वेनिला - एक प्रसिद्ध स्वादिष्ट मसाला
वेनिला मूल रूप से
दक्षिण पूर्वी मेक्सिको, ग्वाटेमाला और मध्य अमेरिका के कुछ हिस्सों में पाया जाने
वाला पौधा है। इसके अलावा कटिबंध क्षेत्र के अन्य भागों जैसे जावा, मेडागास्कर,
ताहिती, जंजीबार, युगांडा, टांगो, जमैका और वेस्ट इंडीज में इसकी खेती की जाती है वेनिला की खेती की शुरूआत भारत में लगभग
200 साल पहले की गई थी। भारत में इसे केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक के कुछ राज्यों
में उगाया जाता है। इसे इससे प्राप्त फली जिसमें एक मीठी खुशबू, हार्दिक सुगंध और
सुखद स्वाद होता है, के लिए खेती की जाती है। मसाला क्षेत्रों में यह सबसे महंगा
मसाला है। यह वानीलिन का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत है। वानीलिन, मसालों को स्वादिष्ट
बनाने वाले घटक के रूप में प्रयोग किया जाता है। आइसक्रीम, चॉकलेट, पेय पदार्थ,
केक, कस्टर्ड और अन्य मिष्ठान में स्वाद के लिए इसका उपयोग किया जाता है। इत्र और चिकित्सा में भी इसका उपयोग किया जाता है। अकसर पार्टियों
में यही आइसक्रीम परोसी जाती है। लोग मजे से इसे खाते हैं। मगर देखा जाए तो
वास्तव में जो वेनीला का स्वाद है, उसे तो लोग जानते ही नहीं। आज जो वनीला
के नाम से आइसक्रीम बिक रही है वह है कृत्रिम वेनीलीन एसेंस। विश्व में सबसे
अधिक लोकप्रिय फ्लेवर वेनीला ही है। पूरे विश्व में जितनी भी आइसक्रीम बनती है उसमें से 40 प्रतिशत वेनीला एक फल है जो मेडागास्कर में अधिक मात्रा में होता है।
अब इसे व्यावसायिक दृष्टि से दक्षिण भारत के तीन राज्यों में भी उगाया जा रहा है।
वेनीला का उपयोग आइसक्रीम के अलावा केक कोल्ड ड्रिंक परफ्यूम्स और अन्य सौंदय
प्रसाधनों में होता है।भारत में आइसक्रीम का उत्पादन हिंदुस्तान लीवर जैसी मल्टीनेशनल कंपनियां और वाडीलाल और अमूल डेरी जैसी भारतीय कंपनियां करती हैं। क्वालिटी वॉल्श का मशहूर ब्रांड हिंदुस्तान लीवर (अब युनीलीवर का है। न कंपनियों में से अमूल को अलग कर दिया जाए, तो सभी कंपनियों के आइसक्रीम में सिंथेटिक वेनीला का इस्तेमाल किया जाता है। अमूल डेरी ने तो अपनी तरफ से वेनीला रॉयल आइसक्रीम तैयार किया है इसमें कुदरती फ्लेवर का ही इस्तेमाल किया जाता है।आज बाजार में कृत्रिम वेनीला एसेंस मिलता है, जो वेनीलीन नाम से जाना जाता है।
वेनीला के प्राकृतिक एसेंस में लगभग 250 पदार्थों का मिश्रण होता है। वेनीलान भी इनमें से एक है। प्राकृतिक वेनीला जब खाद्य पदार्थों में मिलाया जाता है, तो इसमें से एक के बाद एक फ्लेवर बाहर आते हैं, जिसका अनुभव बहुत अनूठा होता है। यही कारण है कि प्राकृतिक वेनीला को सुंगध का समुद्र कहा जाता है। हमारी सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि हम वेनीला फ्लेवर का कोई भी पदार्थ खरीदते समय असली और नकली फ्लेवर के बीच का अंदर नहीं कर पाते हैं।यही कारण है कि कृत्रिम वेनीला एसेंस से बने हुए पदार्थ धड़ाधड़ बिक रहे हैं और इस बात से अनजान बने हम इनको स्वाद ले-लेकर खा रहे हैं।
आइसक्रीम उत्पादकों द्वारा प्राकृतिक की बजाय संश्लेषित सुगंध का इस्तेमाल करने के पीछे मुख्य कारण कीमतों में अंतर है।
वैनिला, एक मौजूदा पेड़ (ट्यूटर भी कहा जाने वाला), खम्भे या किसी और सहारे पर चढ़ते हुए, एक लता (बेल) के रूप में उगता है. इसे वन में (पेड़ों पर), बगीचे में (पेड़ या खम्भों पर) या किसी "शेडर" पर उगाया जा सकता है, उत्पादकता के बढते हुए क्रम में. इसकी उपज के वातावरण को टेरौइर कहते हैं और इसमें सिर्फ आसपास के पौधे ही नहीं, बल्कि मौसम, भूगोल तथा स्थानीय भू विज्ञान भी शामिल है. इसे अकेला छोड़ दो तो सहारे पर यह जितना हो सकता है उतना बढ़ेगी और कुछ फूल खिलाएगी. हर साल, उत्पादक पौधे के ऊपरी हिस्से को नीचे की ओर मोड देते हैं जिससे पौधा उतनी ही ऊंचाई पर रहे जहाँ तक कोई इंसान खड़ा होकर पहुँच सके. इससे फूल बनने की प्रक्रिया को भी काफी बढ़ावा मिलता है.
वैनिला के सत्त्व दो रूपों में आते हैं. इसकी
असली फली के अर्क में सैकड़ों प्रकार के भिन्न यौगिकों का अत्यंत जटिल
मिश्रण समाहित होता है कृत्रिम सत्त्व में मूल रूप से इथेनॉल में कृत्रिम वैनिलिन का घोल समाहित होता
है, जो फेनॉल से व्युत्पन्न होता है तथा यह अत्यंत शुद्ध होता है.
रसोई के उपयोग - प्राकृतिक वैनिला के तीन प्रमुख
व्यावसायिक निर्माण होते हैं:
1 .संपूर्ण फल - पाउडर (पिसी हुई फलियाँ शुद्ध रूप में रखी जाती
हैं या उन्हें चीनी, स्टार्च अथवा अन्य घटक तत्त्वों के साथ मिलाकर रखा जाता है), 2 अर्क (अल्कोहल या कभी-कभी चीनी मिश्रित
ग्लिसरॉल के घोल में, वैनिला के शुद्ध तथा अशुद्ध दोनों ही अनुकृति
रूपों में कम से कम 35% अल्कोहल उपस्थित होता है)
भोजन में वैनिला का स्वाद लाने के लिए उसमें
वैनिला का अर्क मिलाया जाता है या तरल व्यंजन में वैनिला की
फली को पकाया जाता है. यदि फली दो हिस्सों में तोड़ दिया जाता है तो तेज
खुशबू मिल सकती है, क्योंकि फली के अधिक पृष्ठ-क्षेत्र तरल के संपर्क में आते हैं.
इस स्थिति में फली के बीजों को उस व्यंजन में मिलाया जाता है. प्राकृतिक वैनिला व्यंजन के रंग को
भूरा या पीला कर देता है, जो उसकी सांद्रता पर निर्भर करता है. अच्छी गुणवत्ता
वाले वैनिला में तेज खुशबूदार स्वाद होता है, पर
निम्न गुणवत्ता या कृत्रिम वैनिला जैसी खुशबू की अल्प मात्रा वाले खाद्य
पदार्थ सामान्य रूप से अधिक पाए जाते हैं, क्योंकि असली वैनिला कहीं ज्यादा महंगा
होता है.
वैनिला का एक मुख्य उपयोग आइसक्रीम में खुशबू पैदा करने में होता है. आइसक्रीम का
सबसे आम स्वाद है वैनिला और इसलिए अधिकतर लोग इसे स्वाभाविक स्वाद मानते
हैं. तुल्यता के आधार पर “वैनिला” शब्द को कभी-कभी “प्लेन” का पर्याय माना जाता
है. यद्यपि वैनिला अपने आप में स्वाद बढ़ाने वाला एक बहुमूल्य एजेंट
होता है, इसका प्रयोग अन्य पदार्थों के स्वाद को बढ़ाने में भी किया जाता है,
जिनके लिए इसका अपना स्वाद प्रायः एक पूरक जैसा होता है, जैसे चॉकलेट, कस्टर्ड, दग्धशर्करा (कैरामेल), कॉफी तथा अन्य पदार्थ.
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