चंदन की सौन्दर्य एवं औषधीय
खूबियां
( धार्मिक, सांस्कृतिक एवं
व्यक्तिगत उपयोगिता)
चंदन भारत में पाये जाने वाला
सुगंधित पौधा है । भारत के शुष्क क्षेत्रों विंध्य पर्वतमाला से लेकर दक्षिण
क्षेत्र विशेष रूप से कर्नाटक और तमिलनाडु में होता है । मलेशिया, इंडोनेशिया,
आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी चंदन मिलता है । चंदन वृक्ष सन्तालेएसी कुल का
वृक्ष है, यह एक सदाबहार वृक्ष है जिसकी शाखायें लटकती रहती है । चंदन वृक्ष की
ऊँचाई 16-18 मीटर तक होती है । चंदन की रसदार लकड़ी और सूखी लकड़ी दोनों का सीमांकन
अलग-अलग होता है, जड़ों भी सुगंधित होती है । चंदन का वृ़क्ष जब 20 साल पुराना हो
जाता है तब लकड़ी प्राप्त होती है और जीवन पर्यनत मिलती रहती है । चंदन के तीनो भाग
बीज, जड़ और तेल उपयोग में लाये जाते हैं । चंदन से चंदन तेल, चंदन पाउडर, चंदन
साबुन और चंदन इत्र बनाये जाते हैं ।
चंदन का उपयोग इत्र और सौंदर्य
प्रसाधन बनाने में किया जाता है । चंदन धूप और बुखार के प्रभाव को दूर करता है और
ताजी अनुभूति प्रदान करता है । चंदन को काढ़ा मूत्र रोग के दोष को कम करने मंे दिया
जाता है । अर्ध सर पीड़ा में चंदन का पेस्ट या तेल नाम में लगाने से आराम मिलता है
। चंदन की लकड़ी का पेस्ट जलन होने पर, फोड़े में और त्वचा संबंधी रोगों में किया
जाता है । चंदन एक ऐसी सौंदर्य सामग्री है जो ज्यादातर महिलाओं द्वारा रूप निखारने
के काम आती है ।
चंदन के फेस पेक - चंदन पाउडर को
गुलाब जल के साथ मिलाकर फेस पेक बनाकर लगाने से मृत त्वचा फिर नारमल हो जाती है ।
चंदन और मुल्तानी मिटटी बराबर बराबर मात्रा में दूध की मलाई या दही में मिला कर
पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाने से त्वचा में निखार आता है । चंदन पाउडर और बादाम
पाउडर को दूध में मिला कर फेस पेक चेहरे पर लगाने से सुंदरता आ जाती है । चंदन,
हल्दी मिलाकर नीबू रस मिलाकर लगाने से त्वचा का रगं साफ हो जाता है । चेहरे की
झुर्रियों तथा स्किन टाइट करने के लिए चंदन, अंडे और शहद का पेस्ट बनाकर लगायें ।
चेहरे पर चमक लाने के लिए चंदन तेल के साथ मुल्तानी मिटटी मिलाकर चेहरे पर लगायें
। चेहरे के पिंपलस मिटाने के लिए चंदन, कपूर और गुलाब जल मिलाकर लगायें । अगर आप
चेहरे को गोरा करना चाहते हैं और त्वचा में सन टेनिंग है तो चंदन पाउडर को दही में
मिला कर लगायें । चेहरे पर निखार लाने के लिए चंदन पाउडर में नींबू रस मिला कर
लगायें । त्वचा की जलन और पिंपल मिटाने के लिए दूध में चंदन पाउडर मिलाकर पेस्ट
बना का लगाने से बहुत फायदा होता है । त्वचा के डार्क स्पाॅट मिटाने तथा त्वचा को
टाइट करने के लिए लेवेंडर के तेल और चंदन पाउडर के पेस्ट को लगायें ।
चंदन के प्रकार - चंदन दो प्रकार का होता है । लाल चंदन एवं सफेद चंदन ।
अधिकांश सफेद चंदन का ही अधिक उपयोगा होता है । सफेद चंदन की माला पर महासरस्वती,
महालक्ष्मी मंत्र, गायत्री मंत्र, आदि का जप करना विशेष शुभफलप्रद होता है । इसके
अतिरिक्त इस माला को मानसिक शांति एवं लक्ष्मी प्राप्ति के लिए भी गले में धारण
करने से लाभ होता है ।
चंदन 7 प्रकार के होते है: सफेद,
पीला, लाल, शबर, पतंग, पर्वर और हरिचंदन । ज्यादातर लाल और सफेद चदंन का उपयोग
अधिक होता है ।
हिन्दू परंपरा में दाह संस्कार के
समय मृतक के मुख पर चंदन रख कर जलाने की परंपरा है, चंदन अत्यंत शीतल होता है और
सुगंधित भी इससे मृतक की आत्मा को शान्ति तथा स्वर्ग में शीतलता मिलती है । मृतक
के दाह संस्कार में मांस और हडिडयों के जलने से अत्यन्त तीव्र दुर्गंध को कम करने
सहायक होती है चंदन की लकड़ी ।
चंदन का उपयोग प्रायः प्रत्येक
धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं व्यक्तिगत पूजा-उपासना, स्वागत-सत्कार तथा स्वयं
की संतुष्टि एवं सुख के लिए किया जाता है । चंदन की लकड़ी बहुत मूल्यवान होती है ।
चंदन तिलक - चंदन का तिलक ललाट पर
या छोटी सी बिंदी के रूप में भौंहों के बीच लगाया जाता है । इसका वैज्ञानिक
दृष्टिकोण यह है कि तिलक लगाने से दिमाग में शान्ति, तरावट एवं शीतलता बनी रहती है
। मस्तिष्क में सेराटोनिन व बीटाएंडोरफिन नामक रसायनों को संतुलन होता है ।
मेघाशक्ति बढ़ती है तथा मानसिक थकावट विकार नहीं होता है । मस्तिष्क के भु-मध्य
ललाट में जिस स्थान पर तिलक लगाया जाता है यह भाग आज्ञाचक्र है । यह पीनियल
ग्रन्थि का स्थान होने की वजह से, जब पीनियल ग्रन्थि को उददीप्त किया जाता है, तो
मस्तष्क के अन्दर एक तरह के प्रकाश की अनुभूति होती है । पीनियल ग्रन्थि के उददीपन से आज्ञाचक्र का
उददीपन होगा । चंदन तिलक को 4 तरह से 1.अध्र्वपुण्ड्र, 2. त्रिपुण्ड, 3. अर्धचन्द्र,
और वर्तुलाकार ।कोई भी पारिवारिक या सामाजिक कार्यो में या मंगलमय कार्य में तिलक
लगाया जाता है । तिलक का रूप या आकार दीपक की त्योति, बाँस की पत्ती, कमल, कली,
मछली या शंख के समान होना चाहिए । इसका आकार 2 से 10 अंगुल तक हो सकता है । तिलक
से पूर्व ‘‘श्री’’ स्वरूपा बिन्दी लगानी चाहिए इसके बाद अंगुठे से विलोम भाव से
तिलक लगाने का विधान है । अंगुठा दो बार फेरा जाता है ।
तिलक को ’’ अंगुठे ’’ के प्रयोग से
- शक्ति, मध्यमा के प्रयोग से - दीर्घायु, अनामिका के प्रयोग से - समृद्धि तथा
तर्जनी से लगाने पर - मुक्ति प्राप्त होती है । देवताओं पर केवल अनामिका से तिलक
बिन्दु लगाया जाता है । तिलक के मध्य में चावल लगाये जाते हैं । तिलक के चावल शिव
के परिचायक हैं । लाल तिलक पर सफेद चावल धारण कर हम जीवन में शिव व शक्ति के साम्य
का आर्शीवाद ग्रहण करते हैं ।
चंदन के औषधीय गुण - चंदन में
एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो त्वचा को किसी भी प्रकार के विषाणु से मुक्त कराता है
। किसी भी तरह के फोड़े-फुंसी, घाव आदि सभी को चंदन के नियमित प्रयोग से हटाया जा
सकता है । खुजली को दूर करने चंदन पाउडर में हल्दी और 1 चम्मच नींबू का रस मिलाकर
लगाने से खुजली तो दूर हो जाती है साथ ही लालपन भी कम होता है । चंदन में
कीटाणुनाशक विशेषता होने की वजह से यह हर्बल एंटीसेप्टिक है, इसलिए किसी भी प्रकार
के छोटे घाव और खरोंच को ठीक करता है । यह जलने से हुए घाव को भी ठीक कर सकता है ।
शरीर की दुर्गंध दूर करने के लिए रोज चंदन पाउडर को पानी में मिलाकर शरीर में
लगाने से पसीना कम होगा । इससे आप घंटों तक खुद को तरोताजा महसूस कर सकते हैं ।
तनाव दूर करे - एरोमाथेरेपी के दौरान चंदन के तेल का प्रयोग तनाव और थकान को दूर
करने के लिए किया जाता है । तेल में मौजूद गुण मस्तिष्क में सिरोटोनिन का निर्माण
करते हैं जिससे सकारात्मकता बढ़ती है और तनाव दूर होता है । ज्यादातर दंत मंजनों
में चंदन के तेल का उपयोग होता है जो मसूड़ों को मजबूत करने वाले तत्व होते हैं ।
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