीले
रंग का हो जाता है । पपीता सालभर बाजार में उपलब्ध होता है । पपीता उष्णकटिबंधीय
देशों में उगाये जाने वाला फल है जिसका लेटीन नाम केरिका पपाया है और जिसकी जन्म
स्थली मध्य अमेरिका और दक्षिणी मेक्सिको है । यह ब्राजील, नाइजीरिया, भारत एवं
इंडोनेशिया में बहुतायत से होता है । प्रकृति की अनमोल सौगातों में से एक है पपीता
। इसके पत्ते, बीज, फल और दूध सभी भागों का उपयोग लाभप्रद होता है । पपीते में शक्तिशाली
एंटी-आक्सीडेन्ट मौजूद होते हैं जो फ्री रेडिकल्स का क्षय होने से बचाता है ।
कच्चे पपीते को काटकर चेहरे पर रगड़ने से चहरे के कील, कालिमा, मैल व अन्य दाग
धब्बे दूर हो जाते हैं । त्वचा में निखार आता है तथा त्वचा कोमल व लावणयुक्त हो
जाती है । कच्चे पपीते के दूध का उपयोग
कैंसर, डिप्थीरीया, अल्सर व चर्म रोगों आदि की दवाओं के निर्माण में किया जाता है
। पपीते का पॅपेइन तत्व पाण्डुरोग तथा प्लीहा वृद्धि रोकने में उपयोगी सिद्ध होता
है । पपीते का आर्जिनाइन तत्व स्त्रिाीयों के बांझपन को दूर करता है इसके लिए
पपीते का रस 200 से 300 मि.ली. प्रतिदिन नियमित लेवें । बवासीर में प्रतिदिन सुबह
खाली पेट पपीता खांए उससे कब्ज दूर होती है बवासीर का मूल कारण कब्ज ही है । शरीर
मे मस्से एवं छालों आदि पर पपीते का दूध लगाने से वे शीघ्र समाप्त हो जाते हैं ।
कब्ज, अजीर्ण, पथरी एवं भूख न लगने जैसी
परेशानियां हों तो पका पपीता रोज खायें । पपीते के 15-20 बीजों को थोड़े से पानी
में मिलाकर नित्य एक सप्ताह तक पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं । उच्च रक्तचाप को
नियंत्रित रखने के लिए सुबह खाली पेट चार फांक पका हुआ पपीता दो-तीन महीने तक
लेवें । पपीता नेत्र रोगों में हितकारी होता है क्योंकि इसमें विटामिन ‘‘ए’’
प्रचुर मात्रा में पाया जाता है । रतौंधी रोग का निवारण एवं आंखों की ज्योति बढ़ती
है । पपीता खाने से धातु संबंधी विकार एवं वीर्य की कमी दूर होती है ।
पिस्ता काजू परिवार का एक सदस्य है
और एशिया माइनर और पश्चिम भारत के रेगिस्तान का निवासी है । पिस्ता एक नट है ।
पिस्ता कच्चा या भुना हुआ और नमकीन के रूप में खाया जाता है । ईरान पिस्ता उदयोग
में दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है । .सूखे मेवे बहुत शक्तिवर्धक
होते हैं । सूखे फलों को न्यूटीशनल पावर हाउस अर्थात ऊर्जा का स्त्रोत भी कहा जाता
है । प्रोटीन से भरपूर सूखे मेवों में फाइबर, फाइटो न्यूटियंटस एवं एंटी
आॅक्सीडेण्टस जैसे विटामिन ई एवं सेलेनियम की बहुलता होती है । पिस्ता मिठाई और
स्नैकस में पड़ने वाला पिस्ता स्वास्थ्य के लिये बहुत अच्छा होता है । पिस्ता में
मैग्नीशियम, काॅपर, रेशा, फास्फोरस और विटामिन बी होता है इसको खाने से
कोलेस्ट्रँसन और हार्ट अटैक से बचा जा सकता है । .पिस्ता सर्द -गर्म, शुष्क मौसम
में अमेरिका, ईरान, सीरिया, तुर्की और चीन में पैदा किया जाता है । एंटीआॅक्सीडेंट
युक्त पिस्ता दैनिक तनाव के प्रभावों को आसान बनाता है । पिस्ता ऊर्जा की समृद्ध
स्त्रोत है । इसमें ओलिक एसिड और एंटीआॅक्सीडेंट का एक बहुत अच्छा स्त्रोत है ।
पिस्ता बहुत हृदय रोग के जोखिम को कम करता है । फारस और प्राचीन ग्रीस में खेती कर
रहे थे आज के समय पिस्ता सबटोपिकल, और उष्णकटिबंधीय में सर्वव्यापक है । तुर्की,
ग्रीस, स्पेन में खेती, इटली ?, सीरिया, ईरान, अमेरिका, आॅस्टेलिया , काकेशस और
क्रीमेरिया । पिस्ता में कैरोटीनों, विटामिन ई और पोलीफिनोलिक एंटी आॅक्सीडेंट
यौगिक सहित जो कि मानव शरीर विषाक्त आॅक्सीजन मुक्त कण को हटाने और रोग, कैंसर,
साथ ही संक्रमण से शरीर की रक्षा में मदद करते हैं । पिस्ते में राइबोफलेविन,
नियासिन, थाईमीन, पेंटोथेनिक एसिड, विटामिन बी-6, और फोलेटस रूप् में विटामिन के
कई महत्वपूर्ण बी जटिल समूहों होते हैं । पिस्ता में तांबा, मैंगनीज, पोटेशियम,
कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और सेलेनियम जैसे खनिजों का भंडार है। पिस्ता के
छिलके को हटाकर इसके अंदर का हिस्सा जो खाने में प्रयोग लाया जाता है । पिस्ता
बिल्कुल आंख की तरह दिखाई पड़ता है । माना जाता है कि भगवान ने जो फ्रूट जिस शेप का
बनाया है । शरीर में उसके आकार अगर कोई अंग हो तो वह शरीर के उस हिस्से को सबसे
अधिक प्रभावित करता है । पिस्ता का शेप क्योंकि आंख जैसा है इसलिए आंखों के इलाज में पिस्ता आपकी सहायता कर सकता है ।
पिस्तों में से तेल निकलता है इस तेल की मालिश सिर में करने से दिमाग की गर्मी दूर
हो जाती है । रेशम पर किरमिजी रंग चढ़ाने में भी इसके तेल का उपयोग होता है ।
पिस्ते की गिरी, चिरौंजी और खसखस इन चारों को पीसकर दूध में उबालकर खीर बनायी जाती
है और इसमें शक्कर गाय का घी मिलाकर सेवन करने से मस्तिक की कमजोरी दूर होती है ।
सेब एक ऐसा फल है जो विश्व में हर
जगह बारहों महीने मिलता है । सेब का लेटिन नाम मेलस सिलेस्ट्रिस है । सेब में
‘‘मैलिक एसिड’’ रहता है और खटाई आँतों, यकृत और मस्तिक के लिए उपयोगी है । रोजाना
एक सेब खाओ, डाॅक्टर दूर भगाओ । सदियों
पुरानी यह कहावत आज भी सेहत का मंत्र
साबित हो रही है । सेब केवल फल नहीं, बल्कि हमारे शरीरिक विकास के लिए
जरूरी सभी विटामिन्स, खनिज, एंजाइमों और उच्च स्तर के फाइबर का स्त्रोत है । वजन
कम करने में सहायक - सेब में कैलोरी बहुत कम होती है । इसमें मौजूद पेक्टिन नामक
फाइबर एल डी एल कोेेलेस्ट्रोल या संतृप्त वसा के स्तर को नियंत्रित करता है । दिन
में दो बार सेब का सेवन करने वाले लोग अपना 16 प्रतिशत कोलेस्ट्रोल कम कर सकते हैं
जो वजन घटाने में सहायक होता है । बी. पी. रहे नियंत्रित - सेब में मौजूद कैल्शियम, थायमिन, फाॅस्फोरस और
पोटेशियम हृदय गति और रक्तचाप को नियंत्रित करते हैं । इसमें मौजूद एंटीआॅक्सीडेंट
तत्व हृदय में धमनियों की सूजन से होने वाली रूकावट को कम करते हैं । खून के
थक्कों को जमने से रोकते हैं और रक्त प्रवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं
। कैंसर का खतरा करे कम - सेव के छिलके
में क्यूसेंटिन और नार्रिगप फलेवोनोयड होते हैं । यह फैफड़े, लीवर और स्तन कैंसर के
खतरों को कम करते हैं । हडिडयों की रक्षा करता है - सेब में पाए जाने वाले
फलेवोर्नोयड, बोरान और पोलीफीनाॅल जैसी एंटी आॅक्सीडंेट हडिडयों को मजबूत बनाते
हैं । यह ओस्टियोपोरोसिक के खतरे से बचाते हैं । अल्जाइमर से रक्षा करे - अल्जाइमर
एक मस्त्स्कि रोग है जिसमें याददास्त या बौद्धिक क्षमताओं की हानि होती है । सेब
में मौजूद क्यूर्सेटिन ब्रेन के टिशूज को नुकसान पहुंचाने से रोकता है । थाईमिन
जैसे खनिजों में अल्जाइमर दूर रखने की क्षमता होती है । यह हमारे ब्रेन की रक्षा
करता है ताकि उस पर उम्र बढ़ने का प्रभाव कम से कम पड़े । खून की कमी करे दूर - सेब
आयरन जैसे खनिज लवण से भरपूर है । एनीमिया होने की स्थिति में इसका नियमित सेवन से
बहुत लाभ होता है । विश्व में सेब की 7000 से अधिक प्रजातियाँ उगाई जाती हैं ।
ताजा सेब पानी पर तैरता हैं क्योंकि इसमें 25 प्रतिशत मात्रा हवा की होती है ।‘‘
लंबा और स्वस्थ्य जीवन चाहिए तो सेब जरूर खाएं ’’, । सेब खाइए और सुडौल छरहरी काया
पाइए ’’ सेब के छिलके में ‘‘ अर्सेलिक
एसिड’’ नाम का एक तत्व पाया जाता है इस तत्व में हष्ट-पुष्ट बनाने के प्राकृतिक
गुण होते हैं जिससे शरीर सुडौल और छरहरा बनता है । सेब का सेवन करने से शरीर की
मांसपेशियों में बढौतरी होती है जिससे शरीर सुडौल और छरहरा बनता है । सेब में मौजूद मोलिक एसिउ तत्व रक्त के एल डी
एल कोलेस्ट्रोल केा जमने से रोकता है । सेब उच्च रक्त चाप, कैंसर, मोटापा और नींद
न आना आदि में लाभकारी है । सेब से बहुत से मिनरल्स जैसे पोटेशियम, कैल्शियम,
फाॅस्फोरस और मेग्नेशियम, लौह तत्व, कापर और जिंक होते हैं जो त्वचा, नाखूनों और
बालों के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होते हैं ।
शहतूत एक रसदार फल है जिसमें छुपे
हैं कमाल के गुण । .शहतूत फल भी दवा भी । शहतूत में एंटी ऐज यानी उम्र को रोकने
वाला गुण होता है । यह त्वचा को जवानी की तरह जवां बना देता है और झुर्रियों को
चेहरे से गायब कर देता है । गर्मी में कराए ठंडक का अहसास वह है शहतूत । शहतूत इस
कदर मीठा और लजीज होता है कि कभी कभी रस भी ज्यादती की वजह से दरखतों पर लगे शहतूत
से रस टपकने लगता है । शहतूत की तीन मुख्य किस्में है - 1. सफेद शहतूत (चीन),
2.लाल शहतूत (अमेरिका) और 3.काले शहतूत ( पश्चिमी एशिया ) । शहतूत मंे रेसवेर्टोेल
और एंथोसायनिन जो एक एंटी आॅक्सीडेंट जो उम्र बढ़ने से रोकने, मस्तिस्क संबंधी
बिमारियों, सूजन, मधुमेह, जीवाणु संक्रमण और कैंसर को रोकने में मदद करता है ।
शहतूत बालों के लिए बेहद लाभदायक होता है । शहतूत में अन्य फलों की तुलना में 79
प्रतिशत अधिक एंटी आॅक्सीडेंट पाया जाता है । शहतूत के जूस में एंडी आॅक्सीडेंट
संतरे से दो गुना होता है । शहतूत बाल में भी
भूरापन लाता है । शहतूत का शरबत - शरीर में पानी के संतुलन को बनाए रखता है
। यह फल लू से बचाने में बेहद कारगर है । गर्मी का रामबाण गर्मी में शरीर को पानी की आवश्यकता अधिक होती
है शहतूत में 91 प्रतिशत पानी होता है । इसके सेवन से शरीर में पानी का संतुलन बना
रहता है , गर्मियों में शहतूत आपके दिमाग और शरीर दोनों को चुस्त-दुरूस्त रखता है
। शहतूत विटामिन सी का बहुत अच्छा स्त्रोत है जो एक शक्तिशाली प्राकृतिक एंटी
आॅक्सीडेंट है जो जीवाणु, विषाणु एवं कृमि के विरूद्ध प्रतिरोधक शक्ति प्रदान करता
है तथा मुक्त कणों का नाश करता है । शहतूत में मौजूद लेवोनायड, ल्यरीन एवं कैरोटीन
उम्र बढ़ने और विभिन्न रोग प्रक्रियाओं को रोकता है । शहतूत में लोह खनिज भरपूर
होने से लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबीन की मात्रा एवं क्षमता बढ़ाता है । शहतूत
में पोटेशियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज भरपूर होते हैं, पोटेशियम हृदय की दर और
रक्तचाप को नियंत्रित करता है । शहतूत में विटामिन बी काम्पलेक्स की समृद्धता
कार्बोहाइडेट, प्रोटीन और वसा के चयापचय में मदद करता है । शहतूत रक्त की शर्करा
के स्तर का कम करने, हृदय रोग से रक्षा करने, रक्त के शुद्धिकरण कर गुर्दे एवं
जिगर की सेहत का ख्याल रखता है । शहतूत को औद्योगिक और दवा के रूप के में उपयोगी
है । हाकी, स्टिक, क्रिकेट बैट, टेनिस और बैडमिनटन के रेकेट बनाने में शहतूत की
लकड़ियेां से घर बनाया जाता है ।
संतरा एक स्वास्थ्यवर्धक फल है
संतरा अपने स्वास्थ्यवधर्क गुणों के कारण आज पूरी दुनिया में लोकप्रिय है । संतरे
के सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है , चुस्ती-फुर्ती बढ़ती है, त्वचा में निखार आता है
तथा सौंदर्य मंे वृद्धि होती है । संतरे
उदगम स्थान भारत, चीन, भूटान और मलेशिया है । पैदावार की दृष्टि से
ब्राजील, अमेरिका, मेक्सिको, स्पेन, इटली, चीन, मिश्र, टर्की, मोरेक्को और ग्रीस
देश सबसे अधिक संतरों का उत्पादन करते हैं । संतरा ठंडा, तन और मन को प्रसन्नता
देने वाला है । इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन सी होता है वहीं इसमें
विटामिन बी, विटामिन ए, फोलिक अम्ल, कैल्शियम, लोहा, गंधक, पोटेसियम,
प्रोटीन, कार्बोहाइडेªट आदि भी प्रचुर मात्रा में पाये जाते हंै । संतरे की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि
इसमें विद्यमान फ्रुक्टोज, डेक्स्ट्रोज, खनिज एवं विटामिन शरीर में पहुंचते ही
ऊर्जा देना प्रारंभ कर देता है । उपवास
और सभी रोगों में संतरा दिया जा सकता है ।
संतरे के सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है, चुस्ती-फुर्ती बढ़ती है, त्वचा में निखार
आता है तथा सौंदर्य में वृद्धि होती है । शोधकर्ता बताते हैं कि यदि आप प्रतिदिन
एक संतरे का सेवन करेंगें तो इससे झुरियाँ रोकने में मदद मिलेगी । संतरे का
विटामिन सी एक ऐसा एंअीआॅक्सीडेट है जो कोलोजेन के सिंथेसिस में महत्वपूर्ण भूमिका
निभाता है । कोलोजन प्रोटीन त्वचा को लचीला बनाए रखने में मदद करता है । रोजाना
संतरा खाने की आदत से रक्त में थक्का जमने की बीमारी स आम मुक्त रहेंगे क्योंकि
संतरे में ‘‘ रूटिन ’’ नामक रसायन धमनियों और शिराओं में रक्त का थक्का जमने से
रोकता है ।
पानी फल / सिंगाड़ा / - श्रृंगाटक -
पानी में पसरने वाली एक लता में पैदा होने वाला एक तिकोने आकार का फल है । इसके
सिर पर सींगों की तरह दो काँटे होते हैं । इसको छील कर इसके गूदे को सुखाकर और फिर
पीसकर जो आटा बनाया जाता है उस आटे से बनी खाद्य वस्तुओं को हमारे देश मंे लोग
व्रत उपवास में सेवन करते हैं क्योंकि इसे एक अनाज नहीं वरण एक फल माना जाता है ।
सिंगाड़ा हमारे देश के प्रत्येक प्रांत में तालों और जलाशयों में रोपकर लगाया जाता
है । इसकी जड़ें पानी के भीतर दूर तक फेलती हैं इसके लिए पानी के भीतर कीचड का होना
आवश्यक है । कँकरीली या बलुई जमीन पर यह नहीं फेल सकता है । इसक पत्ते तीन अंगुल
चैड़े कटावदार होते हैं जिनके नीचे का भाग ललाई लिए होता है । छिलका मोटा पर मुलायम
होता है जिसके भीतर सफेद गूदा या गिरी होती है । ये फल हरे खाए जाते हैं । सूखे
फलों की गिरी का आटा भी बनता है जो व्रत के दिन फलाहार के रूप में लोग खाते हैं ।
अबीर बनाने में भी यह आटा काम में आता है । वैद्यक में सिंगाड़ा शीतल, भारी कसैला,
वीर्यवर्द्धक, मलरोधक, वातकारक तथा रूधिरविकार और त्रिदोष को दूर करनेवाला कहा गया
है । पानी में उगने वाला सिंगाड़ा सेहत के लिए पौष्टिकता से भरपूर होता है इतना ही
नहीं, यह कई बीमारियों में भी फायदेमंद साबित होता है । तालाबों तथा रूके हुए पानी
में पैदा होने वाले सिंगाड़े के फूल अगस्त में आ जाते हैं, जो सितम्बर-अक्टूबर में
फल का रूप ले लेते हैं । छिलका हटाकर जो बीज पाते हैं वही कहलाता है सिंगाड़ा ।
सिंघाड़ा शक्तिवर्द्धक व रक्तशोधक फल है जो कई रोगों में हितकारी है ।
सीताफल / शरीफा /कस्टर्ड ऐपल (
रेटिकुलाटा एनोना) एक उपयोगी वनफल है । सीताफल ही एक मात्र ऐसा वृक्ष एवं फल है
जिस पर किसी रोग का आक्रमण नहीं होता है । गांठ का इलाज - पके हुए सीताफल का गूदा
कूटकर पोटली बांधने पर सांघतिक गांठ फूट जाते हैं । घाव में कृमि- सीताफल के पत्तों
को कूटकर सेंधा नमक मिलाकर घाव पर बांधने से फोड़े की पीव व कीड़े कृमि नष्ट हो जाते
हैं । केश रोग - सीताफल के बीज को पीसकर बकरी के दूध के साथ लेप करने से सिर के
उड़े बाल उग आते हैं और मस्तिक में ठन्डक पहुंचती है । मिर्गी हिस्टीरिया - सीताफल
के पत्तों को पीसकर उसका पानी रोगी की दोनों नासाओं (नाक के दोनों ओर) में दो-दो
बंूद डालने से होश आ जाएगा । प्रोस्टेªट की तकलीफों से बचाए सीताफल के बीज - 10
ग्राम तक हर दिन लेने से प्रोस्टेªट को काबू किया जा सकता है । सीताफल के बीज में
आयरन, फास्फोरस, ट्रिव्टोफेन, काॅपर, मैग्नेशियम, मैग्नीज, विटामिन ‘‘ के ’’
,प्रोटीन एवं जरूरी फैटी एसिड और फाइरोस्टोरोल । सीताफल के बीज जिंक का बेहतरीन
स्त्रौत है । प्रतिदिन 60 मि.ग्राम ंिजंक - प्रोस्टेट के मरीज को फायदा पहुंचता है
। सीताफल के बीज में बीटा-स्टिोस्टेरोन
होता है जो टेस्टोरेटोन को डिहाइडोटेस्टोरेन में बदलने नहीं देता । जिससे इसे
ग्रंथि के बढ़ने की सम्भावना न के बराबर हो जाती है । सीताफल के बीज को कच्चा या
भून कर या फिर दूसरे बीजों के साथ मिलाकर
खा सकते हैं इसे सलाद, पोहे में, सूप में डाल कर खा सकते हैं । सीताफल के
बीज और बेर के बीज के पत्ते बराबर मात्रा में लेकर पीसकर बालों की जड़ों में लगाएं
। ऐसा करने से बाल लंबे हो जाते हैं । सीताफल के लच्छे, खीर, आइसक्रीम, हलवा,
कस्टर्ड, कोफते और बासून्दी बहुत स्वादिष्ट बनते हैं । शरीर की दुर्बलता, थकान,
अशक्ति, मांस-पेशियां क्षीण होने की दशा में सीताफल का सेवन करने से मांसवृद्धि
होती है । सीताफल के बीज और बेर के बीज और पत्ते बराबर मात्रा में लेकर पीसकर
बालों की जड़ों में लगाएं, ऐसा करने से बाल लंबे हो जाते हैं । सीताफल अपेक्षाकृत उच्च कैलोरी फल है और इस तरह
वजन और एथलीटों के लिए आहार में शामिल है ।
स्टार फल /कमरख एक फल है । यह
स्वाद मंे खटटा होता है और इसकी चटनी, अचार आदि बनाया जाता है । यह भारत, बंगलादेश
श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस में पैदा होता है । स्टार फल बहुत कम
कैलोरी वाला फल है । 100 ग्राम फल में 31 कैलोरी ही प्रदान करता है । इसमें आवश्यक
पोषक तत्व, एंटी आॅक्सीडेंट और विटामिन पाये जाते हैं । इसकी मोमी छाल अच्छा फाइबर
प्रदान करता है जो कि एलडीएल कोलेस्टाल के अवशोषण को रोकने में मदद करता है । रेशे
भी पेट में कैंसर के कारण रसायनों के बंधन से विषाक्त पदार्थों को जोखिम से पेट के
श्लेष्म झिल्ली की रक्षा में मदद करता है । इसमें विटामिन सी की अच्छी मात्रा
(34.7मिलीग्राम) होती है जो कि एक शक्तिशाली एंटीआॅक्सीडेंट है । यह शरीर में
उपस्थित फ्री रेडिकलस के हानिकारक प्रभाव को रोकता है । स्टार फल में अधिक मात्रा
में पोलीफिनाइल फलेवोनाइडस एंटी आॅक्सीडेंट होता है ।स्टार फल फोलेएट, राइबोफलेविन
और विटामिन बी 6 के रूप में बी काॅम्प्लेक्स विटामिन का अच्छा स्त्रोत है जो
चयापयच में एंजाइमों के लिए उपयोगी है । स्टार फल में खनिज पोटेशियम, फास्फोरस,
जस्ता और लोहा अधिक मात्रा में पाये जाते हैं । पोटेशियम हृदय गति अैार रक्तचाप को
नियंत्रित करने में मदद करता है । औषधीय उपयोग में इसका रस मूत्रवर्धक,
एकपेक्टोरेंट, खांसी को दबाने के रूप में उपयोग किया जाता है ।
एक स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक फल
है । स्ट्राॅबेरी के एक कप रस (100 ग्राम) में 43 कैलोरी ऊर्जा होती है । लाल रंग
का रसीला स्ट्राॅबेरी अपनी मनमोहक सुगंध व स्वाद के कारण विश्व का सर्वाधिक
लोकप्रिय फल माना जाता है । इसका कई रूपों में उपयोग किया जाता है । स्ट्राॅबेरी
का मिल्क शेक हो या फिर आइसक्रीम अथवा स्ट्राॅबेरी का मीठा दही या फिर जैम, किसी
भी रूप में क्यों न हो, स्ट्राॅबेरी अपनी मनमोहक सुगंध के कारण विश्व का सर्वाधिक
लोकप्रिय फल उपलब्ध होता है । स्ट्राॅबेरी ब्लड प्रेशर कम करती है - स्ट्राॅबेरी
विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत है । इसके सेवन से न सिर्फ ब्लड प्रेशर कम करने में
मदद मिलती है, बल्कि इम्यून सिस्टम भी दुरूस्त रहता है । स्ट्राॅबेरी हडडियों में
मजबूती - स्ट्राॅबेरी में मौजूद मैग्नीज, पोटेशियम और विटामिन के हडडियों की
मजबूती के लिए खासा फायदेमंद है । स्ट्राॅबेरी पाचन ठीक रखती है - स्ट्राॅबेरी के
सेवन से पाचन क्रिया भी सही रहती है । यानि लिवर और पेट से संबंधित रोगों में बेहद
फायदेमंद है । स्ट्राॅबेरी एंटी-कैंसर एजेंट - स्ट्राॅबेरी में मौजूद फिनाॅल्स की
पर्याप्त मात्रा इसे एंटी-आॅक्सिडंेट और एंटी-इन्फलामेट्री गुणों से भरपूर बनाती
है । इन्हीं गुणों के कारण यह एंटी-कैंसर एजेंट की तरह भी काम करती है ।
स्ट्राॅबेरी आॅस्टियोआॅर्थराइटिस से बचाए - स्ट्राॅबेरी फिनाॅल्स की मौजूदगी के
वजह से ही स्ट्राॅबेरी आॅस्टियोआॅर्थराइटिस और अस्थमा जैसी समस्याओं में भी राहत
देता है । आंखों के लिए फायदेमंद - स्ट्राॅबेरी आंखों की सेहत के लिए भी यह फल
लाभदायक है । हर रोज स्ट्राॅबेरी के सेवन से आंखों में होने वाली आयुजनित मेकयलर
डिजनरेशन की समस्या से बचाव किया जा सकता है । प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए -
स्ट्राॅबेरी विटामिन सी से भरपूर और इसमें पाये जाने वाले एंटी आॅक्सीडंेट तत्व
शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले मुक्त कणों को खत्म कर, हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता
को बढ़ाता है । हर रोज एक कटोरी स्ट्राॅबेरी के नियमित सेवन से हम अनेक रोगों की
गिरफत में आने से बच जाते हैं । कोलेस्ट्राॅल करे नियंतरित स्ट्राॅबेरी - घुलनशील
फाइबर की अधिकता के कारण स्ट्राॅबेरी कोलेस्ट्रॅाल को कम करने में मदद करती है ।
कोलेस्ट्रॅाल का नियंत्रित स्तर हृदय रोग और उसकी समस्याओं के जोखिम को कम करता है
। हार्ट अटैक के खतरे को करे कम - पोटेशियम और सोडियम से भरपूर स्ट्राॅबेरी का
सेवन हाई ब्लड प्रेशर का नियंत्रित करने में मदद करता है । स्ट्राॅबेरी में मौजूद
फिनोलिकफलेवोनाॅयड यौगिक और फाइटोकैमिकलंटीआॅक्सीडेंट हार्ट अटैक या स्ट्रोक के खतरे को कम करता है । ये हृदय
की मांसपेशियों को मजबूत बनाने और दिल के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने में मदद
करते हैैै । स्ट्राॅबेरी तनाव को करे कम -
स्ट्राॅबेरी में मैंगनीज की बहुलता एक शक्तिशाली एंटीआॅक्सीडेंट के रूप में कार्य
करता है । मैंगनीज के मुक्त कण न केवल स्ट्रेस के खिलाफ लड़ने में मदद करते हैं,
बल्कि सेलुलर सूजन को कम कर हृदय रोगों से बचाव में भी सहायक होते हैं ।
फलों के बारे में जानकारी लाजवाब है .ऐसी जानकारी बहुत दुर्लभ है. धन्यवाद .आप ने बगुगोशा के बारे में कुछ नहीं लिखा?
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया जानकारी दी आपने
ReplyDeleteसाधुवाद
बहुत ही बढ़िया जानकारी दी आपने
ReplyDeleteसाधुवाद
Thanks
ReplyDeleteबहुत अच्छी पोस्ट
ReplyDeleteVery nice information
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