बछ बारस पूजा - शुभकामनाएं
बछ बारस (वत्स द्वादशी) प्राचीन हिन्दू परंपरा के अनुसार सुहागिनें और
माताएं बछड़े वाली गाय की पूजा करते हुए संतान की सकुशलता की कामना की जाती है । बछ
बारस का पर्व श्रद्धा व उल्लास से मनाया जाता है । गाय में देवताओं का वास होता है
।
.बछ बारस पूजा पुत्र की लंबी आयु के लिए की जाती है जिसमें दिन भर उपवास रख
कर गाय और बछड़े की पूजा की जाती है ।
गोपाल मंदिर में मक्का व बाजरा से बने व्यंजन का भोग लगाकर उद्यापन किया जाता है ।
महिलाओं द्वारा धार्मिक परंपराओं के अनुरूप इसे मनाया जाता है ।
मालवा, राजस्थान
सहित भारत में माताएं अपने संतान की सुख समृद्धि एवं लंबी उम्र के लिए गाय-बछड़े की
पूजा करती है । सार्वजनिक स्थानों पर आवारा गायों को हरा चारा खिलाकर पुण्य कमाया
जाता है । इस पर्व में महिलाओं ने व्रत-उपवास आदि रखकर अपने पुत्र की सुख-समृद्धि
एवं लम्बी उम्र की कामना की जाती है । घरों में मूंग और चने के व्यंजन बनाए जाते
हैं एवं महिलाएं चाकू से कटी खाद्य सामग्री का सेवन नहीं करती हैं ।
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