हरतालिका तीज - सुखी दापत्व व्रत
हरतालिका तीज सावन माह के शुक्ल
पक्ष की तृतीया को मनायी जाती है । यह मुख्यतः स्त्रियों का त्योहार है । हरतालिका
तीज हस्त नक्षत्र के दिन कुंवारी और सौभाग्यवती महिलाएं गौरी शंकर की पूजा करती
हैं । .हरतालिका तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज कहते हैं
जनमानस में यह हरतालिका तीज के नाम से जानी जाती है ।
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इस समय जब प्रकृति चारों तरफ
हरियाली की चादर सी बिछा देती है तो प्रकृति की इस छटा को देखकर मन पुलकित होकर
नाच उठता है । जगह-जगह झूल पड़ते हैं । स्त्रियों के समूह गीत गा-गाकर झूला झलते
हैं । इस दिन कुमारी और सौभाग्वती महिला गौरी श्ंाकर की पूजा करती हैं । सावन की
तीज में महिलाएं व्रत रखती हैं इस व्रत को अविवाहित कन्याएं योग्य वर को पाने के
लिए करती हैं तथा विवाहित महिलाएं अपने सुखी दांपत्य की चाहत के लिए करती हैं ।
ब्रहम
मुहूर्त में जागें, नित्य कर्मों से निवृत होकर, उसके पश्चात तिल तथा आंवला के
चूर्ण के साथ स्नान करें फिर पवित्र स्थान में आटे से चैक पूर कर केले का मण्डप
बनाकर शिव पार्वती की पार्थिव-प्रतिमा (मिटटी की मूर्ति) बनाकर स्.थापित करें ।
तत्पश्चात नवीन वस्त्र धारण करके आसन पर पूर्वाभिमुख बैठकर देशकालादि के उच्चारण
के साथ हाथ में जल लेकर संकल्प करें क्योंकि मैं आज तीन के दिन शिव पार्वती का पूजन
करूंगी इसके अनन्तर ‘‘ श्री गणेशायः नमः’’ उच्चारण करते हुए गणेशजी का पूजन करें ।
‘‘ कनशाभ्यो नमः’’ से वरूणादि देवों का आवाहन करके कलश पूजन करें । चन्दनादि
समर्पण करें, कलशमुद्रा दिखावें घन्टा बजावें जिससे राक्षस भाग जायं और देवताओं का
शुभागमन हो, गन्ध अक्षतादि द्वारा घंटा को नमस्कार करें, दीपक को नमस्कार कर
पुष्पाक्षतादि से पूजन करें ।
श्री शिव हरितालिका की जयजयकार महा-अभिषेक करें । पूजा के पश्चात अन्न, वस्त्र, फल दक्षिणा युक्तपात्र हरितालिका देवता के प्रसन्नार्थ ब्राहमण को दान करें उसमें ‘‘ न मम ’’ कहना आवश्यक है । इससे देवता प्रसन्न होते हैं । दान लेने वाले संकल्प लेकर वस्तुओ के ग्रहण करने की स्वीकृति देवे, इसके बाद विसर्जन करें । विसर्जन में अक्षत एवं जल छिड़ कें ।
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