.आम के औषधीय
गुण
आम भारत का
राष्ट्रीय फल है
आम का वृक्ष
एक फूलदार बड़ा
स्थलीय वृक्ष है ।
आम फल एक
बीज वाला सरस
और गूदेदार होता
है आम का
फल विश्व प्रसिद्ध
स्वादिष्ट फल है
इसे फलो का
राजा कहा गया
है । इसका
इतिहास अत्यन्त प्राचीन है
। आम अत्यन्त
उपयोगी, दीर्घ जीवी, सघन
तथा विषाल वृक्ष
है । सन्
1844 में दो प्रजातियां
1. मैंजीफेरा जीनस - जो बर्मा,
स्याम, मलाया 2. मैजीफेरा इंडीका
- बर्मा, पाकिस्तान, भारत में पायी
जाती है ।
भारतवासियों के जीवन
और अर्थ व्यवस्था
का आम से
घनिष्ठ सम्बंध है ।
उद्यानी कृषि में
काम आने वाली
भूमिका का 70 प्रतिशत भाग में आम के
उपवन लगाने का
काम होता है
। आम को
‘‘कल्प वृक्ष ’’ अर्थात मनोवांछित
फल देने वाला
भी कहते हैं
। मुग़ल सम्राट
अकबर ने ‘‘लाल
बाग ’’ नामक बाग
में 1 लाख पेड़ों
वाला उद्यान दरभंगा
में लगवाया था
जिसे लाखी बाग
कहते हैं ।
हमारी रीति व्यवहार,
हवन, यज्ञ, पूजा,
कथा ,त्यौहार तथा
सभी मांग कार्यो
में आम की
लकड़ी, पत्ती, फूल
अथवा एक न
एक भाग काम
आता है ।
कच्चे आम से
चटनी, खटाई, अचार,
मुरब्बा आदि बनाते
हैं । पके
फल अत्यन्त स्वाटिष्ट
होते हैं ।
ये पाचक रेचन
एवं बलप्रद होते
हैं । आम
की 1400 जातियां हैं विभिन्न
प्रकार के आमों
के आकार एवं
स्वाट में बड़ा
अंतर होता है
कुछ बेर से
भी छोटे, कुछ
बड़े जैसे सहारनपुर
का हाथी झूल
- 2.5 किलो का, कुछ
अत्यन्त खटटे अथवा
स्वादीष्ट या चेप
से भरे होते
हैं परन्तु कुछ
अत्यन्त स्वादिष्ट और मधुर
होते हैं
आम की किस्मों
में - लंगड़ा, चैसा,
फजली, बम्बई ग्रीन,
अलफोन्जो, बैंगन पल्ली, हिम
सागर, केशर , किशन भोग, मलगोवा, नीलम
इत्यादि हैं । नई
किस्मों में मल्लिका,
आम्रपाली, रत्ना, दशहरी है
।
आयुवेदिक मतानुसार आम
के अंचागं (पांच
अंग काम में
आते हैं ।
आम की अंतछाल
का क्वाथ प्रदर,
खूनी बवासीर, और
फैफड़ों या आंत
के रक्तश्राव होने
पर दिया जाता
है । छाल,
जड़ और पत्ते
सैले, मलरोधक, बात,
पित्त और कफ
का नाश करने
वाले होते हैं
। पत्ते बिच्छू
के काटने में
और इनका घुआं
गले की व्याधियों
तथा हिचकी में
लाभदायक है गुठली
की गरी का
चूर्ण -श्वास , अम्लपिप्त तथा
प्रदर में लाभदायक
होने के सिवाय
कृमिनाषक होता है
। फल का
छिलका - गर्भाषय के रक्तश्राव,
रक्तमय काले दस्तों,
मुंह के बलगम
के रक्त जाने
में उपयोगी है
। फलों का
चूर्ण या क्वाथ
अतिसार तथा संग्रहणी
में उपयोगी कहा
गया है ।
पका आम बहुत
स्वास्थवर्धक, पोषक, शक्तिवर्धक और
चर्बी बढ़ाने वाला
होता है ।
पका आम रासायनिक
तत्वों से परिपूर्ण
होता है इसमें
विटामिन, प्रोटीन, वसा, खनिज
लवण आदि प्रमुख
हैं खनिजों में केल्शियम , फास्फोरस, सोडियम, पोटेशियम ,कापर, गंधक, मैग्नीशियम ,
क्लोरीन प्रमुख हैं विटामिनों
में विटामिन ए,
बी, सी एव
डी प्रमुख हैं
आम को पथरी
की शिकायत में
उपयोगी पाया गया
है । यह
गुर्दे की पथरी
तक को गला
देता है ।
कच्चे आम का
पना लू लगने
की रामबाण औषधि
है । आम
के सेवन से
नेत्र की ज्योति
बढ़ती है ।
रतौंधी की शिकायत नहीं रहती है
। पीलीया रोग
में लाभदायक है
यह यकृत को
ठीक करता है
। यदि आम
के रस को
थाली, चकले कपड़े
इत्यादि पर पसार
कर धूप में
सुख लिया जाए
तो उसे अमावट
बना कर रख
सकते हैं ।
आम को अनंत
समय से भारत
में उगाया जाता
रहा है कवि
कालिदास ने इसकी प्रसंशा में गीत
लिखे हैं अलेक्सेंडर
ने इसका स्वाद
चखा और साथ
ही चीनी धर्म
यात्री व्हेन संग ने
भी । आम
तो आम न
होकर खास है
जो कि उष्ण
कटिबंधी हिस्से में सबसे
अधिक महत्वपूर्ण और
व्यापक रूप से
उगाये जाना वाला
फल है ।
सामान्य रूप से
आम गर्मी के
मौसम में फलता
और पकता है,
परन्तु मुंबई और दक्षिण
भारत के आसपास
के क्षेत्रों में
सर्दी के मौसम
में भी आम
फलता है ।
आम के बड़े
और कच्चे फलों
को अमिया कहते
हैं । आम
की विभिन्न प्रकार
की प्रजातियाँ होने
के कारण इसके
आकार, रंग , स्वाद
आदि में काफी
विविधता होती है
। मुख्य रूप
से आम दो
प्रकार के होते
हैं - गूदे वाले
और रस वाले
। गूदे वाले
आम में दशहरी,
चैंसा, लंगड़ा आदि आम
आते हैं ।
व्यावसायिक उपयोग के लिए
आम को प्रायः पुआल के
नीचे आम को
बंद कमरों के
भीतर रख का
पकाते हैं , इस
प्रक्रिया में करीब
7 दिन लग जाते
हैं । कहीं कहीं
आम को पकाने
के लिए रासायनिक
पदार्थों का भी
उपयोग किया जाता
है । इस
प्रकार पकाए गए
आम स्वास्थ्य के
लिए हानिकारक होते
हैं तथा अनेक
प्रकार के रोगों
को फैलाते हैं
। आम भण्डारकरण
करने के लिए शीतगृह सर्वाधिक उपयोगी है
।
पका आम
- पका हुआ आम
का फल हृदय
रोग के लिए
विशेष लाभदायक होता
है । इसका
सेवन षरीर स्वास्थ्य,
बलशाली, पाचनशक्ति बढ़ाने और शुक्राणु सम्बंधित दोषों को
दूर करने की
क्षमता होती है
। गर्मियों के
मौसम में पका
हुआ फल का
सेवन से प्यास
और थकान का
अनुभव नहीं होता
है । आम
को लम्बी आयु
प्रदान करने वाला
फल कहा गया
है । आम
के पके हुए
फल में ग्लूकोज,
कार्बोहाईडेट, सुक्रोस, फ्रुकटोस, माल्टोस,
विटामिन ए, प्रचुर
मात्रा में होते
हैं। आम रस - आम का रस निचुड़ा हुआ- बलकारी, वायुनाशक, हृदय को तृप्त करने वाला और कफवर्धक है । सूर्य किरणों से सुखाकर तैयार किया हुआ रस हल्का होता है । यह पित्तनाशक होता है । गर्मी के दिनों में कच्चे आम को उबालकर उसमें शक्कर नमक डालकर तैयार किया जाता है जिसे आम का पन्ना कहते हैं जिसे पीने से षरीर को ठंडक पहुंचती है और लू लगने का खतरा नहीं रहता है ।
No comments:
Post a Comment