Thursday, 5 June 2014

शमी का फूल - पवित्र, शुभ एवं पुण्य प्रदायक

शमी का फूल - पवित्र, शुभ एवं पुण्य प्रदायक

शमी (खेजड़ी ) जिसे प्रोसोपिस सिनेरेरिया कहा जाता है । शमी के पेड़ का व्यापारिक नाम कांडी है । यह थार से मरू.स्.थल में पाया जाता है । शमी का पेड़ जेठ के महीने में भी हरा रहता है । यह पेड़ रेगिस्थान में जानवरों के लिए धूप से बचने का सहारा देता है । जब खाने को कुछ नहीं होता है तब यह चारा देता है जो लूंग कहलाता   है । इसका फूल मींझर कहलाता है । इसका फल सांगरी कहलाता है जिसकी सब्जी बनाई जाती है । यह फला सूखने पर खोखा कहलाता है जो सूखा मेवा है । इसकी लकड़ी जलाने और फर्नीचर बनाने के काम आती है । 
धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व - दशहरे के दिन शमी के पेड़ की पूजा की जाती है । शनिवार के दिन शमी के पेड़ की लकड़ी यज्ञ की समिधा के लिए पवित्र मानी जाती  है ।  हजार कुश फूलों के बराबर एक शमी का पत्ता, शमी का फूल शिव को चढ़ाना शिव भक्ति से तमाम मनचाही कामनाओं को पाने का सबसे श्रेष्ठ उपाय है ।
दशहरा पर्व पर शमी पूजन का विशेष महत्व है ।  शमी पेड़ की पूजा अर्चना से दुष्कृत्या का दमन, दुस्पप्नों का नाश, और धन प्राप्त होने की बात कही गई है । नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा शमी पेड़ के पत्तों से करने का विधान है । शमी पेड़ का पूजन करने से आरोग्य व धन प्राप्ति होती है । शमी पेड़ लगभग 8 से 10 मीटर ऊंचा होता है तथा शाखाओं पर कांटे होते हैं पत्तियां द्विपक्षवत होती हैं । शमी के फूल छोटे पीले रंग के तथा प्रौढ़ पत्तियों का रख कुछ राख जैसा होता है । शमी का पेड़ तेजसिवता तथा दृढ़ता का प्रतीक माना जाता है जिसमे अग्नि तत्व की प्रचुरता होती  है । यह यज्ञ में इसका उपयोग होता है । कवि कालीदास ने शमी के पेड़ के नीचे बैठ कर तपस्या करके ही ज्ञान की प्राप्ति की थी । शनि देव को शान्त रखने के लिये भी शमी की पूजा की जाती है । शमी को गणेशजी का भी प्रिय पेड़ माना जाता है और इसकी पत्तियों गणेश जी की पूजा में भी चढ़ाई जाती हैं । हिन्दू धर्म में इसे शब्दों और लेखनी का देवता माना गया है ।




  













5 comments:

  1. आपने दो तरह के शमी वृक्ष चित्र में दिखाया है
    इनमे से श्रेष्ठ कौनसा है

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    1. लम्बे हल्का पीला रंग बाला

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  2. चित्र में दो तरह के शमी वृक्ष दिखाया गया है
    इसमें असली शमी कौन सा है और नकली समी कोंन सा है

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