अंटार्कटिका - विश्व का सबसे ठंडा महाद्वीप
अंटार्कटिका
या अन्टार्टिका पृथ्वी
का दक्षिणतम महाद्वीप
है । अंटार्कटिका विश्व का सबसे
ठंडा शुष्क और
तेज हवाओं वाला
महाद्वीप है ।
अंटार्कटिका को एक
रेगिस्तान माना जाता है
। यहां सिर्फ शीतलानुकूलित पौधे और
जीव की जीवित
रह सकते हैं
जिनमें पेंगुइन, सील, निमेटोड,
टार्डीग्रेड, पिस्सू, विभिन्न प्रकार
के शैलाव और सूक्ष्मजीव
के अलावा टुंड्रा
वनस्पति भी शामिल हैं । अंटार्कटिका
दुनिया का सबसे
ठंडा महाद्वीप है
। यह सबसे
दुर्गम तथा मानव
बस्तियों से सबसे
दूर स्थित जगह
भी है ।
कुछ क्षेत्रफल 1.4 करोड़
वर्ग किलोमीटर है
। अंटार्कटिका में
बहुत कम बारिश होती है इसलिए
उसे ठंडा रेगिस्तान
माना जाता है
। आर्कटिक (उत्तरी
ध्रुव) और अंटार्कटिका
(दक्षिणी ध्र्रुव) में काफी
अंतर है ।
सबसे महत्वपूर्ण अंतर
यह है कि
अंटार्कटिका में आर्कटिक
से छह गुणा
अधिक बर्फ है
। यह इसलिए
क्योंकि अंटार्कटिका एक महाद्वीप
है जबकि आर्कटिक
क्षेत्र मुख्यतः एक महासागर
है ।
अंटार्कटिका पवनों की राजधानी है यहां 200 से 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलती हैं । अंटार्कटिका महाद्वीप पर 70 प्रकार के जीवधारी पाये जाते हैं । कीड़ों में पंखहीन मंछर, जोंख, खटमल, मक्खी, जुए आदि, सीलों में केकड़ा भोजी सील, तेंदुआ सील, रोस सील, वेडेल सील, और गजसील हैं । रोस सील अत्यंत दुर्लभ प्राणी है । पक्षियों में ध्र्रुवीय स्कुआ तथा अडेली और सम्राट पेंग्विन हैं । वनस्पति मैशेवाक (लाइकेन), काई आदि मिलते हैं । वैज्ञानिक कहते हैं कि अंटार्कटिका में 900 से अधिक खनिज पदार्थ जिसमें सीसा, तांबा और यूरेनियम हैं । अंटार्कटिका यहां दिन-रात का चक्र कुछ दूसरे ही नियम से चलता है । ठीक दक्षिण ध्रुव पर छह महीने लगातार सूर्य की रोषनी मिलती है और अगले छह महीने तक लगातार अंधेरा रहता है जैसे जैसे हम ध्रुव से दूर हटते जाते है प्रकाष और अंधकार की यह अवधि घटती जाती है । इसलिए अंटार्कटिका अभियान वहंा की गर्मियों में अर्थात नवम्बर-दिसम्बर के महीने में भेजा जाता है । तापमान के नीचे गिरने के साथ ही फरवरी में दक्षिण महासागर धीरे धीरे जमना शुरू हो जाता है ।
वैज्ञानिकों की खोज है कि बर्फीले महाद्वीप अंटार्कटिका की मीलों मोटी सतह के नीचे एक मीठे पानी की झील है । महाद्वीपों में से सबसे ठंडा महाद्वीप अंटार्कटिका महाद्वीप है । यह सबसे दुर्गम तथा मानव बस्तियों से सबसे दूर स्थित जगह भी है । यह साल के सभी महीनों में दुनिया के सबसे अधिक तूफानी समुद्रों और बर्फ के बड़े बड़े तैरते पहाड़ों से घिरा रहता है । अंटार्कटिका में बहुत कम बारिश होती है इसलिए उसे ठंडा रेगिस्तान भी कहा जाता है । साल में केवल 20 ही दिन तापमान शून्य से ऊपर रहता है । धरती पर होने वाले परिवर्तनों जैसे ग्लोबल वार्मिग के कारण अंटार्कटिका की अरबो टन बर्फ की चटटाने पिघल रही हैं और वह पश्चिम की ओर खिसक रही हैं । वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं का कथन है कि अंटार्कटिका बर्फ की मोटी परतों के नीचे हीरे होने की संभावना है ।
अंटार्कटिका पवनों की राजधानी है यहां 200 से 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलती हैं । अंटार्कटिका महाद्वीप पर 70 प्रकार के जीवधारी पाये जाते हैं । कीड़ों में पंखहीन मंछर, जोंख, खटमल, मक्खी, जुए आदि, सीलों में केकड़ा भोजी सील, तेंदुआ सील, रोस सील, वेडेल सील, और गजसील हैं । रोस सील अत्यंत दुर्लभ प्राणी है । पक्षियों में ध्र्रुवीय स्कुआ तथा अडेली और सम्राट पेंग्विन हैं । वनस्पति मैशेवाक (लाइकेन), काई आदि मिलते हैं । वैज्ञानिक कहते हैं कि अंटार्कटिका में 900 से अधिक खनिज पदार्थ जिसमें सीसा, तांबा और यूरेनियम हैं । अंटार्कटिका यहां दिन-रात का चक्र कुछ दूसरे ही नियम से चलता है । ठीक दक्षिण ध्रुव पर छह महीने लगातार सूर्य की रोषनी मिलती है और अगले छह महीने तक लगातार अंधेरा रहता है जैसे जैसे हम ध्रुव से दूर हटते जाते है प्रकाष और अंधकार की यह अवधि घटती जाती है । इसलिए अंटार्कटिका अभियान वहंा की गर्मियों में अर्थात नवम्बर-दिसम्बर के महीने में भेजा जाता है । तापमान के नीचे गिरने के साथ ही फरवरी में दक्षिण महासागर धीरे धीरे जमना शुरू हो जाता है ।
वैज्ञानिकों की खोज है कि बर्फीले महाद्वीप अंटार्कटिका की मीलों मोटी सतह के नीचे एक मीठे पानी की झील है । महाद्वीपों में से सबसे ठंडा महाद्वीप अंटार्कटिका महाद्वीप है । यह सबसे दुर्गम तथा मानव बस्तियों से सबसे दूर स्थित जगह भी है । यह साल के सभी महीनों में दुनिया के सबसे अधिक तूफानी समुद्रों और बर्फ के बड़े बड़े तैरते पहाड़ों से घिरा रहता है । अंटार्कटिका में बहुत कम बारिश होती है इसलिए उसे ठंडा रेगिस्तान भी कहा जाता है । साल में केवल 20 ही दिन तापमान शून्य से ऊपर रहता है । धरती पर होने वाले परिवर्तनों जैसे ग्लोबल वार्मिग के कारण अंटार्कटिका की अरबो टन बर्फ की चटटाने पिघल रही हैं और वह पश्चिम की ओर खिसक रही हैं । वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं का कथन है कि अंटार्कटिका बर्फ की मोटी परतों के नीचे हीरे होने की संभावना है ।
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