असील - मुर्गी की लड़ाकू नस्ल
असील भारत की विशुद्ध नस्ल है जो कि सहनशक्ति और लड़ाकू गुणों
के लिए प्रसिद्ध है । असील का अर्थ है ‘‘शुद्ध’’ अथवा ‘‘असल‘‘ । मूल असील
मुर्गियां मध्यम आकार की होती हैं ।
शुद्ध असील आक्रमणशील पक्षी है । ऊध्र्वाधर तथा तेजस्वी गठन वाले
इस पक्षी की चोंच छोटी, दृढ़ और मोटी, कलंगी छोटी एवं मटराकार, माथा छोटा आंखों के
बीच चैड़ा, चेहरा लम्बा और कुछ कुछ पतला शरीर गोलाकार और छोटा, सीना चैड़ा और पंख
गंठे हुए तथा पूंछ छोटी और लटकती हुयी होती है । आंखें तेज और सुगढ़ तथा दाढ़ी
नाममात्र को अर्थात बहुत छोटी होती है
। इसकी टांगें मजबूत, सीधी परन्तु पतली
और एक दूसरे से माकूल दूरी पर होती है । मुर्गियों की चाल बड़ी मुस्तैद होती है
जिससे इसकी स्फूर्ति और शक्ति का आभास मिलता है । यह रंग में काला, श्वेत,
इश्पाती-नीला, काला-लाल मिश्रित लाल और चित्तीदार होता है ।
असील नस्ल की मुर्गियां कम अंडे देने वाली होती हैं । असील एक उत्तम खाद्य मुर्गी है जिसमें
मांस की मात्रा अधिक होती है । यह स्वादिष्ट और सुरस होता है । मंद वृद्धि एवं
न्यून जनन-क्षमता के कारण इसे व्यापारिक पैमाने पर नहीं पाला जा सका पर अब संकरण
से इसके गुण जैसे सहनशक्ति एवं मांस की कोटि में सुधार लाया जा सका है । एसील में
प्राकृतिक अंडे सेने की क्षमता, बुद्धिमत्ता, एवं सहनशक्ति के लिए प्रसिद्ध है ।
असील की कई नस्लें हैं । इनमें सबसे प्रसिद्ध ‘‘ ईरान ’’ नस्ल
है । इस नस्ल का नाम इसके मूल स्थान के नाम पर रखा गया है । भारत में यह नस्ल
ईरानी कबीलों से लाई गयी थी । हैदराबाद पीला (लाल), सुन्हरी (सफेद), याखुद (काली
या लाल), धम्भर (सलेटी), टीकर (भूरा), जवा (धारीदार), पटेदा (सिंगल काम्ब), कब्वाल (दाढ़ीदार) , काली, बत्तख जैसे पंखों
वाली, और चितकबरी आदि नस्लें पायी जाती हैं । असील नस्ल के मुर्गे का वजन 4-4.5
किलोग्राम तक तथा मुर्गी का वजन 3.2-3.6 किलोग्राम तक होता है । असील की 3 प्रमुख
प्रजातियां हैं । 1 मद्रास असील, 2. रजा असील और 3. कुलंग असील ।
1. मद्रास
असील - यह प्रजाति तमिलनाडू में पायी जाती है और यहां यह एक लड़ाकू मुर्गी के तौर
पर जानी जाती है । इसे थाईलैंड, चीन और दक्षिण एशिया में पाला गया । इसके मुख्य
रंग काला, लाल, भूरा, नीले और हरे हैं । इस नस्ल की विशेषता इसकी लम्बी पूंछ जो 60
सें.मी. तक होती है जिसे काटू सेवल कहते हैं ।
2. रजा असील -
यह प्रजाति ब्रिटेन द्वारा मानकीकृत जिसका वनज 1.8 से 2.7 किलो होता है जो कि
विभिन्न रंगों जैसे काले लाल, प्रकाश लाल, काला, धब्बेदार लाल, जावा देखी जा सकती
है । भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका में इसे रजा नाम से ही जानते हैं ।
3. कुलेंग
असिल- उत्तरी एवं दक्षिणी भारत और मद्रास
में विकसित वजनदार मुर्गी (5-7 किलो) इसका शरीर गठीला और मजबूत दिखता है ।
एसील भारत की एक प्राचीन नस्ल है जिसे मूल रूप से मुर्गों की
लड़ाई के लिए पाला जाता है । इसके कोम्ब और वेटल्स बहुत छोटे होते हैं । एसील
प्राकृतिक अण्डे सेने वाली नस्ल है । इसके पंख चिकने और शरीर से चिपके होते हैं ।
एसील भारत में एक लड़ाकू पक्षी के रूप में विकसित की गई है ।
कुलंग असील |
मद्रास असील |
रेजा असील |
Sir mujhe bhi chahiye palne ke liye
ReplyDeleteयहा मुर्ग चाहिए
ReplyDeleteKulang
DeleteHa
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