कदम्ब को पेड़ बड़ा एवं काफी मशहूर
है इसके बड़े पत्ते तथा नींबू की तरह गोल फूल जो कि फलों के ऊपर ही होते हैं । फूल
छोटे और खुशबूदार होते हैं । कदम्ब की प्रमुख प्रजातियों में राजकदम्ब, धूलिकदम्ब
और कदम्बिका है । ब्रज में कदम्ब के पेड़ की बहुत महिमा है । भगवान श्रीकृष्ण जी की
लीलाओं से जुड़ा होने से कदम्ब का उल्लेख ब्रजभाषा में अनेक कविताओं मंे हुआ है ।
इसका इत्र भी बनता है जो बरसात के मौसम में अधिक उपयोग में आता है । कदम्ब के पेड़
पर इसके फूल आने पर पेड़ ऐसा लगता है, मानो ढेर सारे पीले पीले लड्डू इसमें लगटा
दिए गये हों ।
कदम्ब के औषधीय गुण - कदम्ब के पेड़ से डाईहाईड्रो सिंकोनिन और केडम्बाइन रसायन से दवा बनाकर टाईप 2 किस्म के मधुमेह का इलाज किया जाता है । डाईहाईड्रो सिंकोनिन शरीर से होने वाले इंसूलिन के स्त्राव को नियंत्रित करता है तथा केडम्बाइन मांसपेशियों में स्थित इंसूलिन रिसेप्टर्स की संवेदनशीलता में वृद्धि करता है । कदम्ब के पेड़ का नाम लेते ही श्रीकृष्ण की याद आ जाती है । इस वृक्ष के नीचे की वे बासुंरी बजाया करते थे । कदम्ब को पेड़ जहरशामक होता है किसी भी दवाई से एलर्जी हो जाए या किसी प्रकार का जहरीला असर हो जाए तो इसकी सूखी छाल, फल, पत्तियों को बराबर मात्रा में लेकर 10 ग्राम मिश्रण को 400 ग्राम पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर, सुबह शाम लें ।
कदम्ब के पेड़ की छाल और पत्तियों को उबालकर उसके पानी से धोने से घाव जल्दी ठीक होते हैं । कीड़े मकोड़े के कारण सूजन, पैरों की सूजन या चोट पर छाल व पत्तों को उबाल कर नमक मिलाकर सिकाई करने से फायदा होता है । माँ कदम्ब का पेड़ अगर ये होता यमुना तीरे, मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे धीरे, ले देती यदि मुझे बांसुरी तुम दो पासे वाली, और किसी तरह नीचे हो जाती ये कदम्ब की डाली । स्वप्न में कदम्ब के पेड़ को देखना बहुत ही शुभ होता है जो व्यक्ति को धन-दौलत निरोगी काया मान सम्मान एवं राजसम्मान की प्राप्त करवाता है । कदम्ब भगवान कृष्ण का मनपसंद पेड़ था इसलिए इस झील के आसपास कई कदम्ब के पेड़ लगे हैं ।
प्रकृति, पर्यावरण और स्वास्थ्य का संरक्षक कदंब । कदम्ब भारतीय उपमहाद्वीप में उगने वाला शोभाकर पेड़ है । सुगंधित फूलों से युक्त बारहों महीने हरे, तेजी से बढ़ने वाले इस विशाल पेड़ की छाया शीतल होती है । एन्ािोसिफेलस कदम्ब या एन्ािोसिफेलस इंडिकस है । इसे पेड़ से गोंद निकलती है जो औषधी के काम आती है । कदम्ब का फूल लगने में लगभग 4 से 5 साल लग जाते हैं । कदम्ब के फूल लाल, गुलाबी पीले और नारंगी रंग की विभिन्न छायाओं वाले हो सकते हैं ।
कदम्ब के फल और फूल पशुओं के लिए भोजन के काम आते हैं । इसकी पत्तियां गाय के लिए पौष्टिक भोजन होती हैं । कदम्ब का प्रयोग प्लाइवुड के मकान, लुगदी, कागज के बक्से, क्रेट, नाव और फर्नीचर बनाने के काम आती है । कदम्ब के पेड़ से बहुत ही अच्छे किस्म का चमकदार कागज बनता है । कदम्ब से इत्र बनाया जाता है जो कि चंदन में मिलाकर बनता है । इसके बीजों के तेल से दीपक जलाया जाता है । कदम्ब का पेड़ प्रकृति और पर्यावरण को संरक्षण के साथ ही औषधि और सौन्दर्य का महत्वपूर्ण स्त्रोत है
आदरणीय भारत के राष्ट्रिय नागरिक महोदय व् नागरिक बन्धुओं हमारे भरत के नागरिकों पर राज करने वाले राष्ट्रिय नागरिकों से विनम्र अपील हमारे देश का कोई भी प्रधानमंत्री अगर किसी राज्य में बीस करोड़ की मदद देने की घोषणा करते है यह तो अच्चा है परन्तु मान लो की किसी राज्य की जनता पेड़ के पत्तों के पत्तल दोने का व्यापर करने में सक्षम है तो प्रधानमन्त्री जी को यह घोषणा करने की करपा करनी चाहिए की केन्द्र सर्कार दस करोड़ नगद देगे और दस करोड़ के सालाना राज्य की जनता से पेड़ के पत्तों के पत्तल दोने खरीदेंगे फिर देश की जनता को भोज के लिए हर गैस सरेण्डर के साथ मुफ्त देंगे जो देश की जनता जल पानी बर्बादी से जानलेवा मलेरिया व जल पानी बर्बादी से स्टील के बर्तन व् स्टील के ठीकरे धोनें पर चमड़ी काटने की बीमारी न हो जो जितना आमिर आदमी उतना बरबाद क्यों उसका इलाज ही नहीं होता स्टील के बर्तन को धोने वाले की परेशानी दूर बर्तन धोने वाले को रोज लगभग दोनों समय 150 ठकरे धोने से निजात मिलेगी स्टील के बरतन को धोने से जो जल बहता है जल बहने से मलेरिया के मछरों का आतंक मिट सकता है मलेरिया की बिमारियों पर परिवार बरबाद होने में कमी आएगी दवाइयों में शासनात्मक कमीशन बाजी व घोटाले बाजी जो देश को बरबाद करने में तुली हुई ह उसमें कमी आ सकती है यह योजना हर परिवार के पास पहुचती है तो हर परिवार ६ सदस्य ४० हजार रूपये की बचत व सरकार को मलेरिया के लिए परेशानी में कमी आएगी मानव व जानवरों को एलरजी नमक बिमारियों से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी और किसी राज्य का मुख्यमंत्री जो अपने राज्य को मेहनतकस व महत्वाकान्सी आत्म शक्तिशाली बनाना चाहता है
ReplyDeleteVery nice think
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