Tuesday 10 June 2014

व्हेल मछली -दुनिया का विशालकाय प्राणी

व्हेल मछली -दुनिया का विशालकाय  प्राणी 
व्हेल समुद्र में रहने वाली प्राणियों में एक विषाल मछली है । व्हेल एक बड़ी, बुद्धिमान, जलीय स्तनधारी मछली है जो पानी में अपनी पूरी जिंदगी जीती है । व्हेल की कई प्रजातियों में किलर व्हेल, स्पर्म व्हेल, पायलट व्हेल, बेगुला व्हेल । सबसे बड़ी व्हेल है नीली व्हेल जिसकी लम्बाई 115 फुट और वनज 150-170 टन तक होता है । समुद्र में 5 करोड़ वर्ष पूर्व व्हेल अस्तित्व में आई । व्हेल दूसरे स्तनधारी प्राणियों की तरह हवा में सांस लेती है , उसका खून गर्म होता है बच्चों को दूध पिलाती है और उसके षरीर पर बाल होते हैं । व्हेल मछली की मोटी चमड़ी जिसे ब्लबर कहते हैं ऊर्जा इकट्ठा करती है और अपने षरीर की रक्षा करती है । व्हेल की गर्दन बहुत लचीली होती है जो तैरते वक्त गोल घूम सकती है । व्हेल की पूंछ के अंत में दो सिरे उसे तैरते समय मुड़ने में सहायक होते हैं । मादा व्हेल एक बार में एक बच्चे को जन्म देती है । व्हेल मछली एक ध्वनि जिसे व्हेल सांग कहते है जो कि बहुत ही तेज ध्वनि का (लगभग 20 हजार वाट ध्वनि) निकालती है ज बवह अपनी दूसरे साथियों के संपर्क में आती है । यह मधुर ध्वनि कई मीलों तक सुनाई पड़ती है । व्हेल मछली से मांस, तेल और परफ्यूम बनाया जाता है । व्हेल लगभग 30 मील प्रति घंटे की रफ्तार से तैरती है । ब्लू व्हेल मछली के दिल का व.जन 600 किलोग्राम होता है एवं दिमाक का व.जन  7 किलोग्राम होता है । व्हेल के ठिकानों का पता लगाने के वैज्ञानिक ध्वनि पकड़ने वाले यंत्रों का प्रयोग करते हैं । लुप्त होते ब्लू व्हेल - ध्वनि तकनीक विषेषज्ञों ने ध्वनि तकनीक की सहायता से व्हेल मछलियों की गिनती की उनका मानना है कि अब दुनिया में सिर्फ कुछ हजार ब्लू व्हेल ही बची हैं । समुद्री स्तनपायी जीव हमारी पृथ्वी के सबसे अनूठे जीव हैं जैसे व्हेल मछलियां । उन्हें बहुत से मामलों में चैम्पियन माना जा सकता है । व्हेल व.जन में सबसे भारी जीव है, वे आकार में सर्वाधिक लम्बी होती हैं और सबसे ज्यादा सहिष्णु या धैर्यषील भी होती हैं  । वे तीन तीन महीने तक बिना सोए रह सकती हैं, वे दो सौ दिन तक बिना खाए रह सकती हैं और यहां तक कि दो घंटे तक बिना सांस लिए जिंदा रह सकती हैं । उनका दिमाग सबसे बड़ा होता है वे गा सकती हैं, जबकि उनके कंठ या गला नहीं होता है । जीवविज्ञानी व्हेल को मछली नहीं मानते हैं वे इसे स्तनधारी प्राणियों की श्रेणी में रखते हैं । व्हेल एक समुद्री जीव है जो पानी में रहती है और उसकी ष्षक्ल भी मछली से मिलती है, किन्तु कई मामलों में यह मछलियों से अलग है जैसे व्हेल के गिल्स नहीं होते हैं जबकि मछलियों के होते हैं जिससे वे सांस लेती हैं । व्हेल के गिल्स की बजाय हमारी तरह फेफड़े होते हैं और वह फेफड़ों से जो सांस लेती है । व्हेल सांस लेने के लिए थोड़ी देर में पानी से ऊपर अपना सिर लाती है । वैसे यह 45 मिनट बिना सांस लिए पानी के भीतर रह सकती है । जहां अन्य मछलियां अंडे देती हैं वहां व्हेल सीधे बच्चे पैदा करती है । यही नहीं उन्हें अपना दूध भी पिलाती है । कुछ व्हेल के दंात होते हैं और कुछ में दांतों के स्थान पर हड्डियों की प्लेट होती है । व्हेल का विकास डाइनासोर से हुआ माना जाता है । व्हेल गहरा गोता लगाने में भी माहिर है । अंटार्कटिका में व्हेल की आवाज रिकाॅर्ड की गई । वैज्ञानिकों ने कहा कि पानी में सैकड़ों किलोमीटर नीचे रहने वाली नीली व्हेल एक बहुत गहरी और गूंजने वाली आवाज निकालती है । ब्लू व्हेल अपने फेफड़ों में एक बार में 5000 लीटर हवा को एकत्रित कर सकती है । ब्लू व्हेल का हृदय एक मिनट में मात्र 9 बार ही धड़कता है । व्हेल उलटी दिषा में नहीं तैर सकती है । ब्लू व्हेल को बेलिनोप्टेरा मस्कुलस कहते हैं । व्हेल के षिकार पर रोक (संरक्षण जरूरी) - व्हेल के चमड़े से फैषनेबल पर्स और बेल्ट बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, कहीं इनके मांस को चाव से खाया जाता है । कहीं तो ‘‘व्हेल बीयर ’’ तक बना दी जाती है । जिससे इनकी संख्या में बहुत कमी आ गयी है ।






 




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