राजहंस (लेमिंगो) - लुप्त होते
पक्षी - संरक्षण जरूरी
राजहंस को सोन पक्षी भी कहते हैं ।
यह प्रायः झुंड बनाकर उड़ते हैं और झीलों के किनारे रहते हैं । इसके अनेक भेद हैं
इसके रंग श्वेत तथा पैर और चोंच लाल रंग की होती है । यह अगहन पूस में उत्तरीय भारत में उत्तर के ठंडे प्रदेशों से
आते हैं ।
राजहंस बहुत ही सामाजिक पक्षी है ।
लेमिंगो एक मिलनसार पक्षी है राजहंस कैरोटीन की उनके भोजन के रूप लेने के कारण रंग
में गुलाबी है । प्रजातियाँ -
1. ग्रेटर लेमिंगो - अफ्रीका, दक्षिण यूरोप, एशिया
2. कम राजहंस - उ.प्र. भारत, अफ्रीका
3. चिली के राजहंस - दक्षिण अमेरिका
4. जेम्स लेमिंगो - पेरू, चिलि, बोलिविया और अर्जेटीना
5. रेडियन लेमिंगो - पेरू, चिलि, बोलिविया और अर्जेटीना
6. अमेरिकी लेमिंगो - कैरेबियन और गैलपागोस द्वीप समूह ।
राजहंस के तथ्य: राजहंस ऊंचाई मंे
5 फुट के होते हैं । राजहंस का वजन 4 किलो पाया गया है । राजहंस के एक पंख का
फेलाव 55 से 65 इंच के बीच पाया गया है । एक वयस्क राजहंस के पैर उसके शरीर की
तुलना मंे बड़े होते हैं । राजहंस की आंखें अपने मस्तिक से भी अहम होती हैं ।
राजहंस के खाने में कैरोटीन से उन्हें गुलाबी रंग मिलता है । राजहंस एक पैर पर खड़ा
हो सकता है । राजहंस का पैर झिल्ली दार होने से वह कीचड़ में खड़ा रह सकता है ।
राजहंस कालोनियों में रहने का आनन्द और एक मिलनसार पक्षी है । राजहंस के घौसले का
व्यास लगभग 12-20 इंच होता है । राजहंस एक मांसाहारी पक्षी है ।
सर्दी के मौसम में अफ्रीका एंव
यूरोप में बर्फवारी होने पर राजहंस पलायन कर भारत में दिसम्बर के महीने में आना
शुरू हो जाते हैं पर अधिक संख्या में मार्च-अप्रैल के महीने में गुजरात एवं
महाराष्ट के समुद्री किनारों पर प्रवास करते हैं । इनके शरीर का रंग गुलाबी या नारंगी होता है । इनके पंजो की बनावट
झिल्लीनुमा होती है ताकि छिछले पानी में शिकार ढूढने में इन्हें मदद मिल सके ।
राजहंस दिन में आराम , रात में काम करते हैं राजहंस दिन में नदी व जलाशयों में
आराम करते हैं और रात को खेतों व चारागाहों में भोजन की तलाश करते हैं ये शाकाहारी
पक्षी घांस, सर्दियों की फसल व जलीय वनस्पति खाते हैं । ये एक टांग पर 4 घंटे से
अधिक समय तक खड़े रह सकते हैं ।
शरीरिक विवरण: रंग - राजहंस के
पंखों का रंग उनकी नस्लों के अनुसार विविधता लिये रहता है जो कि पीला गुलाबी से
सिन्दूरी होता है । केरेबियन राजहंस - सिन्दूरी, चिलियन राजहंस - पीला गुलाबी
इनके पंखों का रंग उनके केरोटीन
खाने से जो कि उनके आहार से बनता है । नर एवं मादा राजहंस का एक ही रंग होता है ।
नवजात बच्चों का रंग ग्रे /घूसर या सफेद होता है । जैसे जैसे नवजात उम्र में बढ़ते
हैं लगभग 1 से 2 साल मंे ये पूर्ण रंग प्राप्त कर लेते हैं । राजहंस की टांगों और
पैरों का रंग उनकी जाति के अनुसार पीले से नांरगी या गुलाबी-लाल होता है । एनडिईन
राजहंस की टागों और पैर पीले रंग के होते हैं । राजहंस की टांगें उसके शरीर के
अनुपात में लम्बी होती है जो कि 80-125 से.मी. उनकी नस्लों के अनुसार पाई गई हैं ।
इनका टखना उनकी टांगों के बीचों बीच होता है । राजहंस का घुटना शरीर के बहुत पास
होता है तथा दिखाई नहीं देता है । चिलियन, ग्रेटर और लेसर राजहंस के
पैरों में 3 उंगलियां होती हैं तथा 1 उंगली पिछली तरह पाई गयी है । पैरों की
उंगलियों के बीच झिल्ली होती है जो तैरने तथा भोजन प्राप्त करने में सहायता करती
है । राजहंस के पंखों का फेलाव लगभग 95-100 से.मी छोटे राजहंस में तथा 140-165
से.मी. बड़े राजहंस में पाया गया है । केरेबियन राजहंस में पंखों का फैलाव लगभग 150
से.मी. होता है । इनके पंखों विशेषता इनके 12 उड़ने वाले परों में होती है जो काले
रंग के होते हैं जो कि तभी दिखाई जैसे हैं जब राजहंस उड़ान भरता है । राजहंस की
गर्दन लम्बी एवं घुमावदार होती है राजहंस की आंखें सिर के दोनों तरफ होती हैं ।
राजहंस के नवजात बच्चें की आंखे घूसर पर वयस्क की पीले रंग की होती हैं । राजहंस
के चोंच (बिल) इस तरह बनी होती है कि उससे भोजन छनकर जाता है । उसके ऊपर एवं नीचे
के जबड़े में दो कतारों में ब्रश के बालों जैसे लेमिने होते हैं जो 9 से 21 संख्या
मंे होते हैं जो खाया भोजन छानने को काम करते हैं । इनकी जीभ मांसल होती हैं
जिसमें ब्रिसटल होते हैं जो कि पानी और खाने के टुकड़े छन कर पेट में जाते हैं ।
राजहंस की श्रवण शक्ति बहुत अच्छी होती है वह अपने आवाज के उच्चारण से पूरे झुंड
को जिसमें माता पिता एंव बच्चें सभी संगठित रहते हैं । राजहंस की दृष्टि दूरगामी
होने से वह कई सौ / हजारेां राजहंसों को एक साथ देख सकते हैं । राजहंस के जीभ की
स्पर्श छमता जबरजस्त होती है जो यह निर्णय लेती है कि कौन सा भोजन खाना है कौन सा
नहीं । इनकी सूंघने की क्षमता न के बराबर होती है । राजहंस 50-60 किलोमीटर प्रति
घंटे की स्पीड से उड़ सकते हैं । ये एक समय में 500 से 600 किलोमीटर तक रात के समय
उड़ कर जा सकते हैं ।
आहार - राजहंस नीला- हरी और लाल
शैवाल (अलगी), लार्वा, छोटे कीड़े, छोटी मछलियां खाती हैं । एल्फा एवं बीटा
केरोटीनोइड पिगमेन्ट जो कि केन्थेकसानथीन से मिलता है ।
प्रजनन - राजहंस लगभग 6 साल में
वयस्कता को प्राप्त करता है । एक वर्ष में मादा राजहंस एक अण्डा देती है जिसकी
लम्बाई 78-49 मि.मी एव भार 115 ग्राम छोटे राजहंस में तथा 55 मि.मी एवं अण्डे का
भार 140 ग्राम होता है। अण्डे का आकार आयताकार होता है जो कि मुर्गी के अण्डे से
मिलता जुलता है । राजहंस के अण्डे का रंग सफेद (पीला-नीला) होता है । मादा अण्डे
को 27-31 दिन तक सेती है तथा अण्डे से 24-36 घण्टे में बच्चा निकलता है । मादा और
नर अपने बच्चों को अपने उपरी पेट से दूध जिसमें प्रोलक्टीन होता है देकर पालन पौषण
करते हैं इसमें 9 प्रतिशत प्रोटीन और 15
प्रतिशत वसा होती है । इस दूध का रंग लाल होता है जो कि केनथान्टिथीन जो कि बच्चे
के यकृत में जमा होता रहता है बाद में बच्चे के बड़े होने पर पंख में आ जाता है ।
संरक्षण - मानव की दखलंदाजी की वजह
से इनकी संख्या में कमी आई है । मानव द्वारा रोड, हाईवे बनाने से राजहंस के
वातावरण को नुकसान पहुंचा है उनके आहार एवं प्रजनन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है ।
खनन में बोरोन, लीथीयम , नाईटेट, पोटेशियम, मोलेबडेनम का बुरा प्रभाव राजहंस की
संख्या में पड़ा है । साथ ही नीची हवाई उड़ानों एवं दर्शकों द्वारा फोटोग्राफी ने भी प्रभावित किया है ।
सर नमस्कार,
ReplyDeleteआपका ब्लॉग पढ़ा। कई महत्वपूर्ण विषयों पर अनोखे अंदाज़ में पढ़ने को मिला। वाक़ई शानदार। मैं चकमक पत्रिका से जुड़ा हूँ। आप से गुजारिश है अगर चकमक के लिए आप कुछ लिखें तो अच्छा रहेगा।
---
भवानी शंकर
9404349339