मोर (पीकाक) - संसार का सबसे
सुन्दर पक्षी
मोर कई हजार वर्षो से संसार के सबसे सुन्दर पक्षियों में से एक
पक्षी माना गया है । मोर (पावो - क्रिसटेटस ) एक सुन्दर
पक्षी जिसकी जन्म स्थली भारत है । यह नेपाल तथा श्रीलंका में भी पाया जाता है
। मोर हरियाणा के सभी गावों एवं बगीचों
में मिलत है । मोर में नर एंव माद दोनों पक्षी होते हैं मोर ज्यादातर उष्मकटबन्धीय जंगलों मंे पाये
जाते हैं । मोर जब पूरे पखों से भरा होता है तब नृत्य करता है तथा संसार का सबसे
सुन्दर पक्षी कहलाता है । मोर सावन के महीने में एक विशेष ध्वनि / आवाज निकालता है
जिसे बहुत दूर से सुन कर पहचाना जा सकता है । मोर सावन के महीने में बादलों को
देखकर एवं वर्षा ऋतु आने पर नाच उठता है । मोर की लम्बाई लगभग 2 मीटर तथा मोरनी
0.9 मीटर लम्बी होती है । दोनों के सिर पर पंखे नुमा कलगी होती है जो अति सुन्दर
लगती है । मोर के लम्बे एवं बहुत ही तेजस्वी चमकीले रंग के डिब्बे नुमा पंख होते
है । जो कि नीले एवं काले चमकीले होते हैं । मोरनी के भूरे सफेद एवं काले रंग के
पंख होते हैं । मोर-मोरनी बीज, दानें, फल तथा पौधों के अन्य भाग खाते हैं । साथ ही
वे चूहे, कीड़े मकोड़े, तथा सांप खाने में भी माहिर होते हैं । मोर-मोरनी का घौसला
उथला जो कि पेड़ की टहनियों, पत्तों एवं घास से बना होता है। वे घौंसला अक्सर उभरते
जंगलों में बनाते हैं । मोरनी एक अच्छी मां की भूमिका अदा करती है । मोर के बच्चों
को मां से अलग कर के भी पाला जा सकता है । इस पक्षी को पालनर बहुत आसान है । सबसे
जरूरी बात इनके बच्चों को ठन्ड से बचाना
होता है जब तक कि वे 8-10 माह तक के नहीं
हो जाते हैं । मोर की कई जातियां / उपजातियां विभिन्न रंगों में विकसित हुई हैं ।
जिसमें नील-हरे-काले पंख वाले मोर, पीले रंग वाले मोर, सफेद पंखों वाले मोर एवं
चितकबरे मोर । सीधा पक्षी होने की वजह से मोर को पालतू पक्षी की तरह भी पाला जा
सकता है । मोर की नस्लें - मोर की दो एशियाई
नस्लें पायी जाती हैं । जिनका वर्गीकरण पंखों के रंगों के आधार पर किया गया है ।
1. भारतीय मोर - सबसे ज्यादा प्रचलित नस्ल है । जिसका वैज्ञानिक नाम पावो
क्रिसटेटस है । यह एक बहुत ही सख्त नस्ल है जिस पर ठन्ड का बहुत कम प्रभाव पड़ता है
। इस नस्ल के पंखों का रंग नीला-काला होता है । 2. हरा मोर - पावो मयूटीकस - जो कि
वर्मा, थाईलैंड एवं इंडो चाईना में पाया जाता है यह एक बहुत संवेदशील नस्ल है जिस
पर ठन्ड का प्रभाव देखा जा सकता है । इन
दोनों ही नस्लों का आकार एवं भार एक समान ही होता है । प्रजनन करने इन दोनों मोर
नस्लों से कई संकरण नस्लों का विकास हुआ है । मोर में प्रजनन - मोर में अभिजनन
मार्च से जुलाई के बीच होता है । एक कल्च में मोर सिर्फ 2 अंडे देता है तथा एक
सीजन में कई कल्च अंडे देता है । (कल्च - लगाचार एक क्रम मंे अंडे देने को कहते है
) । मोरनी एक अच्छी मां सिद्ध होती है जो कि सिर्फ अपने अंडे ही सेती है । मोर में
इनकूबेसन पीरीयड 21 दिन का होता है यानि कि 21 दिनों में सेने से मोर के अंडों से
बच्चे निकल आते हैं । मोरनी बच्चों को अपनी चोंच से दाना /खाना खिलाती है । मोर का
भोजन - मोर एक दुभ्क्षीय पक्षी है । जो शाकाहारी एवं मांसाहारी दोनों तरह का भोजन
लेता है । वह पौधों के कुछ हिस्से / भाग जैसे फूल, बीज, पत्ते, कीड़े, मकोड़े,
पतंगे, मेढक, रेपटाइलस तथा संाप को अपना आहार बनाता है । मोर के पंख - मोर के अति
सुन्दर चमकीले, नीले हरे या हरे पंख होते हैं । मोर की पूंछ जिसे अंग्रेजी में ‘‘
टेªन ’’ कहते है वह सही कहा जाय तो पूंछ न होकर पूंछ के ऊपर वाले बड़े बड़े पंख होते
हैं । टेªन पंखों की क्रमवृद्ध आंखें होती हैं जो कि उस समय सबसे ज्याद अच्छी तरह
दिखती हैं । जब वह पंखे नुमा रूप लेती हैं । दोंनों ही नस्लों के सिर पर पंखों
वाली सुन्दर कलगी होती है । मोरनी के पंखों का रंग हल्का हरा, भूरा तथा सलेटी होता
है । मोरनी की बहुत छोटी पूंछ होती है पर सिर पर कलगी होती है । मोर का व्यवहार -
मोर एक जंगली पक्षी वगीकृत है जो कि जमीन पर रहता है । भारतीय मोर खाता तो भूमि पर
है पर रहता पेड़ पर है । इनकी उड़ने की एक सीमित क्षमता होती है । मोर सम्भोग के
मामले में पोलीगेमस होता है । एक साल तक मोर के बच्चे मां (मोरनी) के साथ रहते हैं
तथा बाद में वे मोर के साथ या फिर झुंड में मिल जाते हैं । विभिन्न मोर की नस्लों
की उड़न क्षमता भी भिन्न भिन्न होती है । हरे मोर जो जावा द्वीप पर पाये जाते हैं ।
वे उड़ कर समुद्र पार करते देखे गये हैं । मोर अपने रहने का ठिकाना एक सुरक्षित पेड़
पर लगाता है । भारतीय मोर असुरक्षा की स्थिति में अपने बच्चों को पीठ पर बिठा का
एक पेड़ से दूसरे या फिर सुरक्षित स्थान पर ले जाते हैं ।
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