बुलडाॅग - ऊर्जावान नस्ल
बुलडाॅग छोटे पैरों वाली मध्यम
आकार की काम्पेक्ट नस्ल है जिनका मूल जन्म स्थान इंग्लैन्ड यूनाईटेड किंगडम है ।
बुलडाॅग की दो प्रजातियां 1. इंगलिश बुलडाॅग और 2. ब्रिटिश बुलडाॅग हैं अन्य
प्रजातियों में अमेरिकन और फ्रैंच बुलडाॅग भी काफी प्रसिद्ध हैं ।
विवरण - भारी मोटा शरीर, छोटा
चेहरे वाला मुंह, चैड़े कंधे और मजबूत टांगें । इनके शरीर, सिर, खोपड़ी पर त्वचा की सिलवटे जो गाल और आंखों के बाजू में
भी आ जाती हैं । काली और चैड़ी मजल, चौड़ी
नाक बड़े नथूनों के साथ, गहरी और धसी हुई आखें देखी जा सकती हैं । इनका रंग लाल,
चितकवरी, सफेद लाल, हल्के पीले का मिश्रण होता है । बुलडाॅग की ऊंचाई (मादा) 30-40
से.मी. , (नर) 31-40 से.मी. एवं शरीरिक वजन (मादा) 22-23 किलो , (नर) 24-25 किलो
होता है ।
प्रजनन - मादा बुलडाॅग 6-12 महीने
के बीच कभी भी गर्मी पर आ सकती है । बुलडाॅग मादा की मेटिंग की उम्र 12 से 18 माह
की उम्र है इस समय उसके पूर्ण टीके एवं डीवार्मिंग होकर स्वस्थ्य होती है । मादा
में गर्मी चक्र 3 सप्ताह औसत 7-10 दिन का होता है एवं गर्भकाल 60-63 दिन जिसमें
इनके 4-5 पप्स होते हैं ।
प्रबंधन - बुलडाॅग की देखभाल करना आसान होता है जिसमें
साप्ताकि ब्रश या रबर पैड से ब्रशिंग करना होता है । बुलडाॅग को कभी कभी नहलाना भी
चाहिए पर जल्दी जल्दी या बार-बार नहलाने से त्वचा की प्राकृतिक ग्लो समाप्त हो
जाती है पर नहलाने के लिए अच्छे शैम्पू का चुनाव जरूरी है । बुलडाॅग के लिए व्यायाम
का अपना ही महत्व है । बुलडाॅग अधिक गर्मी के लिए अति संवेदनशील होते हैं गर्मी का
मौसम उनके लिए घातक हो सकता है इसलिए उन्हें हीट स्ट्रोक से बचायें । सभी पप्स को
दिन में 4 बार पोषक आहार दें और फिर घटा कर दो बार करें । सभी पप्स को आंतरिक
कृमिनाशक देकर राउंड वार्म, हुक वार्म, फीता कृमि और हार्ट वार्म आदि से बचाव करें
।
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