Sunday, 11 May 2014

बुध्द जयंती २०१४

बुध्द जयंती २०१४

वैशाख   पूर्णिमा के दिन भगवान  बुध्द  को   वर्षो की कठोर साधना  के बाद बोध  गया (बिहार )  में बोधी पेड़ के नीचे  ज्ञान प्राप्त हुआ था और वे  सिद्धार्थ से बुध्द  बन गए। सिद्धार्थ को बूढ़े आदमी , बीमार रोगी तथा  एक  अर्थी को देख कर विरक्ति की भावना का उद्गम  हुआ। सुन्दर पत्नी यशोधरा ,दुधमुहे राहुल और कपिलवस्तु जैसे राज्य का मोह छोङकर सिद्धार्थ तपस्या के लिये चल पड़े। जिस पीपल पेड़ के  नीचे  सिद्धार्थ को  बोध मिला वह बोधी पेड़ कहलाया और गया के समीपवर्ती का स्थान बोधगया कहलाया। 
उपदेश - भगवान  बुध्द ने लोगों को मद्यमार्ग का उपदेश किया। अहिंसा पर जोर दिया। यज्ञ और पशु बलि की निंदा की।  जीवन की पवित्रा बनाये रखना। तृष्णा  का त्याग। कर्मा को मानव के नैतिक संस्थान का आधार मानना। शांति मन के अंदर  से आती  है। जैसा हम सोचते  हैं वैसा  ही बन जाते   हैं. दूसरों के दोषों को मत देखो।  जीने के लिये खाओ ,खाने के लिये मत जियो। 


                                                    

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