Monday, 26 May 2014

कमल - खूबसूरत, प्रसिद्ध फूल (धार्मिक एवं औषधीय महत्व)

कमल - खूबसूरत, प्रसिद्ध फूल (धार्मिक  एवं औषधीय महत्व)
कमल एक बड़ा और खूबसूरत फूल है जिसे कई नामों से जाना जाता है जैसे पद्म, सरोज, जलज, नीरज और फारसी में कमल को ‘‘ नीलोफर’’ कहते हैं । अग्रेंजी में इंडियन लोटस एवं वैज्ञानिक नाम नीलंबियन न्यूसिफेरा है । कमल पानी में होता है । कमल संसार के सभी भागों में पाया जाता है । कमल चैत बैसाख में फूलने लगता और सावन भादों तक फूलता है । आयुवेंदिक, एलोपैथिक एवं यूनानी औषधीय में कमल के भिन्न भिन्न भागों से दवाईयों बनाई जाती हैं । कमल के  फूलों का विशेष उपयोग पूजा और श्रंगार में होता है । पत्तों का उपयोग पत्तल बनाने के और बीजों का उपयोग मखाने बनाकर औषधीय के रूप में तथा तनों से अत्यन्त स्वादिष्ट सब्जी बनती है । पौराणिक गाथाओं में कमल का विशेष स्थान है पुराणों में ब्रहमा को विष्णु की नाभि से निकले हुए बताया गया है । लक्ष्मी को कमलासना कहा गया है । चतुर्भुज विष्णु को शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण करने वाला माना जाता है । कमल सूर्योदय होने पर खिलता है और सूर्यास्त होने पर बंद हो जाता है । कमल का फूल देवी लक्ष्मी को बहुत प्रिय है । पूजन सामग्री में इसका होना बहुत शुभ माना जाता है । कमल के फूल, पत्ते, बीज, तना और जड़े सभी उपयोगी हैं । कमल का फूल देवी लक्ष्मी का वास है और इसे भारतीय संस्कृति में पवित्र और शुभ माना जाता है । यह हमारे देश का राष्ट्रीय फूल भी है ।
भारतीय कविता में सब से प्रसिद्ध उपमान है । कमल का फूल, कमल-नयन, कमलानन, करकमल और चरणकमल चारों रूपों में कमल प्रतिष्ठित है । .कमल के फूल फोड़ेे-फुंसी आदि को दूर करता है । शरीर पर विष का कुप्रभाव कम होता है । इसकी पंखुड़ियों के खाने से मोटापा कम होता है, रक्त विकार दूर होते हैं और मन प्रसन्न रहता है इसकी पंखुड़ियों को पीस कर चेहरे पर मलने से सुन्दरता बढ़ती है, इनके फूलों के पराग से मधुमक्खियाँ शहद बनाती है । कमल का फूल का भगवान को इसलिए विशेष प्रिय है क्योंकि कमल पवित्रता का प्रतीक है, इसकी सुन्दरता और सभी का मन मोहने वाली होती है कमल का फूल विकास दर्शाता है । सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन किस प्रकार जिया जाए इसका सरल तरीका बताता है । संसाररूपी कीचड़ में रहते हुए भी हमें किस तरह रहना चाहिए यह शिक्षा हम कमल से ले सकते हैं ।  कमल की 8 पंखुड़ियां मनुष्य के अलग-अलग 8 गुणों की प्रतीक है ये गुण हैं दया, शान्ति, पवित्रता, मंगल, निस्पृहता, सरलता, ईष्र्या का अभाव और उदारता ।
मखाना - कमल के बीजों को मखाना कहते हैं यह देवताओं का भोजन भी कहा जाता है । पूजा एवं हवन में भी यह काम आता है । कमल के बीजों को पद्मबीजाभ एवं पानीय फल कहा गया है । मखानों को प्रसव पूर्व एवं पश्चात आई कमजोरी दूर करने के लिए दूध में पकाकर खिलाते हैं । मखानों को नमकीन बनाने के लिए इसे घी या तेल में बघार के खाया जाता है । इसे खीर में मिलाते है, इसे पंजीरी और लडडू में मिलाया जाता है । मखानांे में एन्अीआॅक्सीडेंट गुण पाये गये हैं जो श्वसनतंत्र, मूत्राशय एवं जननतं. बीमारियों में यह लाभप्रद होता है । मखानों का नियमित सेवन करने से ब्लड प्रेशर, कमर और घुटने के दर्द को नियंत्रित रहता है । दस्त लगने पर मखाने का चूरा 1 चम्मच दही के साथ खिलाएं । कमल के बीज ऊर्जा, जीवन शक्ति और पाचन के साथ के साथ मदद करने के लिए बढ़ाने के लिए एक पूरक के रूप में लिया जाता है । कमल के बीज में 20 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है । कमल की जड़ सांस की शिकायत को दूर करने में उपयोग होता है । कमल की जड़ के रस से अस्थमा, तपेदिक और खाँसी की ऐठन को दूर किया जा सकता है और यह फेफड़ों के साथ जुड़े रोगों के लिए एक इलाज है । कमल की पंखुड़ियों व्यंजन खाना पकाने में और इत्र की तैयारी में उपयोग होता है । कमल की पंखुड़ी की चाय दिल को मजबूत बनाने और रक्त में शर्करा के स्तर को करने में सहायक है । कमल की जड़ों की चाय सूजन को कम करने और घाव की सफाई करने में सक्षम है । कमल के पत्ते से बनी चाय जुकाम, सिर दर्द, खांसी, नाक सीर और दस्त कम कर देते हैं ।
मखाना तालाब, झील, दलदली क्षेत्र में शांत पानी में उगाये जाने वाला एक जलीय उत्पाद है । मखाने के बीज को भूनकर इसका उपयोग मिठाई, नमकीन, खीर आदि बनाने में होता है । मखाने में 9.7 प्रतिशत प्रोटीन, 76 कार्बोहाईडेªट, 12.8 प्रतिशत नमी, 0.1 प्रतिशत वसा, 0.5 प्रतिशत खनिज लवण, 0.9 प्रतिशत फाॅस्फोरस एंव 1.4 मिलीग्राम लौह पाया जाता है । मखाना बिहार के दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल, सीतामढ़ी, पूर्णिया,कटिहार जिलों में सार्वधिक उत्पादन होता है । मखाना का कुल उत्पादन का 88 प्रतिशत बिहार में होता है । कमल के बीचों में फेवनोयाड एंटीआॅक्सीडेंट जो शरीर के मुक्त कणों के प्रतिकूल प्रभाव को दूर करते हैं । इसके शक्तिशाली एंटीआॅक्सीडंेट एंटी एजिंग प्रभाव पाया गया है । इसमें सोडियम कम और पोटेशियम ज्यादा होती है । कैलोरी में कम और वसा और फाइबर में अधिक होने के कारण रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है । कमल के बीज गठिया और आमवाती दर्द के उपचार में किया जाता है । कमल के बीज कामोद्दीपक होने के कारण वीर्य के गुणवत्ता और मात्रा बढ़ जाती है, शीघ्रपतन से बचाता है , कामेच्छा बढ़ जाती है और महिला बांझपन में मदद करता है ।
मखाना वस्तुतः फाक्सनट के बीजों की लाई है । कमल अधिकतर लाल, सफेद और नीले रंग के होते हैं पर पीले और स्वर्ण कमल भी पाये जाते  है ।









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