Tuesday, 5 August 2014

दूधराज - दुर्लभ प्रजाति का सुन्दर पक्षी

दूधराज - दुर्लभ प्रजाति का सुन्दर पक्षी
















दूधराज या सुल्ताना बुलबुल (एशियाई दिव्यलोकी कीटमार) या एशियाई पैराडाइज फलाईकेचर मध्म आकार का एक पक्षी है। दूधराज मछरमनी परिवार का सदस्य है जो हवा में कीट-पतंगों को पकड़ कर अपना भोजन करने के लिए जाने जाते हैं । यह पक्षी मुख्य रूप से पश्चिमी  उत्तरप्रदेश से ब्रहमपुत्र के मैदानों तक तथा दक्षिण भारत में पाया जाता है । नर दूधराज सफेद रंग का होता है जबकि मादा का रंग चमकीला काला होता  है । इस पक्षी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि किशारावस्था तक तो नर पक्षी का रंग मादा जैसा होता है , 











लेकिन वयस्क होने पर उसका रंग परिवर्तित हो जाता है । नरों की दुम पर लंबे पंख होते हैं जिनका रंग सफेद, काले या लाल-भूरे रंग का होता है । ये पक्षी घनी टहनियों वाले पेड़ों के नीचे कीट पकड़कर खाते हैं । दूधराज मध्यप्रदेश का राजपक्षी है । दूधराज की कलगी राजा के मुकुट की तरह तनी हुई होती है । दूधराज मादा अपनी लम्बी पूंछ को किसी पंतग सी लहराते हुए नर को आकर्षित करती है । चीव ....... च्व्व्व्व्वि की इसकी प्यारी सी आवाज होती है । 













मादा दूधराज का रंग भूरा और काला होता है पर उसकी पूंछ नरों की तरह लम्बी नहीं होती है ।  ये पंछी कटोरे के आकार का छोटा सा घोंसला बनाते हैं और नर-मादा दोनों की अंडों की देखभाल करते हैं । दूध राज एक चंचल पक्षी है और आमतौर से छायादार स्थानों, तालाबों और गुफाओं में रहते हैं । यह पक्षी अपना घोंसला काफी छिपाकर बनाता है तथा आमतौर से जमीन पर नहीं उतरता है । 












दूधराज को सुल्ताना बुलबुल के नाम से भी जाना जाता है । वयस्क दूधराज 19-22 से.मी. लंबा होता हैं उसके पंख 86-92 मिमी लंबे होते हैं  तथा पूंछ 30 सेमी लंबी होती है । दूधराज तुर्कीसतान के मंचूरिया, भारत, श्रीलंका, मलय द्वीपसमूह, कोरिया और मालदीव और सिंगापुर में पाये जाते हैं । ये प्रवासी पपक्षी बारिश और सर्दियों के मौसम में आते हैं । दूधराज का प्रजनन मई से जुलाई का होता है । वे एकल घौसला जो कटोरानुमा होता है बनाते हैं जिसमें अण्डे देने के बाद सेते हैं जिसकी अवधि 14 से 16 दिन की होती है और अंडों से बच्चों के बाहर आने के बाद 9 से 12 दिनों में वे उड़ जाते है। । मादा 3 से 4 अंडे देती है







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