Thursday 5 June 2014

अखरोट-देवभूमि का फल

 अखरोट-देवभूमि का फल
 अखरोट एक अस्फोटी बीज वाले पौधे का फल है जिसके छिलके सख्त होते हैं । हालांकि विविध सूखे बीजों और फलों को अंग्रेजी में नटस कहते हैं । उनमें से बहुत कम संख्या को जीवविज्ञानियों के विचार से वास्तविक अखरोट माना जाता है । अखरोट मानव और वन्य जीवन दोनों के लिए पोषक तत्वों का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है । अखरोट बीज और फल का यौगिक है जहां फलों से बीज नहीं निकलते हैं । ज्चादातर बीज फलों से आते हैं और बीज फलों से मुक्त होते हैं अखरोट के ठीक वितरीत जैसे कि पहाड़ी बादाम, हिकाॅरी, शाहबलूत के फल और बंजुुफल, फलों के छिलके सख्त होते हैं और यौगिक अंडाशय में से उत्पन्न होते हैं ।
अखरोट के अचूक फायदे - बच्चे को बहुत ज्यादा कृमि हो गए हों तो उसे रोज एक अखरोट की गिरी खिलाएं । इससे सारे कृमि मल के रास्ते बाहर आ जाते हैं । छिलके और गिरी सहित अखरोट को बारीक पीस लें । रोज सुबह-शाम ठंडे पानी के साथ लगातार 15 दिनों तक एक एक चममच लें । पथरी मूत्र मार्ग से बाहर आ जाती है । अखरोट का तेज लगाने से दाद-खाज में बहुत फायदा मिलता है । बच्चे की बिस्तर गीला करने की आदत छुड़ाने के लिए बच्चे को रोज सोने से पहले दो अखरोट और 15 किसमिस खिलाएं । 15 दिन यह प्रयोग कर के देखें बच्चे का आदत अपने आप छूट जाएगी । इसके खाने से नर्वस सिस्टम को फायदा और दिमाग को तरावट मिलती है । अखरोट के साथ कुछ बादाम और मुनक्के खाने व इसके ऊपर दूध पीने से वृद्धों को बहुत फायदा मिलता है । अखरोट खाने में थोड़ी सावधानी रखना चाहिए । चूंकि अखरोट गर्मी करता है और कफ बढ़ाता है इसलिए एक बार में 5 से ज्यादा अखरोट न खाएं । ज्यादा अखरोट खाने से पित्त बढ़ने की संभावना रहती है । जिससे मुंह में छाले, गले में खुश्की या खुजली और अजीर्ण होने की सम्भावना रहती है । अखरोट में आमेगा 3 फैटी एसिड, प्रोटीन, फाइबर और एंटी आॅक्सीडेंटस अच्छी मात्रा में हैं ।वजन घटाने के लिए - आमेगा 3 फैटी एसिड शरीर के बैड कोलेस्टाॅल को कम करता है और मोटापा घटाने में मदद करता है । रोगों से बचाव - एन-3 फैटीएसिड बी पी, आर्टीज संबंधी रोग, स्ट्रोक, ब्रेस्ट कैंसर और पेट के कैंसर से बचाव में मदद करता है ।  पौरूष बढ़ाता है - एंटी आॅक्सीडेंन्टस के साथ ही जिंक, पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे मिनिरल्स पुरूषों में वीर्य बढ़ाते हैं । फोलेट फर्टिलिटी बढ़ाने में मददगार है । नींद मंे सहायक- अखरोट नींद लाने में बहुत लाभकारी है क्योंकि इसमें से एक हार्मोन निकलता है जिसका नाम मिलाटोनिन होता है जिससे आराम मिलता है अच्छी नींद पाने के लिए यह सही राशि में मिलाटोनिन रिलीज करता है ।  मधुमेह - यह रक्त वाहिकाओं को फेला देती हैं और मैटाबाॅलिक सिंड्रोम को कम कर देता है इससे डायबिटीज कंट्रोल में रहती है । अखरोट में सबसे ज्यादा विटामिन ई और प्रोटीन पाया जाता है इसमें मीट के मुकाबले ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है तो अगर आप वेजिटेरियन हैं तो इसे रोजाना खाने की आदत डाल लें । जंगली अखरोट एवं कागजी अखरोट नाम की दो जातियों से जाना जाने वाला यह वृक्ष अपने फलों  के कारण प्रसिद्ध है । अखरोट के फल के बाहय कठोर आवरण को तोड़कर अन्दर की गिरी को 10 से 20 ग्राम की मात्रा में गाय के गुनगुन दूध से नित्य सेवन करना रसायनगुणों से युक्त अर्थात शरीरिक क्षय को रोकने वाला प्रभाव देता है । अखरोट के पेड़ के छाल को मुंह में रखकर चबाने से मुख रोगों में लाभ मिलता है तथा फल के बाहरी कठोर आवरण को चूर्ण बनाकर आग में जलाकर भस्मीकृत कर मंजन के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है । अखरोट के पेड़ छाल का काढ़ा पेट के कीड़े खत्म कर देता है । महिलाओं में माहवारी से सम्बंधित समस्याओं में फल के कठोर आवरण को चूर्ण बनाकर 20 से 25 मिली की मात्रा में शहद के साथ पिलाने से लाभ मिलता है । इसी काढे का प्रयोग दस ग्राम नित्य प्रातःकाल सेवन, डाइबिटीज को दूर करता है । अखरोट के फलों के कठोर आवरण को जलाकर भस्म प्राप्त करें तथा इसमें पांच से दस ग्राम मात्रा में गुड़ मिला दें । अब इसे पंाच से दस ग्राम की मात्रा में प्री मेच्यूर इजेकुलेशन से  पीड़ित रोगी को दें निश्चित ही लाभ मिलेगा ।  पाइल्स से सम्बंधित समस्या में भी इसके तेल को गुदा में रूई में भिगोकर रखने मात्र से लाभ मिलता है । अखरोट हमारी त्वचा और बालों के लिए भी काफी फायदेमंद होता है । अखरोट प्रोटीन के अच्छे स्त्रोत हैं । अखरोट एल्जाइमर बीमारी का खतरा कम होता है । बादाम को दिमाग के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है क्योंकि इसमें विटामिन ई अधिक मात्रा में होती है । दांतों के लिए अखरोट के स्वास्थ्य गुणों के कारण डेंटिस्ट भी इसके सेवन की सलाह देते हैं । अखरोट में आमेगा 3 फैटी एसिड होता है और यह अस्थकमा, रयूमेटायड अर्थाराइटिस, त्वचा की समस्याओं एक्जीमा और सोरियासिस जैसी बीमारियों से सुरक्षा करता है । अखरोट भारत के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, तुर्की, फ्रांस, इटली, यूक्रेन, रोमानिया और मालदीप । अखरोट को केक, बिस्कुट, आइसक्रिम में उपयोग होता है । अखरोट की गिरी का आकार मानव मस्तिष्क जैसी होती है  और अखरोट का सेवन याददाश्त को दुरूस्त करने और मानसिक थकान को कम करने में उपयोगी माना जाता है ।  इसके अतिरिक्त अखरोट को हडडियों, मज्जा, खून, किडनी और हदय रोगों में लाभकारी है । अखरोट की उत्पत्ति प्राचीन रोमन संस्कृति की विश्व भर की देन है । चीन के बाद अमेरिका में इसका सबसे उत्पादन सबसे अधिक देखने को मिलता है । इसके बाद तुर्की और भारत का स्थान है ।  देश में मुख्यतौर पर इसका उत्पादन जम्मू-काश्माीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर पूर्वी भारत में देखने को मिलता है । विटामिन ई - गामा-टाकोफेराॅल अखरोट में बड़ी मात्रा में पाया जाता है । गामा टोकोफेरोल हदय रोगों में विशेष रूप् से लाभकारी है । हदय को सुरक्षा प्रदान करता है । मेटाबोलिक सिंड्रोम पर नियंत्रण - अखरोट में एंटीआॅक्सीडेंट और जलन को कम करने के गुण होते हैं । ऐसे में पाचन संबंधी रोगों को दूर करने में अखरोट की अच्छी भूमिका होती है । इसके अलावा हदय रोगों और टाइप टू डाइबिटीज को नियंत्रण में रखने का भी अच्छा गुण अखरोट में होता है । अखरोट के यह गुण कुछ खास तरक के कैंसर जैसे छाती और प्रोस्टेट कैंसर को कम करने में मददगार माने जाते हैं । 10-20 ग्राम  अखरोट की गिरी को गाय के गुनगुने दूध से नित्य सेवन से शरीरिक क्षय को रोकने वाला प्रभाव देता है । अखरोट के पेड़ की छाल का मुंह में रखकर चबाने से मुख रोगों में लाभ मिलता है तथा फल के बाहरी कठोर आवरण को चूर्ण बनाकर आग में जलाकर भस्मीकृत कर मंजन के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है । अखरोट के पेड़ छाल का काढ़ा पेट के कीड़े खत्म कर देता है । महिलाओं में माहवारी से सम्बधिंत समस्याओं में फल के कठोर आवरण को चूर्ण बनाकर 20 से 25 मिली की मात्रा में शहद के साथ पिलाने से लाभ मिलता है ।  इसी काढ़े का प्रयोग सुबह शाम सेवन करने से कानस्टीपेशन को दूर होता है । अखरोट के फलों की गिरी को पांच से दस ग्राम, छुहारे बीस से तीस ग्राम और बादाम पांच ग्राम मात्रा में एक साथ व कूटकर गाय के घी में भूनकर प्राप्त चूर्ण में थोड़ी से मिश्री मिलाकर दस ग्राम नित्य प्रातःकाल सेवन डाइबिटीज का दूर करता है । अखरोट के फलों के कठोर आवारण को जलाकर भस्म प्राप्त करें तथा अब इसमें  5 से 10 ग्राम मात्रा में गुड़ मिला दें, अब इसे 5 से 10 ग्राम की मात्रा में प्री-मेच्युर-इजेकुलेशन से पीड़ित रोगी को दें  निश्चित ही लाभ मिलेगा ।  इसकी छाल से प्राप्त काढ़े से घाव को धोन यह उसे शीघ्रता से भरने हीलिंग का भी काम करता है । 





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