(7) चटटल शक्तिपीठ
बांग्लादेश के चटगांव जिलें में
सीताकुंड के पास चंद्रनाथ पहाड़ी में स्थित प्रमुख शक्तिपीठ स्थापित है । इस
शक्तिपीठ में देवी सती का दाहिना हाथ नीचे गिर गया था । देवी सती की प्रतिमा भवानी
के रूप में और भगवान शिव चंद्रषेखर के रूप में जाना जाता है । विशेष रूप सं शब्द
मुकुट पर या उनके सिर के शीर्ष पर एक चाँद मिल गया है ।
स्थानीय लोगों की मान्यता
के अनुसार भगवान शिव काली युग में चंद्रशेखर पर्वत की यात्रा पर आने के लिए
प्रतिबद्ध हैं । चंद्रनाथ पहाड़ी की चोटी पर स्थित चंद्रनाथ मंदिर खूबसूरत संगमरमर
संरचनाओं और कला के बनाया गया है । चटटल शक्तिपीठ सर्वश्रेष्ठ कला और स्थापत्य कला
विशेष है । सूर्य प्रकाश और सफेद संगमरमर की चमक का प्रतिबिंब स्वर्ग में होने का
दृष्य प्रस्तुत करता है ।
मंदिर के सामने
एक बड़ा आगन है और इस पर संगमरमर का फर्श है । मंदिर के विशाल स्तंभों जो कि एक
किले का प्रतिनिधित्व करते हैं । सुबह-शाम आरती में बड़ी संख्या में भक्त एकत्रित
होते हैं । देवी भवानी इस मंदिर का मुख्य आकर्षण है । आज से 900 साल पहले राजा
विश्वामबर सुर जो राजमाला राज्य के राजा थे ने समुद्र राह से चंद्रनाथ पहाड़ी पर
पहुचंने की कोशिश की थी ।
यह स्थान राजा दान्या माणिक्य के समय में समृद्ध था बहुत
कोशिश के बाद भी शिव प्रतीक को उखाड़ फंेकने में असफल रहे थे । हर साल नवरात्रि एक
मार्च या अप्रैल और दूसरे सितम्बर या अक्टूबर के महीने में मुख्य त्यौहार मनाये
जाते हैं । 9 दिनों के इन विशेष समारोह में भक्तगण फल, दूध घर की बनी मिठाई भगवान
को चढ़ाते हैं एवं प्रसाद ग्रहण करते हैं । इसके साथ ही अन्य त्यौहारों में
नागपंचमी और तीज महोत्सव भी मनाया जाता है ।
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