Sunday, 1 June 2014

ब्लड प्रेशर (.बी.पी.) - तनाव एवं चिंता का रोग

ब्लड प्रेशर (.बी.पी.) - तनाव एवं चिंता का रोग

भारत में हर तीन में से एक वयस्क में हाई बीपी की समस्या है और इसमें से अधिकतर को इसका पता नहीं । अनियमित दिनचर्या और जीवन शैली, भागमभाग की वजह से होने वाले तनाव ही इसका मुख्य कारण हैं । आज बीपी के लिए उम्र का कोई पैमाना नहीं रह गया है । हर उम्र के व्यक्ति को इसकी समस्या हो सकती है । कई लोगों को कई सालों तक इसका कुछ पता ही नहीं चलता जब कारण कई अंगों पर दुष्प्रभाव सामने आने लगते हैं तब इसका पता चलता है । साइलेंट किलर है बीपी, हृदय रोगों के पीछे यह सबसे बड़ा कारण है । 
क्या है बी पी - हमारे दिल से पूरे शरीर को खून की सप्लाई धमनियों के जरिये बराबर होती रहती है ब्लड को पूरे शरीर में पहुंचाने के लिए हमारा दिल बराबर सिकुड़ता तथा फैलता रहता है जो एक मिनट में 60 से 70 बार होता है जब दिल सकुड़ता है तब खून अधिक दाब के साथ धमनियों में जाता है दिल सिकुड़ने के बाद वापस नार्मल स्थिति में तो आता है परन्तु खून का दबाव न्यूनतम रहती है इन दोनों यानि अधिकतम और न्यूनतम दोनों मापों को बीपी कहते हैं । किसी भी व्यक्ति का बीपी सिस्टोलिक और डायस्टोलिक रक्तचाप के रूप में जाना जाता है । जैसे 120/80 सिस्टोलिक अर्थात ऊपर की संख्या धमनियों में दाब को दर्शाता है । डास्टोलिक बीपी अर्थात नीचे वाली संख्या एक स्वस्थ्य व्यक्ति का सिस्टोलिक बीपी 90 और 120 मिलीमीटर के बीच होता है सामान्य डायस्टोलिक बीपी 60 से 80 मिलीमीटर  के बीच होता है । बीपी संबंधी दो प्रकार की समस्याएं देखने में आती हैं एक हाई बीपी और दूसरा लो बीपी । बीपी का कम या अधिक होना दोनों की स्थितियां हमारे स्वास्थय के लिए हानिकारक है ।
क्या है हाई बीपी - जब व्यक्ति का बीपी 120/80 से ऊपर हो तो उसे हाई बीपी या हाइपरटेंशन कहते हैं ।  140/90 या उससे अधिक का बीपी उच्च समझा जाता है हाई बीपी से हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी, धमनियों का सख्त होना, आंखें खराब होने और मस्तिस्क खराब होने का जोखिम बढ़ जाता है । 
क्यों होता है हाई बीपी - फास्टफुड का सेवन जिससे अधिक कोलेस्ट्राल और वसा की मात्रा रक्त नलिकाओं में अवरोध उत्पन्न करती है । महिलाओं में गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन भी कम उम्र की लड़कियों एवं महिलाओं में जिम्मेदार है । कम उम्र मंे ही बहुत कुछ पा लेने की चाहत,केरियर की चिंता, नौकरी की स्थितियां का मानसिक तनाव उत्पन्न करती है । हाई बीपी धीमे जहर की तरह काम करता है इसके कारण धीरे धीरे शरीर के सभी अंग खराब हो सकते हैं । मस्त्किघात (लकवा) होने का डर हमेशा बना रहता है ।
हाई बीपी के लक्षण - सिर में भारीपन, चक्कर आना और दर्द रहना, शरीर में आलस रहना, नींद न आना, अधिक पेशाब आना, गैस की तकलीफ व एसिडिटी होना, जी घबराना, प्यास का अभाव सा रहना, नाक से रक्त स्त्राव, जरा से चलने /दौड़ भाग करने से सांस का फूलना, दमा जैसी हालात होना, स्मरण शक्ति कमजोर होना, शरीर में कमजोरी महसूस होना, हृदय में दर्द और हाथ पैरों में दर्द होना, कभी कभी कानों में तरह तरह की अनावश्यक सी आवाजें सुनाई देती हैं , शरीर में लकवा सा हो जाना, नेत्रों में खून उतर आना आदि लक्षण हाई बीपी में देखने को मिलते हैं ।  बीपी का कम या अधिक होना दोनों की स्थितियां हमारे स्वास्थय के लिए हानिकारक है । 
हाई बीपी होने पर क्या करें - हाई बीपी वालों को नमक का प्रयोग कम कर देना चाहिए । नमक 10 ग्राम से कम करके 3 ग्राम तक लेना चाहिए, हाई बीपी में रक्त गाढ़ा हो जाने से प्रवाह धीमा हो जाता है जिससे धमनियों और शिराओं में दबाव बढ़ जाता है लहसुन खायें, लहसुन खून को पतला करता है और थक्का नही जमने देता है । सुबह-शाम आंवले और शहद एक चम्मच लें , बढ़े हुए बीपी में आधा गिलास कुनकुन पानी में एक चम्मच काली मिर्च पाउडर घोलकर हर 2-2 घंटे में लें । तरबूज के बीज तथा खसखस के बीज पीस कर बराबर मात्रा में एक चम्मच खाली पेट लें । 5 तुलसी के पत्ते एवं 2 नींम के पत्ते पीस कर 20 मि.ली. पानी में खाली पेट लें । पपीता खाली पेट खायें । पालक एवं गाजर का रस एक गिलास सुबह-शाम लें । करेला तथा सहजन की फली हाई बीपी में हितकारी होते हैं, प्याज, लहसुन एवं अदरख का रस एंटीआक्सीडेंट का काम करता है । तीन ग्राम मैथी दाना सुबह-शाम पानी के साथ, अगर संभव हो तो नंगें पैर हरी घास पर 10-15 मिनट चलें । किसमिस रात भर पानी में भिगोकर सुबह उठकर खाली पेट खायें । छोटी इलायची छिलके सहित पीसकर नित्य सुबह खाली पेट लेना बीपी को कम कर देता है । अण्डे  का सफेद हिस्से में बीपी को घटाने की क्षमता पाई गई है । दही रोज खाने से हाई बीपी का खतरा कम हो जाता है । कुछ फलों एवं सब्जियों में पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है जो हाई बीपी को कम करने में सहायक है - केले, किसमिस, आलू, टमाटर, पालक, रतालू, कीवी, खुबानी, संतरे, बीन्स, खजूर और अंजीर । लहसुन पीसकर दूध में डालकर पीने से बीपी मंे आराम आ जाता है । गेंहू और चने का आटा बराबर बिना चोकर निकाले रोटी खांये, ब्राउन चावल खाने की आदत डालें । नियमित व्यायाम, खूब तेज लगातार 10 मिनट पैदल चलना सर्वोतम व्यायाम है, योग/ध्यान और प्राणायाम रोज करना चाहिए । पंचमुखी रूद्राक्ष की माला / आंक के फूलों की माला भी काफी प्रभावशाली पायी गयी है ।  
क्या है लो बीपी - लो बीपी की स्थिति वह होती है कि जिसमें रक्त वाहिनियों में  खून का दबाव काफी कम हो जाता है सामान्य रूप से 90/60 एमएम एजी को लो बीपी की स्थिति माना जाता है । शरीर में ब्लड का दबाव कम होने से आवश्यक अंगों तक पूरा ब्लड नहीं पहुंच पाता है जिससे उनके कार्यों में बाधा पहुंचाता है । क्यों होता है लो बीपी - डीहाइडेशन, अधिक पसीना आना, बुखार, भोजन में पोषक तत्वों की कमी, कुपोषण, खून की कमी, पेट व आंतों , किडनी और ब्लेडर में खून का कम पहुंचना, निराशा का भाव लगातार बने रहना, ज्यादा गर्म वातावरण में रखना लो बीपी के लक्षण - चक्कर आना, आंखों के सामन अंधेरा छा जाना और बेहोशी आना, हार्ट बीट तेज हो जाना, हाथ, पैर ठंडे पड़ जाना, सुस्ती, नींद, सिरदर्द एवं सीने में दर्द इत्यादि । 
लो बीपी में क्या करें - तुरंत ही बैठ या लेट जांए, अपनी मुटिठयों को खोले बंद करें, लम्बी सांस अंदर बाहर खींचे, चीनी, नीबू, नमक का शर्बत पिएं, पैरों के नीचे दो तकिए लगाकर लेट जाएं । लो बीपी में चुकंदर का जूस काफी कारगर है रोजाना 100-100 मि.ली. सुबह शाम पीना चाहिए । नमक का सेवन कीजिए, मल्टी विटामिन स्पलीमेंट, विटामिन बी काम्पलेक्स, विटामिन सी और प्रोटीन लेना चाहिए । योग में अनुलोम विलोम, भस्तिका, उज्जायी, प्राणायाम, कपालभाति, उत्तानपादासन, कटिचक्रासन, पवनमुक्तासन, नौकासन, मंडूक आसन तथा लेटकर साइकलिंग करें । लो बीपी के व्यक्ति को ज्यादा बोलना नहीं चाहिए तथा चुपचाप बायीं करवट लेट जाना चाहिए अगर नींद आ जाये तो सो जाना चाहिए । 
कैसे लें बीपी - हमारा बीपी दिन भर बदलता रहता है बीपी जांच के लिए चिकित्सक के पास पहुंचने के बाद कम से कम 5-10 मिनट के आराम के बाद ही अपना बीपी लें । लंबा चलने के बाद, सींढियां चढ़ने , दौड़ने भागने के तुरंत बाद बीपी बढ़ा हुआ आता है । जांच के आधा घंटे पहले चाय, काफी, कोल्ड ंिडंक और धुम्रमान नहीं करना चाहिए । मरकरी के मापक यंत्र इलेक्टानिक यंत्रों से ज्यादा सही रीडिंग देते हैं ।  चिंतित रोगी का बीपी बढ़ा हुआ आता है । व्यायाम के बाद बीपी बढ़ जाता है । क्या आप जानते हैं दाएं एंव बाएं हाथ का बीपी अलग-अलग होता है । बीपी रोग का उपचार विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह से करें एवं उपचार की दवा नियमित लें तथा नियमित बीपी नापने की आदत डालें ।







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