Monday 19 May 2014

मोगरा खुशबूदार सफेद फूल

मोगरा खुशबूदार सफेद फूल

मोगरा गर्मियों में खिलने वाला एक खुशबूदार सफेद फूल है जिसकी भीनी भीनी महक तन-मन को ठंडक का हसास कराती है । इसके फूलों को रुमाल या वस्त्रों के अंदर रखने से ठंडी ताजगी अनुभव होती है। पसीने की बदबू हटाने के लिए 8 ताजे फूलों को आधा प्याला पानी में अच्छी तरह मसल लें, इस पानी का लेप पूरे शरीर पर मलें। त्वचा मोगरे की ठंडी-ठंडी खुशबू से महकने लगेगी। हाँ, आप चाहें तो स्नान के लिए बाल्टीभर पानी में 5-6 मोगरे के फूल मसलकर भी स्नान कर सकती हैं। त्वचा में सनसनाती प्राकृतिक ठंडक का एहसास होने लगेगा। मोगरा की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी की आवश्यकता होने की जानकारी देते हुए कहा गया कि मोगरा को कलम के द्वारा प्रवद्र्यित किया जाता है। इसमें 10 सेमी लंबी कलम को 50-75 सेमी दूरी पर 1-1.5 मी की कतारों में लगाया जाता है। नवंबर माह में पौधे को पानी देना बंद कर देते हैं। जिसमें पौधा अपनी पत्तियां गिरा देता है व सुसुप्तावस्था में चला जाता है। फरवरी माह के प्रथम पखवाड़े में पौधों को उनकी लंबाई के आधे पर छंटाई कर देते हैं। इसी समय पौधों की जड़ों पर मिट्टी चढ़ाते है व गोबर की खाद 10-15 किग्रा प्रति झाड़ी की दर से देते हैं। पौधे को 325 ग्राम एसएसपी व 100 ग्राम एमओपी तथा दो वर्ष से ऊपर के पौधे को 750 ग्राम एसएसपी व 200 ग्राम एमओपी देते हैं। कलियां आने के बाद हते भर के अंतराल पर पौधों की सिंचाई की जाती है। फूलों की तोड़ाई कली अवस्था में शाम या सुबह के समय की जाती है। प्रशिक्षक ने बताया कि मोगरा 250-300 किग्रा फूल प्रति एकड़ एवं चमेली 350-400 किग्रा प्रति एकड़ एकबार बोने पर व्यवसायिक उपज दो वर्ष बाद प्राप्त होती है। जो कि पांचवें वर्ष तक बढ़ती है फिर घटनी शुरू हो जाती है। 10 वर्ष के उपरांत पौधों को उखाड़कर पुनः नए पौधों का रोपण करना ही उचिता होता है। 
मोगरा : पत्ते गोल शाखा पर एक ही जगह ३-४ होते है इस जाती के पुष्प कि पंखुड़ियों में अनेक चक्र होते है पंखुडियां गुथी हुयी ,घनी और ब्रिताकार होती है कलियों का ब्यास लगभग ६से.मी.होता है पुष्प देखने में अत्यंत सुन्दर लगते है इसके फूलो से निरंतर सुगंध निकलती रहती है इसकी कुछ जातियां ऐसी भी है जिनमे थोड़ी भिन्नता पाई जाती है ।
बेला ‘- पत्ते गोल मोतियों जैसे किन्तु फुल इकहरे छोटे-छोटे होते है ।
नवीनतम जातियां:- १- एच.एस.१८ ,२-एच.एस.८५ ,३-एच.एस.८२
प्रजातियाँ :- मोंगरा की प्रजातियों मंे बेला, मोतिया, मदनमान, पालमपुर
बेला: बेला कि अनेक जातियां उगाई जाती है जो मुख्यतः दो प्रकार कि होती है यथा इकहरे एवं दोहरे पंखड़ी नुमा इकहरे पुष्प वाली जातियों कि कोई विशेष प्रचलन नहीं है और न ही उनका नामांकन किया गया है । दोहरी पंख युक्त पुष्प वाली जातियों में कुछ जातियां विशेष रूप से प्रचलित है जिन्हें व्यवसायिक स्तर पर देश के बिभिन्न भागो में उगाया जाता है उत्तर प्रदेश के कनौज , गाजीपुर ,जौनपुर ,बलिया लखनउ में दोहरी पंखड़ी नुमा पुष्प वाली जातियां उगाई जाती है बेला कि जो जातियां विशेष रूप से उगाई जाती है उनका संक्षिप्त बर्णन निचे दिया गया है  
मोतिया: यह एक अत्यंत प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय जाती है इसकी कुछ उपजातियां भी पाई जाती है इस जाती के पौधे कि पत्तियां लगभग ८ से.मी.लम्बी और ६.५से.मी.चैड़ी होती है कलियाँ गोल होती है पुष्प दोहरी पंखुड़ियों वाले ब्रिताकार होते है फु ३से.मी. तक चैड़े होते है पंखुडियां लगभग ४ कतारों में पाई जाती है इस जाती के फूलो का उपयोग हार बनाने के लिए किया जाता है ।जो अपनी सुगंध के लिए बहुत ही लोकप्रिय है फुल मोटे डबल ८ से २१ पंखुड़ी वाले होते है ॥
मदन मान: इस जाती के पौधों कि पत्तिया लम्बी कुछ हलके हारे रंग कि होती है पत्तियां १० से.मी.लम्बी और ५ से.मी.चैड़ी होती है पत्तियां निचे कि ओर पतली और ऊपर कि ओर नुकीली होती है पत्तियां चिकनी होती है कलियाँ लम्बी व नुकीली होती है खिले हुए पुष्प लगभग ३ से.मी.चैड़े होते है जिसमे पंखुड़ियों कि४ कतारे होती है इस जाती के फूलो कि सुगंध सर्वोत्तम होती है ।
पालमपुर: इस जाती कि पत्तियां हरी होती है जो लगभग १० से.मी .लम्बी और ७ से.मी.चैड़ी होती है पत्तियां आगे कि ओर नुकीली और निचे कि ओर गोलाई लिए होती है एक पुष्प शाखा पर ३-३ कलियाँ निकलती है कलियाँ लगभग ३ से.मी.और १.५ से २.०से.मी.चैड़ी होती है फुल स्वेत और देखने में आकर्षक लगते है फूलो में पंखुड़ियों कि ४ कतारे पाई जाती है ।
मोगरा के औषधीय गुण: 
मोगरा पानी: इसे हाइड्रो आसवन की प्रक्रिया द्वारा फूल से बनाते हैं । इसका रंग सफेद होता है । इसका उपयोगा अरोमाथेरेपी किया जाता है तथा सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण में बहुत उपयोगी ह
मोगरा इत्र: यह भाप आसवन विधि के माध्यम से मोगरा के फूलों से प्राप्त किया जाता है । यह इत्र ताजगी देने वाला एवं इसकी सुगंध तीव्र होती है । इसका रंग पीला होता है । इसका उपयोग अगरबत्ती, रूम फ्रेशनर और दूसरे अनेक सुगंधित उत्पादों के निर्माण में किया जाता है । अरोमाथेरेपी से दिमाग और शरीर को आराम पहुंचाता है । इससे तनाव, चिंता तथा तंत्रिका थकान से राहत मिलती है । काॅस्मेटिक जैसे क्रीम, मलहम, साबुन, टेलकम पाउडर आदि के निर्माण में प्रयोग किया जाता है । इसका उपयोग तनाव दूर करने के प्रयोग किया जाता है । इसका सकारात्मक प्रभाव शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाये रखता है । मोगर इत्र शुद्ध एवं विश्वसनीय निर्माताओं से सी खरीदें ।






4 comments:

  1. सर आपका ब्लॉग से प्रकृति और फूलों के बारे में बहुत ही अच्छा जानकारी मिलता है .सर मेरा ब्लॉग भी फूलों के बारे में है एक बार जरुर मेरे ब्लॉग में आंये
    http://sangwaribagwani.blogspot.in

    ReplyDelete
  2. ऐसी ही सुंदर मैसेज देने की कृपा करते रहें। जय हिंद।

    ReplyDelete
  3. I like your information for jasmine

    ReplyDelete
  4. Iski ek Kalam Tod kai aise hi Laga du?

    ReplyDelete