Monday 30 June 2014

चेरी - पौष्टिक एवं स्वास्थ्यप्रद फल

चेरी  - पौष्टिक एवं स्वास्थ्यप्रद फल

चेरी पौष्टिक एवं स्वास्थ्यप्रद फल है । .चेरी (प्रूनस एवियम) एक चमकीले लाल रंग का रसदार फल है जो ताजा खाया जा सकता है । चेरी एक अविश्वसनीय स्वादिष्ट खटटा - मीठा फल है जो विभिन्न तरह के भोज्य पदार्थो में उपयोग किया जाता है । अपने चटख लाल रंग और शानदार खटटे-मीठे स्वाद के कारण चेरी को ‘‘ रेड हाॅट सुपर फल ’’ का दर्जा दिया गया है । छोटे से बीज और रसीले गूदे वाली चेरी पौष्टिक तत्वों से भरपूर और स्वास्थ्यवर्धक गुणों की खान है । चेरी के पतले लाल रंग के छिलके  में पोली फिलोनोलिक फलेवोनोयड जैसे एंटी आॅक्सीडेंट गुण पाये जाते हैं । यूरोप और यूनान में चेरी की खेती के साक्ष्य मिलते हैं । आज चेरी विश्व भर में निर्यात होती है । भारत में जम्मू काश्मीर और मनाली में चेरी की बागवानी की जाती है । सुन्दर सुगंधित चेरी फूल वसंत का अनुष्ठान करते हैं । चेरी की विभिन्न किस्में-चेरी को 3 वर्गो में बांटा गया है
1.मीठी चेरी (प्रूनस एवियम) - स्वाद में ज्यादा स्वादिष्ट और मीठी होती है और ताजा खाने के लिए, 2. खटटी चेरी (प्रूनस सीरैसस)- दो प्रकार 1. अमरैनी चेरी और 2 मौरैली चेरी - कम मीठी , खटास ज्यादा मात्रा में होती है यह रस और सूखे चेरी बनाने के लिए 3. डयूक चेरी - खटटा-मीठा जुले स्वाद वाली चेरी ।














चेरी के औषधीय गुण: 1 चेरी में मौजूद क्यूर्सेटिन और बीटा कैरोटीन हृदय रोगों को रोकने में मदद करता है । 2. चेरी में पोटेशियम रक्त में मौजूद सोडियम को कम करता है जिससे रक्तचाप पर प्रभावी ढंग से नियंत्रिण होता है । चेरी के नियमित सेवन से कोलेस्ट्राल और रक्तचाप नियंत्रित रहते हैं । 3. चेरी में फिनोनिक अम्ल और फलेवोनोयड एंटी आॅक्सीडेंट शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं और कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकते हैं । 4. चेरी में मौजूद एंथोसाइनिन गठिया की वेदना से राहत दिलाता है साथ ही यह शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ाने के साथ साथ शर्करा की मात्रा को नियंत्रित रखता है जो कि मधुमेह के नियंत्रण का मुख्य कारण है । 5. चेरी में मौजूद मेलाटोमिन शरीर में रोग के कीटाणुओं को नष्ट करने में सहायक है । 6. चेरी का विटामिन सी कोलेजन और अन्य तन्तुओं को स्वस्थ्य रखता है एवं हडिडयों एवं दांतों को स्वस्थ्य रखने में सहायक है । 7. चेरी आंखों के लिए फायदेमंद है । लाल चेरी जिसमें विटामिन ए बहुतायत में होता है दृष्टि दोषों को दूर कर, नेत्र स्वस्थ्य रखता है । चेरी का नियमित सेवन मोतियाबिंद जैसे नेत्र विकारों को कम करता है । 8. चेरी वनज घटाती है क्योंकि इसमे कम वसा, अधिक पानी एवं घुलनशील फाइबर का अच्छा स्त्रोत होता है । आंतों द्वारा कोलेस्ट्रोल के अवशोषण की प्रक्रिया को धीमी करता है । 9. चेरी कब्ज रोकने मे मददगार है क्योंकि इसमे फाबर का अच्छा स्त्रोत है । गुर्दे और जिगर के लिए चेरी के पोषक तत्व क्लींजर का काम करते हैं । 10. चेरी में उपस्थित एंथोसियानिक रसायन याददाश्त बढ़ाने में मदद करता है । 















11. चेरी का  रस एथलीटों / व्यायामक करने वालों की मांसपेशियों के दर्द से राहत दिलाता है । एक स्वस्थ्य व्यक्ति को प्रतिदिन 50-100 ग्राम चेरी का सेवन आदर्श माना जाता है । 12.  चेरी शरीर के टोक्सिनस को दूर कर त्वचा को नरम, चमकदार, और अल्ट्रा वाॅयलेट किरणों से रक्षा करती है ।  चेरी के नियमित सेवन से त्वचा की समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है । 13.  चेरी पेड़ के कुछ हिस्से छाल, पत्तियां और बीज औषधीय उपयोग में आते हैं । चेरी की पत्तियों की चाय सर्दी और खांसी के इलाज के लिए और चेरी के डंठल की चाय गुर्दे की बीमारियों के लिए लाभदायक है । चेरी जोड़ों के दर्द मंे भी लाभकारी सिद्ध हुई है । 14.  चेरी का जूसे पीने से नींद अच्छी आती है । भारत में इंसोनमिया (स्लीपलेसने) बिमारी से बहुत लोग शिकार है इसलिए उन्हें सलाह दी जाती है वे चेरी खांए या चेरी जूस पिये अच्छी नींद आवेगी । 15.  चेरी का जूस पीने से नींद अच्छी आती है । चेरी एसिडिटी से छुटकारा दिलाती है । इस फल के व्यंजनों तथा पेय पदार्थो की सजावट के तौर पर भी प्रयोग करते हैं । कोकटेल में इसका खूब उपयोग होता है । चेरी शेक, जूस और स्वादिष्ट पेय पदार्थ बनाए जाते हैं ।  चेरी कर सकता है डायबिटीज नियंत्रित - दिन में एक बार चेरी खाने से डायबिटीज निंयत्रित हो सकता है । इस मीठे और खटटे फल में विशेष तरीके का रसायन ‘‘ ऐन्थोसाइनिन ’’ पाया जाता है । यह रसायन ना सिर्फ चेरी को गहरे रंग का बनाया है बल्कि शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ाने के साथ साथ रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित रखता है और हृदय से सम्बन्धी बीमारियों के खतरे को भी कम करता है ।
चेरी व्यंजन: तीखा एंड स्वीट चेरी पाई, चेरी पाई कप, चेरी क्रीम काॅफी केक, मिश्रित बेरी और चेरी, मलाईदार चाॅकलेट चेरी बार्स, ब्लूबेरी चेरी दही, ग्रील्ड चिकन और ताजा चेरी साल्सा, चेरी ब्राउन मक्खन बार्स, नारियल चेरी चाॅकलेट चिप आइसक्रीम, ताजा चेरी और डार्क चाॅकलेट ।
चेरी के फूलों को ‘‘ ब्लोसम’’ कहते हैं और जिन फूल के खिलने के बाद उस पेड़ पर फल नहीं लगते हों उन्हें ‘‘ब्लूम’’ कहते हैं । चीन में चेरी ब्लोसम को स्त्री की  सुन्दरता के समकक्ष देखा गया है और जापानी सभ्यता में चेरी ब्लोसम को जीवन में निहित, ‘‘ अपूर्णता में सौंदर्य ’’ के समकक्ष रखा गया है । द. कोरिया के जिन्हें कस्बे में करीब 3 लाख 40 हजार चेरी ब्लोंसम के पेड़ लगे है । हर साल 1-10 अप्रैल के बची सबसे बड़ा चेरी ब्लाॅसम फेस्टिवल मनाया जाता है जहां 10 लाख से ज्यादा पर्यटक आते हैं ।
इस फल के व्यंजनों तथा पेय पदार्थो की सजावट के तौर पर भी प्रयोग करते हैं । कोकटेल में इसका खूब उपयोग होता है । चेरी शेक, जूस और स्वादिष्ट पेय पदार्थ बनाए जाते हैं ।












चेरी के फेस मास्क - त्वचा में निखार लाने और डार्क स्पाॅट को हटाने में चेरी का जूस काफी असरदार होती है । इसमें एंटी इंलामेटरी गुण पाया जाता है जिससे मुहांसे की समस्या नहीं होती है । इसके अलावा चेरी माॅइस्चराइजर का काम भी करती है और क्षतिग्रस्त त्वचा को ठीक करती है । घर पर ही तैयार चेरी फेसियल मास्क - (1) जिसमें कुछ चेरी को मसल कर इसमें एक चममच शहद और कुछ बूंद नींबू मिलाकर आप चेरी फेस मास्क तैयार कर सकते हैं । इस पेस्ट को चेहरे और गले पर लगाएं और 15-20 मिनट के बाद गुनगुने पानी से धो लें । मुहांसे से छुटकारा पाया जा सकता है । (2) अगर आप 5 चेरी और 3 स्ट्राबेरी को अच्छे से मसल कर पेस्ट बना लें इसमें कुछ बूंदें गुलाब जल मिला कर 5 मिनट तक चेहरे, गले में लगाये रखें आपकी त्वचा जवान नजर आयेगी । (3) एक मुटठी चेरी को पीस कर इसमें 3 चम्मच साधारण दही मिला लें । इस पेस्ट को 20-30 मिनट तक चेहरे पर लगा कर रखें । इससे आपकी त्वचा में चमक आएगी । (4) एक चम्मच ओटमील में दो चम्मच चेरी जूस मिलाकर आप एक एक्सफोलिएटिंग चेरी फेस मास्क बना कर चेहरे पर 5 मिनट लगाकर रखें  और फिर अच्छे से धो लें । इससे चेहरे की डेड स्किन सेल्स हट जाएंगें ।  (5) एक अंडे की सफेदी में दो चम्मच काॅर्नमील, एक चममच शहद और करीब 10 चेरी को मसल कर मिला लें । इस मिश्रण को अपने चेहरे और गले पर लगाएं । 20 मिनट बाद इसे गुनगुने पानी से धो लें । चेरी उगाने का आसान तरीका - चेरी एक खटठा मीठा गुठलीदार फल है इसका रंग लाल, काला या पीला होता है । भारत में चेरी काश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड ओर उत्तरी पूर्वी राज्यों में पैदा किया जाता है ।  आप चाहें तो चेरी के बीज या फिर पौधे खरीद कर लगा सकते हैं । चेरी के बीज उस जगह पर लगाएं जहां पर पर्याप्त सूरज की रोशनी हो । पौधे को कम 5-6 का सूर्य प्रकाश मिलना चाहिए । ध्यान रहे कि मिटटी ज्यादा गीली ना हो वरना पौधा खराब हो जाता है । मीठी चेरी रोगों के लिए अतिसंवेदनशील होती है अगर ब्राउन राॅट बीमारी होने पर सल्फर का स्प्रे छिड़क दें । पौधों में एक दिन छोड़ का पानी देना चाहिए । जब चेरी के पौधे को साल भर हो जाए तब आप उसकी छंटाई  कर सकते हैं । 
















इन पौधों को फल देने में कम से कम 6 - 8 साल लग जाते हैं । चेरी की सफल बागवानी के लिये यह आवश्यक है कि अच्छी जल्द पकने वाली और देर तक खराब न होने वाली प्रजातियां ही पैदा की जानी चाहिये जिससे बाजार में अच्छा मूल्य प्राप्त हो सके ।  उदयान विशेषज्ञों  ने जिन प्रमुख चेरी की किस्मों की सिफारिश की है वे हैं ब्लैक टारटेरियम, बिंग, नैपोलियन, ब्लैक रिपब्लिकन, वैन, सैम, लैम्बर्ट एम्परर फ्रांसिस, अर्ली रिवर्स और ब्लैक हार्ट । स्टैला और लैपिन्स नामक दो अन्य प्रजातियां भी हैं जिनके फल सख्त होते हैं । चेरी का उत्पादन जातीय गुणों व आयु पर निर्भर है । एक पेड़ से औसतन 20 से 25 किलोग्राम चेरी पैदा होती है । बहुत कोमल और जल्दी खराब होने वाला फल होने के कारण चेरी को सावधानी से तोड़ना और डिब्बाबंद करना चाहिए । चेरी की बागवानी 1850 मीटर से 2500 मीटर तक ऊंचाई वाले स्थानी पर की जाती है । अप्रैल के पहले सप्ताह के आस-पास फूल आने के बाद ठीक दो मास बाद मई में इसका फल पककर तैयार हो जाता है ।

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