धनतेरस - 2014
धनतेरस पूरी दुनिया में हिंदुओं
द्वारा मनाये जाने वाला त्यौहार है इस दिन लोग देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं और
अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं । इस साल धनतेरस मंगलवार 21
अक्टूबर को मनाया जाना है । .धनतेरस पूजा मुहूर्त: 19.04 से 20.15 (अवधि 1 घंटा 10
मिनट ) धनतेरस उत्तर भारत, महाराष्ट्र और गुजरात में दीपावली से पहले मनाया जाता
है ।
यह दिन धन्वन्तरि, देवताओं के चिकित्सक के लिए समर्पित है । धनतेरस विभिन्न
समुदायों से अलग ढंग से मनाया जाता है । यह नई खरीद और निवेश करने के लिए अत्यधिक
शुभ दिन माना जाता है । देवी लक्ष्मी का
धनतेरस के दिन स्वागत किया जाता है जिसमें दरवाजे पर रंगोली, लक्ष्मी के छोटे
पैरों के निशान लगाये जाते हैं । धनतेरस सोना, प्लेटिनम और चांदी जैसी कीमती
धातुओं को खरीदने के लिए एक शुभ दिन है । इस दिन कम से कम एक या दो नए बर्तन
खरीदनें की परम्परा है ।
तेल या घी के दिये जलाये जाते हैं । दीपदान और लक्ष्मी
पूजा एक महत्वपूर्ण रस्म है । ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी
पृथ्वी पर नीचे आ जाती हैं और 5 दिनों तक यहीं रहती हैं । धनतेरस पर, देवी लक्ष्मी
समृद्धि और खुशहाली प्रदान करने के लिए पूजा की जाती है । धनतेरस तिथि 13 वीं को
आता है धन और तेरा का मतलब है । धनतेरस पर कुबेर की पूजा यंत्र के रूप में की जाती
है । कुबेर यंत्र बहुत शक्तिशाली होता है जो जीवन में समृद्धि और खुशी लाता है ।
भगवान कुबेर खासकर व्यापारिक समुदायों और व्यापारियों द्वारा पूजे जाते हैं
क्यांेकि धन और समृद्धि के देवता हैं । सेहत, सफल व्यवसाय, शिक्षा, ज्ञान,
औद्योगिक और कैरियर के विकास में मदद करता है ।
देवी लक्ष्मी के आठ प्रकार होते
हैं ।
1. आदि लक्ष्मी - यह लक्ष्मी की सबसे प्राचीन रूप है ।
2. धन लक्ष्मी- इसमें धन के लिए पूजा की जाती है ।
3. ध्यान लक्ष्मी - यह रूप देवी कृषि धन के साथ लोगों को
आर्शिवाद देती हैं ।
4. गज लक्ष्मी - इस रूप में देवी एक हाथी पर सवार हैं और पशुधन के
लिए पूजा की जाती है ।
5. संतान लक्ष्मी - यह देवी रूप बच्चों के लिए पूजा जाता है ।
6. वीर लक्ष्मी - यह देवी रूप शक्ति और सत्ता के लिए पूजा जाता है
।
7. विजया लक्ष्मी - यह देवी रूप सफलता और सत्ता के लिए
प्रार्थना की जाती है
8. विद्या लक्ष्मी - यह देवी रूप शिक्षा और ज्ञान के लिए पूजा
की जाती है ।
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन समुद्र
मंथन से आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे । उन्होंने देवताओं को अमृतपान कराकर अमर कर
दिया था । धनतेरस के दिन घर की महिलाओं को नये कपड़े पहने चाहिए जिसमंे लाल या पीले
रंग की साड़ी पहनना शुभ होगा ।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि
के दिन धनतेरस का पर्व पूरी श्रद्धा व विश्वास से मनाया जाता है । इस दिन धनवन्तरी
के अलावा इस दिन, देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की भी पूजा करने की मान्यता
है । यमदेव को भी दीपदान किया जाता है मान्यता है कि इस दिन यमदेव की पूजा करने से
घर में असमय मृत्यु का भय नहीं रहता है । धन त्रयोदशी के दिन देव धनवंतरी देव का
जन्म हुआ था ।
धनवंतरी देव देवताओं के चिकित्सकों के देव हैं । धनतेरस के दिन नये
उपहार, सिक्का, चांदी, बर्तन व गहनों की खरीदरी करना शुभ माना जाता है । लक्ष्मी
जी व गणेश जी की चांदी की प्रतिमाओं को इस दिन धर लाना धन , सफलता व उन्नति को
बढ़ाता है । इस दिन भगवान धनवन्तरी समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे । मान्यता है
कि इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में
वृद्धि करता है । इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजन करने के साथ-साथ सात धान्यों -
गेंहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर की पूजा की जाती है । इस दिन पूजा में
भोग में श्वेत मिष्ठान का प्रयोग किया जाता है । कुबेर को प्रसन्न करने का मंत्र -
‘‘ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय
धन-धान्य अधिपतये
धन-धान्य समृद्धि में देहि दापय
स्वाहा ’’ ।।
तेरस के सायंकाल किसी पात्र में
तिल के तेल से युक्त दीपक प्रज्वलित करें ।
No comments:
Post a Comment