Friday, 30 May 2014

डायबिटीज - (मधुमेह) - कारण , लक्षण व बचाव

डायबिटीज - (मधुमेह) - कारण , लक्षण व बचाव 

भारत में डायबिटीज रोगियों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि हुई है जिसकी वजह आधुनिक जीवन शैली और आहार में अनियमितता है । यह दीर्घकालीन रोग एक धीमी मौत की तरह रोगी के गुर्दों को नष्ट कर देता है एवं हृदय रोग, तात्रिंकाओं की बीमारियां ,अंधापन और गैंगरीन भी इसी रोग की देन है । ज्यादातर लोग टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित हैं जिसकी वजह है मोटापा, चलने-फिरने और कसरत की कमी । डायबिटीज का कोई स्थायी इलाज नहीं है परन्तु जीवन शैली में बदलाव, शिक्षा तथा खान-पान की आदतों में सुधार द्वारा इस रोग को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है । स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही तथा अशिक्षा ही डायबिटीज का प्रमुख कारण है । यदि रोग बढ़ जाए तो भी एलौपेथी तथा आयुवैदिक दवाओं, इंसुलिन व जीवन शैली में बदलाव द्वारा रोग पर काबू पाया जा सकता है । डायबिटीज जो कि हाइपरग्लाइसीमिया, हाई शुगर, हाई ग्लूकोज, मधुमेह, ग्लूकोज इनटोलरेंस नाम से भी जाना जाता है । इस रोग में ग्लोकोज का स्तर बढ़ जाता है तथा शरीर की कोशिकाएं शर्करा का उपयोग नहीं कर पाती हैं । यह रोग ‘‘ इन्सुलिन’’ नामक हार्मोन की कमी से होता है जो कि शरीर की पैन्क्रीयास ग्रन्थि से निकलता है ।
डायबिटीज के प्रकार - डायबिटीज मुख्य रूप से 3 प्रकार की होती है पहली टाइप 1 डायबिटीज, दूसरी टाइप 2 डायबिटीज और गैस्टेशनल डायबिटीज
(1) .टाइप 1 डायबिटीज - आमतौर में यह बीमारी मुख्यतः बचपन या युवावस्था (12 से 25 साल की उम्र) में होती है । वायरल संक्रमण से पैन्क्रियाज के बीटा कोशिकाएं पूर्णतः नष्ट हो जाती हैं जिसके कारण इन्सुलिन की आवश्यक मात्रा उत्पन्न नही कर पाते हैं इसलिए इसकी आवश्यकता को पूरा करने के लिए इंसुलिन लेना आवश्यक हो जाता है । इसके मरीज बहुत पतले होते हैं । भारत में लगभग 1 से 2 प्रतिशत टाइप 1 डायबिटीज के रोगी पाये जाते हैं ।
(2) .टाइप 2 डायबिटीज - विश्व में ज्यादरतर लोग टाइप 2 डायबिटीज रोग से पीड़ित है जिसकी वजह मोटापा है । लगभग 95 से 98 प्रतिशत भारतीयों में टाइप 2 डायबिटीज के पाया जाता है जो कि 40 वर्ष की उम्र के आसपास शुरू होता है । इस तरह के लोग मोटे होते हैं और ज्यादातर उनका पेट निकला होता है उनका पारिवारिक इतिहास (अनुंवाशकीय) होता है । उनका रोग धीरे धीरे बढ़ता है और काफी लम्बे समय तक लक्षण दिखाई नहीं देते हैं । इस टाइप की डायबिटीज में शुरू में इंसुलिन का उत्पादन ठीक रहता है पर कुछ समय बाद इंसुलिन की कमी होने से मरीज डायबिटीज का रोगी बन जाता है तब शर्करा निंयत्रित करने के लिए दवाएं लेनी शुरू करनी पड़ती हैं । टाइप 2 डायबिटीज कभी खत्म ना होने वाली बिमारी है ।
(3) गेस्टेशनल डायबिटीज - महिलाओं के गर्भवती होने के दौरान उसका रक्त शर्करा स्तर सामान्य से बढ़ा होना गेस्टेशनल डायबिटीज बतलाती है । गर्भावस्था में होने वाले हार्मोन परिवर्तन इन्सुलिन के कार्य को प्रभावित करते हैं और ये रक्त शर्करा बढ़ाते हैं इसके लिए ग्लूकोज टालरेन्स टेस्ट करवायें । सभी महिलाओं केा 12 वे एवं 24-28 हफते में यह टेस्ट करवाना चाहिए ।
डायबिटीज के शुरूआती लक्षणों को पहचाने - आज डायबिटीज एक आम समस्या बनती जा रही है कई लोगों में यह बीमारी शुरू हो जाती है पर उन्हें पता ही नहीं चल पाता इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप इस बीमारी के लक्षणों को पहचाना सीख लें - थकान महसूस होना, लगातार पेशाब लगना और अत्याधिक प्यास लगना, आंखें कम जोर होना जिसमें किसी भी वस्तु को देखने के लिए उसे आंखों पर जोर डालना पड़ता है, अचानक कम होना, घाव का जल्दी न भरना, तबियत खराब रहना इसमें शरीर में किसी तरह का संक्रमण जल्दी से ठीक न होना, यह आनुवांशकीय हो सकता यदि आपके परिवार में किसी अन्य सदस्य को भी डायबिटीज हो चुका हो, सावधान हो जाने की जरूरत है ।
पुरूषों में डायबिटीज के लक्षण - बार बार पेशाब आना, बहुत ज्यादा प्यास लगना, बहुत पानी पीने के बाद भी गला सूखना, खाना खाने के बाद भी भूख लगना, हर समय कमजोरी और थकान की शिकायत होना, मितली होना और कभी कभी उल्टी होना, हाथ-पैर में अकड़न और शरीर में झंझनाहट होना, आंखों में धुंधलापन होना, त्वचा या मूत्रमार्ग में संक्रमण, त्वचा में रूखापन आना, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, शरीर का तापक्रम कम होना, मांसपेशियों में दर्द  और वजन कम होना इत्यादि ।
महिलाओं में डायबिटीज के लक्षण - अत्यधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, भूख में वृद्धि, अत्याधिक थकान, वजन में कमी, धुंधला विजन, धीरे धीरे घाव का भरना, जननांग में खुजली या नियमित चिड़िया , महिलाओं में कम उम्र में डायबिटीज का खतरा रहता है ।
 डायबिटीज रोग के कारण - डायबिटीज का प्रमुख कारण है पैन्क्रीयास ग्रन्थि की विकृति हो जो कि आहार-विहार की गड़बड़ी के कारण उत्पन्न होती है, आहार में मीठा, अम्ल और लवण रसों की अत्यधिक सेवन, आराम तलब जीवन व्यतीत करने से तथा व्यायाम एवं परिश्रम न करने से, अधिक चिंता एवं उद्वेग के परिणाम स्वरूप, आवश्यकता से अधिक कैलोरी वाले, शर्करा तथा वसा युक्त भोजन करने से यह रोग उत्पन्न होता है । डायबिटीज आनुवांसकीय भी हो सकता है ।
डायबिटीज के रोगी क्या करें - चिंता, तनाव क्रोध, शोक, व्यग्रता से मुक्त रहें, हर माह में रक्त शर्करा की जांच, भोजन कम करें, भोजन में रेशेयुक्त, तरकारी, जौ, चने, गेंहू, बाजरे की रोटी, हरी सब्जी, दही का प्रचुर मात्रा में सेवन करें, हल्का व्यायाम करें, शरीरिक परिश्रम करें, और प्रातः 4 से 5 किलोमीटर घूमें, डायबिटीज पीड़ित नियमित एवं संयमित जीवन पर ध्यान दें, शर्करीय पदार्थो का सेवन सीमीत करें, मोटे और भारी वजन वाले व्यक्ति अपना वनज कम करें, ब्रहमचर्य का पालन करें, नित्य प्राणायाम एवं सूर्य नमस्कार अवश्य करें, नगें पैर जमीन पर अवश्य चलें । डायबिटीज के मरीजों को प्यास ज्यादा लगती है वे इसे नीबू पानी से प्यास बुझांए, भूख मिटाने के लिए खीरा खायें साथ ही गाजर और पालक का रस पीयें । तरोई, लौकी, परबल, पालक, पपीता का अधिक सेवन करें, शलजम रक्त में शर्करा की मात्रा कम करता है। चमत्कारी है गेंहू के जवारे का रस इसे ग्रीन ब्लड भी कहते हैं इसे सुबह-शाम आधा कम ज्वारे का ताजा रस पीयें ।
डायबिटीज के घरेलू इलाज- करेला जिसमें कैरेटिन जो कि प्राकृतिक स्टेरायॅड है रक्त में शर्करा का लेवल बढ़ने नहीं देता है करेले का 100 मि.ली. रस दिन में तीन बार लें , मैथी दाना 50 ग्राम नियमित लें, जामुन के फल के रस में  ‘‘जाम्बोलिन’’ तत्व एवं पत्ती और बीज डायबिटीज को जड़ से समाप्त कर सकता है, जामुन के सूखे बीजों के पाउडर एक चम्मच दिन में दो बार लें, आमला- आमला एवं करेले का रस बराबर मात्रा में मिला कर पीना लाभदायक है, नीम के 7 पत्ते खाली पेट चबाकर पानी पियें, सदाबहार के 7 फूल खाली पेट पानी के साथ चबायें काफी लाभकारी, बिल्व पत्र की 7 पत्तियां (एक पत्ती में 3 पत्तियां) एवं 5 काली मिर्च पीस कर सुबह के समय खाली पेट 1 माह तक लें, शिलाजीत 1 ग्राम प्रातः व शाम दूध के साथ लें । इंसुलिन का उपयोग हमेशा डाक्टर की निगरानी में आवश्यक है । दवा और जीवन शैली नुस्खों का प्रबंधन जरूरी है ।
आज स्टेम सेल थैरेपी हमें डायबिटीज से मुक्ति दिला सकती है इसमें बोन मैरो व अम्बिलिकल काॅड से स्टेम कोशिकाएं निकालते हैं और उन कोशिकाओं को पैन्क्रियाज की बीटा कोशिकाएं बनने लगती है और साथ ही बनने लगती हैं इंसुलिन, पूरी प्रक्रिया मं 24 दिन लगते हैं और इलाज का खर्च 3 लाख आता है और सफलता 70 प्रतिशत पाई गई है ।











            

2 comments:

  1. Thanks for your time spent for this useful information. This gives clear insight of disease and diabetes. Thanks again.

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  2. Thanks for your time spent for this useful information. This gives clear insight of disease and diabetes. Thanks again.

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