चकोर - जीवन रक्षक पक्षी
चकोर एक साहित्यिक पक्षी है ,
जिसके बारे में भारत के कवियों ने यह कल्पना कर रखी है कि यह रात चंद्रमा की ओर
ताका करता है और अग्निस्फुलिगों को चंद्रमा के टुकड़े समझकर चुनता रहता है । यह
सारी रात चंद्रमा को ताकता ही रहता है । यह पाकिस्तान का राष्ट्रीय पक्षी है ।
चकोर मयूर वर्ग कुल का पक्षी है । जिसका शिकारी शिकार कर माँस जो कि स्वादिष्ट
होता है खाने के काम लेते हैं । चकोर मैदान में न रहकर पहाड़ों पर रहना पसंद करता
है । यह तीतर से स्वभाव और रहन सहन में बहुत मिलता जुलता है । चकोर चंद्रमा का
एकांत प्रेमी है और रात भर उसी को एकटक देखा करता है । अँधरी रातों में चंद्रमा और
उसकी किरणों के अभाव में वह अंगारों को चंद्रकिरण समझकर चुगता है । इसका एक नाम
विषदशर्नमृत्युक है जिसका आधार यह विश्वास है कि विषयुक्त खाद्य सामग्री देखते ही
उसकी आँखें लाल हो जाती हैं और वह मर जाता है, कहते हैं भोजन की परीक्षा के लिए
राजा उसे पालते थे । जीवन की सुरक्षा का प्रतीक पक्षी है । रोग के समय चकोर का
ध्यान करना आयु की वृद्धि का सूचक है । विषाक्त पदार्थों को देखकर चकोर की आंखों
का रंग बदल जाता है अतः इस पक्षी को पूज्य माना गया है । चकोर उदात प्रणय का
उदाहरण है । चकोर चीन, रूस और अफ्रीका, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, न्यूजीलैंड
और यूरोप में कई क्षेत्रों में पाये जाते हैं । इसका वास स्.थलीय है और यह शुष्क,
खेतो के निकट या पथरीले ढलान जहां छोटी घास और झाड़ियां हो रहना पसंद करता है ।
चकोर की प्रजातियों में 3 मुख्य हैं - चकोर, लाल पैर वाले चकोर और राॅक चकोर ।
शरीरिक विशेषताओं मे इनकी लंबाई 15 से 17 इंच तथा व.जन 450 से 700 ग्राम, इनका रंग
इनके मूल निवास स्थान पर और रंग भौगोलिक रूप से भिन्न हो सकता है । अधिक शुष्क
क्षेत्रों में पक्षी ग्रे और पीले रंग के हो जाते हैं ।
Killing and eating of mon- beg must be diminished if not eliminated 🌈
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