Tuesday, 3 June 2014

सदाबहार - फूलों वाला लोकप्रिय पौधा

सदाबहार - फूलों वाला लोकप्रिय पौधा

सदाबहार या सदाफूली फूल बारहों महीने खिलने वाला पौधा है जिसे केथारेनथस कहते हैं । सदाबहार की आठ प्रजातियां प्रसिद्ध हैं यह फूल मेडागास्कर एवं भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है । फूल तोड़कर रख देने पर भी पूरा दिन ताजा रहते हैं । मंदिरों में पूजा पर चढ़ाए जाने में इसका उपयोग खूब होता है । सदाबहार छोटा झाड़ीनुमा पौधा है इसके गोल पत्ते थोड़ी लम्बाई लिए अंडाकार व अत्यन्त चमकदार व चिकने होते हैं । एक बार पौधा उगने के बाद आसपास अन्य पौधे अपने आप उगने लगते है। पांच पंखुड़ियों वाला यह फूल सफूद, गुलाबी, फालसाई, जामुनी आदि रंगों में खिलता है । पतो व फल की सतह थोड़ी मोटी होती है । इसके चिकने मोटे पत्तों के कारण ही पानी का पाष्पीकरण कम होता है और पानी की आवश्यकता बहुत कम होती है । सदाबहार का  फूल सुन्दर होने के साथ ही आसानी  से हर मौसम में खिलता है , कई रंगों मंे खिलता है । यह फूल यूरोप, भारत, चीन और अमेरिका में पाया जाता है तथा इसके औषधीय गुणों के कारण इसकी व्यवसायिक खेती की जाती है ।
औषधीय गुण - सदाबहार का उपयोग खाँसी, गले की खराश और फेफड़ों के संक्रमण में उपयोग किया जाता है । इसे मधुमेह के उपचार में उपयोगी पाया गया है क्योंकि इसमें दर्जनों क्षार ऐसे पाये गये हैं कि उनसे रक्त शकरा की मात्रा को नियत्रिंत किया जा सकता है । सदाबहार की पत्तियों में ‘‘विनिकरस्टीन’’ नामक क्षारीय पदार्थ होता है जो कैंसर, विशेषकर रक्त कैंसर (ल्यूकीमिया) में बहुत उपयोगी होता है । आज यह विषाक्त पौधा संजीवनी बूटी का काम कर रहा है तथा फूलों वाली क्यारियों के लिए सबसे लोकप्रिय पौधा बन चुका है । यह फूल सुन्दर तो है ही आसानी से हर मौसम में उगता है । भारत में प्राकृतिक चिकित्सक मधुमेह रोगियों को श्वेत सदाबहार के फूलों का प्रयोग सुबह खाली पेट करने की सलाह देते हैं । फ्रांस में इसे वर्जिन लावर व इटली में लावर आॅफ डेथ कहा जाता है । इटली में मृत बच्चों के कफन पर इसकी मालाएं रखी जाती हैं । इसका नाम सार्कर्स वायलेट भी कहा गया है क्योंकि जादू टोने में विश्वास करने वाले इससे तरह तरह के विष व रसायन बनाते हैं । कम होने से यह बड़े मजे में कहीं पर भी चलता खिलता व फेलता है ।










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